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12 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर में रखी है सिकंदर के जमाने की तलवार

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भारत भूमि पर रहस्य कोई नई बात नहीं है। यहां हर प्रदेश, हर क्षेत्र में कोई न कोई ऐसा स्थान जरूर है जो अपने भीतर सदियों पुरानी कहानियों और अनसुलझे रहस्यों को छुपाए हुए है। ऐसा ही एक स्थान है हिमाचल प्रदेश का मलाणा गांव, जो न सिर्फ अपने अनोखे रीति-रिवाजों, अनजानी भाषा और अलग जीवनशैली के लिए जाना जाता है, बल्कि यह दावा भी करता है कि यहां के लोग यूनान के सम्राट सिकंदर महान के वंशज हैं।

कहां स्थित है मलाणा गांव?

मलाणा गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में स्थित है। यह गांव समुद्र तल से करीब 2,652 मीटर (8700 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और चारों ओर से बर्फ से ढके हिमालय की चोटियों और गहरी घाटियों से घिरा हुआ है। गांव की आबादी लगभग 1700 के आसपास है। यह स्थान देश-विदेश के पर्यटकों के बीच बेहद प्रसिद्ध है, लेकिन यहां तक पहुंचना आसान नहीं है। मलाणा तक कोई सीधी सड़क नहीं जाती। यहां पहुंचने के लिए कई किलोमीटर लंबी खड़ी और संकरी पगडंडियों से होकर गुजरना पड़ता है।

अनोखी भाषा: कनाशी

मलाणा गांव की सबसे बड़ी खासियत है यहां बोली जाने वाली रहस्यमयी भाषा "कनाशी"। यह भाषा ना सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया में कहीं और नहीं बोली जाती। यहां के लोग इस भाषा को पवित्र मानते हैं और बाहरी लोगों को इसे सिखाना सख्त मना है। भाषा विशेषज्ञों और इतिहासकारों के अनुसार कनाशी भाषा में तिब्बती, संस्कृत और प्राचीन यूनानी भाषा के शब्दों की झलक मिलती है, जो इसे और रहस्यमय बनाती है। इस भाषा पर कई देशों के भाषाविदों और शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है, लेकिन अभी तक इसके मूल का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है।

सिकंदर महान का संबंध: क्या सच में हैं वंशज?

मलाणा गांव के लोगों का दावा है कि वे यूनान के सम्राट सिकंदर महान के सैनिकों के वंशज हैं। कहा जाता है कि जब सिकंदर ने ईसा पूर्व 326 में भारत पर आक्रमण किया, तो युद्ध के बाद कुछ सैनिक हिमालय की ओर भाग निकले और यहीं मलाणा गांव में बस गए।माना जाता है कि इस कठिन भूगोल और अलग-थलग वातावरण ने इन सैनिकों को बाहरी दुनिया से काट दिया और उन्होंने यहीं की संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाया। हालांकि इस दावे की ऐतिहासिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन मलाणा के लोगों की शारीरिक बनावट, तीखी नाक-नक्श, गहरी आंखें और लंबा कद कहीं न कहीं इस कथा को बल देते हैं।

मंदिर में रखी सिकंदर के समय की तलवार

गांव में स्थित एक प्राचीन देवता जमलू रिषि का मंदिर भी इस रहस्य को और गहराता है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर में सिकंदर के जमाने की एक तलवार आज भी सुरक्षित रखी गई है। यह तलवार पीढ़ियों से गांव की धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा मानी जाती है। यह मंदिर आम लोगों के लिए खुला नहीं होता, और इसे छूना या इसके अंदर प्रवेश करना बाहरी लोगों के लिए मना है। मलाणा के लोग अपनी संस्कृति को लेकर बेहद संरक्षणवादी और संवेदनशील हैं।

अनोखे नियम और बाहरी लोगों से दूरी

मलाणा को "भारत का सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक गांव" भी कहा जाता है। यहां का सामाजिक और न्यायिक तंत्र बहुत अलग है। गांव में "जमलू देवता" के आदेशों से फैसले होते हैं। मलाणा में बाहरी लोगों से दूरी बनाए रखने का एक सख्त नियम है। यहां तक कि बाहरी लोग किसी चीज़ को छू नहीं सकते, अगर छूते हैं तो उसे शुद्ध करने के लिए देसी घी से धोया जाता है। यहां का प्रशासनिक ढांचा भी अद्वितीय है – दो सदनों वाला लोकसभा और राज्यसभा जैसी संरचना यहां देखने को मिलती है, जिसमें स्थानीय विवादों का निपटारा पारंपरिक तरीके से होता है।

मलाणा क्रीम और पर्यटन विवाद

मलाणा गांव "मलाणा क्रीम" नामक उच्च गुणवत्ता की चरस के लिए भी दुनिया भर में कुख्यात है। यह विवादास्पद पहचान इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच चर्चित बनाती है, लेकिन गांव वाले अपनी परंपरा और नियमों में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं चाहते।

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