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मरती हुई मां के साथ बेटी ने किया ऐसा काम, सुनकर भड़क गए लोग, एक VIDEO ने खोली पोल

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एक बेटी की करतूत ने सबको चौंका दिया है, और उसकी इस घिनौनी हरकत से लोग भड़क उठे हैं। यह घटना ब्रिटेन की है, जहां एक बेटी ने अपनी मरती हुई मां से वसीयत पर हस्ताक्षर कराने के लिए उसे मजबूर किया, ताकि वह अपनी जायदाद को अपने नाम कर सके और अपने भाई को बेदखल कर सके। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और एक वीडियो के चलते बेटी का सारा खेल बिगड़ गया।

यह घटना मार्च 2021 की है, जब 76 वर्षीय मार्गरेट बेवरस्टॉक का निधन हुआ। उनकी मृत्यु से पहले, मार्गरेट ने अपनी एक वसीयत बनाई थी, जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति बेटी लिसा के नाम कर दी थी और अपने बेटे जॉन को पूरी तरह से बेदखल कर दिया था। जॉन ने इस वसीयत को चुनौती दी और दावा किया कि उनकी मां मानसिक रूप से कमजोर थीं और उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रही हैं। जॉन ने आरोप लगाया कि उनकी मां को जबरन वसीयत पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया था।

इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि जॉन ने इस बात के सबूत के तौर पर एक वीडियो प्रस्तुत किया, जिसमें उनकी मां को वसीयत पर हस्ताक्षर करते हुए दिखाया गया। वीडियो में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि मार्गरेट को वसीयत पर साइन करने के दौरान कोई प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थीं, और उनकी शारीरिक स्थिति ऐसी थी कि वह खुद यह निर्णय नहीं ले सकती थीं। वीडियो ने बेटी की करतूत को उजागर कर दिया और उसकी सच्चाई सबके सामने आ गई।

जॉन ने इस वीडियो को कोर्ट में पेश किया, और इसने केस का रुख पूरी तरह से बदल दिया। कोर्ट ने वीडियो को गंभीरता से लिया और इसे एक महत्वपूर्ण सबूत माना। सेंट्रल लंदन काउंटी कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया कि मार्गरेट मानसिक रूप से वसीयत पर साइन करने के लिए सक्षम नहीं थीं, और उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था। इस कारण, कोर्ट ने मार्गरेट की वसीयत को अवैध घोषित कर दिया और यह तय किया कि उनकी संपत्ति का बंटवारा जॉन और लिसा के बीच बराबरी से किया जाएगा।

यह मामला न केवल एक परिवार की आंतरिक लड़ाई को दिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग स्वार्थ की खातिर दूसरों के साथ अत्याचार कर सकते हैं। एक मरते हुए इंसान से जबरन वसीयत पर हस्ताक्षर कराना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह कानून की भी अवहेलना है। कोर्ट ने सही किया जब उसने इस वसीयत को अवैध करार दिया और न्याय की प्रक्रिया को सही दिशा में चलाया।

इसके अलावा, इस मामले ने यह भी साबित कर दिया कि किसी भी वसीयत को बनाने से पहले उस व्यक्ति की मानसिक स्थिति को सही तरीके से जांचना बेहद जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति कमजोर हो या उसे अपनी कार्रवाई समझने की क्षमता न हो, तो उसे किसी भी महत्वपूर्ण दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

इस घटना ने यह भी दर्शाया कि कई बार संपत्ति के मामले में परिवारों में इतनी अधिक प्रतिस्पर्धा और विवाद हो सकते हैं कि लोग अपनी नैतिकता को भूल जाते हैं और एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस मामले में बेटी की करतूत ने न केवल परिवार को नुकसान पहुंचाया, बल्कि एक बड़ी कानूनी लड़ाई को भी जन्म दिया।

अब जब कोर्ट ने मार्गरेट की वसीयत को अवैध करार दिया है, तो जॉन और लिसा के बीच संपत्ति का बंटवारा होगा। हालांकि, यह कहानी एक परिवार की दुखद स्थिति को दर्शाती है, लेकिन इसके पीछे एक महत्वपूर्ण शिक्षा भी है—कि हमें कभी भी किसी की कमजोरियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए, विशेष रूप से जब वह मानसिक रूप से असहाय हो।

यह मामला हमें यह भी सिखाता है कि किसी भी व्यक्ति की इच्छाओं और निर्णयों का सम्मान करना चाहिए, खासकर जब वह जीवन के अंतिम पड़ाव पर हो। यदि कोई व्यक्ति खुद फैसला लेने की स्थिति में नहीं है, तो उसे मजबूर करने का मतलब है कि हम उसकी गरिमा और अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।

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