विजय स्तम्भ के साये में बसा चित्तौड़ का सबसे डरावना स्थल ‘जौहर कुंड’! जहाँ आज भी गूंजती है रानियों की दर्दनाक चीखे
राजस्थान की ऐतिहासिक धरा पर बसा चित्तौड़गढ़ न सिर्फ अपनी भव्यता और वीरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की एक जगह ऐसी भी है जो आज भी रहस्यों और खौफ से घिरी हुई है — जौहर कुंड। यह वही स्थान है, जो विजय स्तंभ के पास स्थित है, और जहां रानी पद्मिनी सहित हजारों राजपूत रानियों और स्त्रियों ने अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए जौहर किया था। वर्षों बीत जाने के बाद भी इस स्थान को लेकर कई कथाएं, किंवदंतियां और डरावने अनुभव लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।
इतिहास की ज्वाला, जो आज भी ठंडी नहीं हुई
13वीं और 14वीं शताब्दी के दौरान जब चित्तौड़गढ़ पर अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया, तब रानी पद्मिनी और अन्य रानियों ने राजपूत गौरव और धर्म की रक्षा के लिए अग्नि कुंड में कूदकर जौहर किया था। उस जौहर कुंड में हजारों स्त्रियों ने एक साथ अपने प्राण त्याग दिए, ताकि उनकी पवित्रता पर कोई आंच न आए। इस ऐतिहासिक घटना ने पूरे भारतवर्ष में चित्तौड़गढ़ को एक वीरता और बलिदान का प्रतीक बना दिया।
वीरता के इस प्रतीक स्थल में क्यों है भय का माहौल?
इतिहास जितना गौरवशाली रहा है, उतना ही यह स्थान आज डरावना और वीरान महसूस होता है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों का मानना है कि रात के समय यहां से अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं। कई बार ऐसा लगता है जैसे कोई स्त्रियाँ रो रही हों, चीख रही हों, या कोई उन्हें पुकार रहा हो। रात को इस स्थान के पास जाने की मनाही है और गार्ड्स भी सूरज ढलने के बाद इस तरफ जाने से मना कर देते हैं।
डरावनी घटनाएं और अनुभव
कई पर्यटक जो दिन के समय वहां गए हैं, उन्होंने बताया कि वहां अचानक वातावरण भारी हो जाता है, और एक अजीब सी उदासी महसूस होती है। कुछ लोगों ने यहां तस्वीरें खींचते समय कैमरे के खराब होने, मोबाइल का अचानक बंद हो जाना या तस्वीरों में धुंधली आकृतियाँ दिखने की बात कही है। कई बार, महिलाओं को लगता है जैसे कोई उनका पीछा कर रहा हो या उनकी साड़ी खींच रहा हो — हालांकि आसपास कोई नहीं होता।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण बनाम जनविश्वास
जहां वैज्ञानिक और इतिहासकार इन बातों को मानसिक भ्रम और स्थान की भयावह ऐतिहासिक स्मृति से जोड़ते हैं, वहीं स्थानीय जनमानस इसे आत्माओं की उपस्थिति का प्रमाण मानता है। कई लोग तो इसे पवित्र आत्माओं का स्थान भी मानते हैं, जो आज भी अपने सम्मान की रक्षा में वहीं मौजूद हैं।
वर्तमान में स्थिति
चित्तौड़गढ़ का किला हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन जौहर कुंड के पास जाने वाले बहुत कम लोग होते हैं। प्रशासन ने भी वहां सूचना पट्ट लगा रखे हैं और वहां रात में प्रवेश वर्जित है। यह स्थान न केवल डरावना है, बल्कि यह आत्मचिंतन का भी स्थल है — जहाँ जाकर व्यक्ति भारतीय नारी की अद्वितीय वीरता और आत्मबल को महसूस कर सकता है।

