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मोक्ष पाने के लिए 50 साल तक लिव इन में रहने वाले जोड़े ने की शादी

मध्‍य प्रदेश के पाइतपुरा गांव में रहने वाले 80 साल के सुख कुशवाहा और 75 साल की हरिया ने हाल ही में एक ऐसी मिसाल पेश की है, जो न सिर्फ समाज की रूढ़ियों को तोड़ती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्‍यार की कोई उम्र नहीं होती और आत्मिक शांति के लिए कभी भी सही निर्णय लिया जा सकता है।  इस जोड़े ने बीते 30 जून 2017 को अपने रिश्ते को वैधानिक और धार्मिक मान्यता देते हुए विधिवत शादी कर ली — लेकिन खास बात यह रही कि ये शादी एक या दो साल के प्रेम के बाद नहीं, बल्कि 50 साल के लिव-इन रिलेशनशिप के बाद हुई।  जब प्रेम ने समाज की सीमाएं लांघीं करीब पांच दशक पहले, सुख कुशवाहा और हरिया एक-दूसरे से प्रेम करने लगे थे। लेकिन उस दौर में, जब जात-पात, समाजिक परंपराएं और परिवार की मर्यादा किसी भी रिश्ते से ऊपर मानी जाती थीं, तब इस जोड़े के विवाह का परिवार ने कड़ा विरोध किया।  ऐसे में, दोनों ने बिना शादी किए साथ रहने का फैसला लिया। यह एक साहसिक निर्णय था, विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश में, जहां सामाजिक मान्यताएं बहुत सख्त होती हैं।  प्रेम से बना परिवार इन 50 वर्षों में हरिया और सुख कुशवाहा ने मिलकर एक खुशहाल परिवार खड़ा किया। उनके चार संतानें — दो बेटे और दो बेटियां हैं, जो आज अपने-अपने जीवन में सफल हैं। इस जोड़े की जिंदगी में किसी तरह की कमी नहीं थी, लेकिन फिर भी हरिया के मन में एक अधूरेपन की भावना थी।  मोक्ष की चिंता बनी विवाह की वजह उम्र के इस पड़ाव पर आकर, जब जीवन का अंतिम चरण सामने दिखाई देने लगा, तो सुख कुशवाहा और हरिया को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष कैसे प्राप्त होगा?  हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जब तक स्त्री और पुरुष वैवाहिक बंधन में नहीं बंधते, तब तक उनकी आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। यह विचार उनके मन में लगातार घर करने लगा और यहीं से शादी का विचार पक्का हो गया।  बच्चों ने बढ़ाया साथ जब हरिया और सुख ने अपने बच्चों से इस अंतिम इच्छा को साझा किया, तो बच्चों ने इस निर्णय को न सिर्फ स्वीकार किया, बल्कि शादी को धूमधाम से आयोजित भी किया।  पाइतपुरा गांव में यह शादी चर्चा का विषय बन गई। 80 साल की उम्र में दूल्हा बने सुख कुशवाहा ने सिर पर साफा बांधा और 75 साल की हरिया ने लाल साड़ी पहनकर शादी के हर रस्म को पूरी श्रद्धा के साथ निभाया।  समाज को दिया संदेश इस अनोखी शादी ने पूरे गांव और आस-पास के क्षेत्रों में एक सकारात्मक संदेश दिया। ये शादी इस बात का प्रमाण बनी कि कभी भी कुछ बदलना या सुधारना देर नहीं होता और जीवन की शांति, आत्म-संतोष और धर्मिक विश्वासों को महत्व देना भी उतना ही जरूरी है जितना सांसारिक रिश्तों को।

मध्‍य प्रदेश के पाइतपुरा गांव में रहने वाले 80 साल के सुख कुशवाहा और 75 साल की हरिया ने हाल ही में एक ऐसी मिसाल पेश की है, जो न सिर्फ समाज की रूढ़ियों को तोड़ती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्‍यार की कोई उम्र नहीं होती और आत्मिक शांति के लिए कभी भी सही निर्णय लिया जा सकता है।

इस जोड़े ने बीते 30 जून 2017 को अपने रिश्ते को वैधानिक और धार्मिक मान्यता देते हुए विधिवत शादी कर ली — लेकिन खास बात यह रही कि ये शादी एक या दो साल के प्रेम के बाद नहीं, बल्कि 50 साल के लिव-इन रिलेशनशिप के बाद हुई।

जब प्रेम ने समाज की सीमाएं लांघीं

करीब पांच दशक पहले, सुख कुशवाहा और हरिया एक-दूसरे से प्रेम करने लगे थे। लेकिन उस दौर में, जब जात-पात, समाजिक परंपराएं और परिवार की मर्यादा किसी भी रिश्ते से ऊपर मानी जाती थीं, तब इस जोड़े के विवाह का परिवार ने कड़ा विरोध किया।

ऐसे में, दोनों ने बिना शादी किए साथ रहने का फैसला लिया। यह एक साहसिक निर्णय था, विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश में, जहां सामाजिक मान्यताएं बहुत सख्त होती हैं।

प्रेम से बना परिवार

इन 50 वर्षों में हरिया और सुख कुशवाहा ने मिलकर एक खुशहाल परिवार खड़ा किया। उनके चार संतानें — दो बेटे और दो बेटियां हैं, जो आज अपने-अपने जीवन में सफल हैं। इस जोड़े की जिंदगी में किसी तरह की कमी नहीं थी, लेकिन फिर भी हरिया के मन में एक अधूरेपन की भावना थी।

मोक्ष की चिंता बनी विवाह की वजह

उम्र के इस पड़ाव पर आकर, जब जीवन का अंतिम चरण सामने दिखाई देने लगा, तो सुख कुशवाहा और हरिया को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष कैसे प्राप्त होगा?

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जब तक स्त्री और पुरुष वैवाहिक बंधन में नहीं बंधते, तब तक उनकी आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। यह विचार उनके मन में लगातार घर करने लगा और यहीं से शादी का विचार पक्का हो गया।

बच्चों ने बढ़ाया साथ

जब हरिया और सुख ने अपने बच्चों से इस अंतिम इच्छा को साझा किया, तो बच्चों ने इस निर्णय को न सिर्फ स्वीकार किया, बल्कि शादी को धूमधाम से आयोजित भी किया।

पाइतपुरा गांव में यह शादी चर्चा का विषय बन गई। 80 साल की उम्र में दूल्हा बने सुख कुशवाहा ने सिर पर साफा बांधा और 75 साल की हरिया ने लाल साड़ी पहनकर शादी के हर रस्म को पूरी श्रद्धा के साथ निभाया।

समाज को दिया संदेश

इस अनोखी शादी ने पूरे गांव और आस-पास के क्षेत्रों में एक सकारात्मक संदेश दिया। ये शादी इस बात का प्रमाण बनी कि कभी भी कुछ बदलना या सुधारना देर नहीं होता और जीवन की शांति, आत्म-संतोष और धर्मिक विश्वासों को महत्व देना भी उतना ही जरूरी है जितना सांसारिक रिश्तों को।

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