Samachar Nama
×

किराडू मंदिर का श्राप! क्यों कहा जाता है यहां सूर्यास्त के बाद रुकना मना है ? वीडियो में जानिए रहस्य जो आजभी पैदा करता है डर 

किराडू मंदिर का श्राप! क्यों कहा जाता है यहां सूर्यास्त के बाद रुकना मना है ? वीडियो में जानिए रहस्य जो आजभी पैदा करता है डर 

राजस्थान के बाड़मेर जिले में थार के रेगिस्तान की गोद में बसा एक रहस्यमयी स्थान है — किराडू मंदिर परिसर। प्राचीन स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण, लेकिन जितना खूबसूरत ये मंदिर दिन में दिखाई देता है, उतना ही डरावना बन जाता है रात के सन्नाटे में। लोककथाओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद यहां रुकना निषेध माना गया है, और इसके पीछे छिपी है एक श्रापित कहानी, जो आज भी इस मंदिर को भारत के सबसे रहस्यमयी स्थानों में से एक बनाती है।


इतिहास की परतों में दबा किराडू मंदिर
किराडू मंदिर का इतिहास लगभग 11वीं से 12वीं शताब्दी का है। माना जाता है कि इसे परमार वंश या बाद में सोलंकी वंश के शासकों ने बनवाया था। मंदिर परिसर में कुल पांच मंदिर हैं, जिनमें से मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इन मंदिरों की शिल्पकला बेहद बारीक और अद्भुत है — जटिल नक्काशी, स्तंभों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, और पत्थरों पर उकेरे गए दृश्य किसी भी कला प्रेमी को मंत्रमुग्ध कर सकते हैं।लेकिन इतने भव्य और सांस्कृतिक महत्व के बावजूद, इस मंदिर की गिनती भारत के सबसे "हॉन्टेड" या भूतिया स्थलों में की जाती है। वजह है एक रहस्यमयी श्राप, जिसने सदियों से इस मंदिर को रहस्य और डर का पर्याय बना दिया है।

श्राप की कहानी: जब एक साधु ने दिया श्राप
लोककथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में एक तांत्रिक साधु कुछ समय के लिए किराडू में निवास करने आया। वह अपने साथियों और शिष्यों के साथ रहा और नगरवासियों ने उसका स्वागत भी किया। लेकिन जब साधु किसी तीर्थ पर गया, तो उसने अपने एक कमजोर और बीमार शिष्य की देखभाल नगरवासियों पर छोड़ी।जब वह लौटा तो देखा कि उसका शिष्य भूख और बीमारी से तड़पकर मर चुका है। साधु को यह विश्वास हो गया कि नगरवासियों ने उसके शिष्य की कोई सहायता नहीं की और मानवता के इस पतन से क्रोधित होकर उसने पूरे नगर को श्राप दे दिया — कि इस स्थान पर कोई जीवित नहीं बचेगा।श्राप के बाद नगर वीरान हो गया। किंवदंती कहती है कि एक महिला जो उस रात साधु के श्राप से अनजान थी, वह रात में किराडू में रुक गई। अगली सुबह, वह भी पत्थर की मूर्ति में बदल चुकी थी। यही कारण है कि आज भी यहां सूर्यास्त के बाद रुकना एक वर्जित बात मानी जाती है।

सच या कल्पना? रहस्य आज भी बरकरार है
कई इतिहासकार इस कथा को मात्र लोककथा या किंवदंती मानते हैं, लेकिन स्थानीय लोग आज भी इसे सत्य मानते हैं। किराडू के आस-पास रहने वाले ग्रामीण सूर्यास्त से पहले मंदिर छोड़ देते हैं, और पर्यटकों को भी शाम ढलने से पहले लौट जाने की सलाह दी जाती है।कई पर्यटकों और खोजी लोगों का दावा है कि उन्होंने वहां अजीब सी आवाजें, साए, और ऊर्जा महसूस की है। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अभी तक ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है जो यह साबित कर सके कि वास्तव में यहां कोई अलौकिक शक्ति है। लेकिन रहस्य और डर का यह मेल ही है जो किराडू को एक अनोखी पहचान देता है।

भले ही डरावना हो, लेकिन कला का अद्भुत खजाना है किराडू
किराडू मंदिर की शिल्पकला की तुलना अक्सर खजुराहो और कंबोडिया के अंगकोरवाट मंदिरों से की जाती है। इसके पत्थर इतने बारीकी से तराशे गए हैं कि हर मूर्ति में जीवन का स्पंदन झलकता है। यहां के स्तंभ, गर्भगृह और मंडप आज भी स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

पर्यटन की दृष्टि से एक छिपा हुआ रत्न
हालांकि यह स्थान अब धीरे-धीरे लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है, फिर भी यह राजस्थान के मुख्य पर्यटन स्थलों से थोड़ा अलग-थलग है। यदि आप रोमांच, रहस्य, इतिहास और कला के मिश्रण की तलाश में हैं, तो किराडू मंदिर आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकता है — बस सूरज ढलने से पहले लौट आइए।

निष्कर्ष: रहस्य और सौंदर्य का संगम
किराडू मंदिर न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, लोककथाओं और अलौकिक कहानियों का अनोखा संगम भी है। चाहे यह श्राप सच हो या केवल एक जनश्रुति, लेकिन यह स्थान आज भी लोगों के मन में डर, जिज्ञासा और रोमांच को एक साथ जगाता है। राजस्थान की गर्म रेत में छिपा यह मंदिर हमें याद दिलाता है कि हर सुंदर चीज के पीछे एक कहानी होती है — कभी कला की, तो कभी श्राप की।अगर आप एक अनोखा अनुभव लेना चाहते हैं, तो किराडू मंदिर की यात्रा जरूर करें — और उस रहस्य को महसूस करें, जो सदियों से वहां बसा है।

Share this story

Tags