Samachar Nama
×

सावधान! इस देश में पान थूकने पर लगेगा 13,000 से अधिक का जुर्माना

ccccc

भारत में पान खाना एक परंपरा की तरह देखा जाता है। विशेषकर उत्तर भारत और पूर्वी भारत के कई इलाकों में पान खाना सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। शादी, त्योहार, मेहमान नवाज़ी—हर मौके पर पान पेश किया जाता है। लेकिन इस स्वाद के पीछे एक ऐसी आदत छुपी है जो देश से बाहर जाकर बड़ी मुश्किलों में डाल सकती है—और वो है सार्वजनिक जगहों पर पान थूकना।

हाल ही में ब्रिटेन के लिसेस्टर (Leicester) शहर में रह रहे भारतीयों को इस आदत की कीमत चुकानी पड़ी है। वहां की पुलिस ने स्पष्ट चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति सड़कों पर पान थूकते पकड़ा गया तो उसे 150 पाउंड यानी करीब 13,500 रुपये तक जुर्माना भरना पड़ेगा।

पान संस्कृति और भारत की समस्या

भारत में पान खाना जितना आम है, उतना ही आम है इसे खाने के बाद सड़कों, दीवारों या गली के कोनों पर थूकना। शायद ही किसी भारतीय शहर या रेलवे स्टेशन की दीवार हो जिस पर पान की पीक के निशान न मिलते हों। इस कारण न केवल सार्वजनिक जगहें गंदी होती हैं बल्कि कई बीमारियों का भी खतरा बना रहता है।

लेकिन भारत में इस पर कोई सख्त रोक नहीं लगाई जाती, जिससे लोगों की आदतें बिगड़ चुकी हैं।

लिसेस्टर में क्या हुआ?

ब्रिटेन के लिसेस्टर शहर में भारतीय मूल के काफी लोग रहते हैं, खासकर गुजराती समुदाय की बड़ी संख्या यहां निवास करती है। हाल के दिनों में यह देखने को मिला कि कुछ लोग पान खाकर सड़कों पर थूकने लगे, जिससे शहर की साफ-सफाई और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा।

इसके बाद लिसेस्टर पुलिस ने एक सख्त चेतावनी बोर्ड लगाया। यह बोर्ड इंग्लिश और गुजराती दोनों भाषाओं में है, ताकि संदेश स्पष्ट रूप से समुदाय विशेष तक पहुंच सके।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ साइनबोर्ड

इस चेतावनी का एक साइनबोर्ड सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। बोर्ड पर लिखा गया है:

"सड़क पर पान थूकना अस्वच्छ और असामाजिक है। सभी नागरिकों, विशेष रूप से गुजरातियों को चेतावनी दी जाती है कि ऐसा करने पर उन्हें 150 पाउंड जुर्माना भरना पड़ेगा।"

बोर्ड की भाषा से यह स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन इस विषय को सिर्फ साफ-सफाई नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा मानता है।

क्या भारत से बाहर भी जाती हैं हमारी आदतें?

यह घटना एक बड़ा सामाजिक प्रश्न खड़ा करती है—क्या हम भारत से बाहर जाकर भी अपनी असंवेदनशील आदतें छोड़ नहीं पाते? भारत में भले ही पान थूकने पर कोई कार्रवाई न हो, लेकिन विदेशी देशों में नियम और कानून का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा मिलती है।

ब्रिटेन जैसे विकसित देश में जहां साफ-सफाई और अनुशासन को बहुत गंभीरता से लिया जाता है, वहां इस तरह की आदतों को अस्वीकार्य माना जाता है।

प्रवासी भारतीयों की जिम्मेदारी

दुनिया भर में भारत की छवि बनाने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका अहम होती है। ऐसे में यदि उनकी वजह से कोई शहर गंदा होता है या वहां की व्यवस्था बिगड़ती है, तो इसका असर सिर्फ व्यक्ति विशेष पर नहीं, बल्कि पूरे समुदाय और देश की छवि पर पड़ता है।

पान खाना कोई अपराध नहीं है, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैलाना जरूर अपराध है—चाहे वह भारत हो या विदेश।

भारत में क्यों नहीं लागू होते ऐसे कड़े नियम?

भारत में भी समय-समय पर पब्लिक प्लेस पर थूकने पर जुर्माना लगाने की घोषणाएं होती रही हैं। कई महानगरों में नगरपालिका द्वारा बोर्ड लगाए जाते हैं—“यहां थूकना मना है। जुर्माना ₹500।” लेकिन ये चेतावनी अक्सर कागजों तक ही सीमित रहती है। न तो कोई निगरानी होती है, न जुर्माने की वसूली।

अगर भारत में भी लंदन जैसी सख्ती दिखाई जाए, तो शायद आने वाले दिनों में हमारी सार्वजनिक जगहें और रेलवे स्टेशन भी साफ-सुथरे नजर आएं।

विदेशी कानून कितने सख्त हैं?

भारत से बाहर कई देशों में पब्लिक स्पेस पर थूकना अपराध की श्रेणी में आता है। कुछ उदाहरण:

  • सिंगापुर: पब्लिक स्पेस पर थूकने पर भारी जुर्माना, दोहराव पर जेल

  • दुबई: सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर ₹10,000 तक का जुर्माना

  • जापान: थूकना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सामाजिक रूप से भी अत्यंत निंदनीय

ऐसे में भारतीय नागरिकों को अपने व्यवहार में समय रहते बदलाव लाना ज़रूरी है।

समाधान क्या हो सकता है?

  1. जनजागरूकता अभियान: सरकार और स्थानीय निकायों को लोगों में साफ-सफाई को लेकर गंभीरता पैदा करनी होगी।

  2. स्कूल स्तर पर शिक्षा: साफ-सफाई और सार्वजनिक स्थानों की गरिमा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

  3. कड़े कानून और निगरानी: थूकने वालों पर ऑन-द-स्पॉट चालान और जुर्माना लगाया जाए।

  4. भारत में भी ड्यूल लैंग्वेज बोर्ड: स्थानीय भाषाओं में चेतावनी बोर्ड लगाकर प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।

निष्कर्ष

ब्रिटेन के लिसेस्टर शहर में लगाया गया चेतावनी बोर्ड एक सीधा संदेश है—आपकी आदतें जहां जाती हैं, वहां आपकी पहचान बन जाती हैं। पान खाना संस्कृति हो सकती है, लेकिन सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाना कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकता।

समय आ गया है कि हम सिर्फ अपनी प्लेट ही नहीं, अपने व्यवहार को भी साफ करें। अगर हमें अपने देश की छवि सुधारनी है, तो शुरुआत अपने आसपास से करनी होगी—पान थूकना बंद करके।

Share this story

Tags