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61 साल की उम्र में दादी ने दिया पोती को जन्म, जानिए कैसे हुआ ये कारनामा

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क्या किसी महिला के लिए 61 साल की उम्र में मां बनना संभव हो सकता है? शायद बहुत से लोग इस सवाल का जवाब नकारात्मक रूप में देंगे, क्योंकि आमतौर पर माना जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ महिला की प्रजनन क्षमता घटने लगती है। लेकिन एक अनोखी और चौंका देने वाली घटना ने इस सोच को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। अमेरिका के नेब्रास्का शहर में एक महिला ने 61 साल की उम्र में आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के जरिए एक बच्ची को जन्म दिया। यही नहीं, इस बच्ची को जन्म देने के बाद वह न केवल मां बनीं, बल्कि अपनी ही पोती की दादी भी बन गईं।

यह घटना पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है और लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वास्तव में अब कोई भी उम्र सीमा महिला को मां बनने से रोक सकती है। इस महिला का नाम सेसिल रेनेक एजेल है और उन्होंने अपने बेटे के स्पर्म और उसके पार्टनर की बहन के अंडाणु का इस्तेमाल करके अपनी पोती को जन्म दिया। इस अनोखी प्रक्रिया को समझने से पहले, आइए जानते हैं कि कैसे यह सब हुआ और इसके पीछे क्या कारण था।

सेसिल रेनेक एजेल का अनोखा फैसला

सेसिल रेनेक एजेल, जो कि नेब्रास्का के एक छोटे से शहर में रहती हैं, ने 25 मार्च को एक बच्ची को जन्म दिया। यह बच्ची उनके बेटे की बेटी है, यानी उनकी पोती। लेकिन यह मामला सामान्य नहीं था, क्योंकि सेसिल ने अपनी पोती को जन्म देने के लिए आईवीएफ तकनीक का सहारा लिया, जिससे वह केवल एक मां नहीं बनीं, बल्कि एक दादी भी बन गईं। इस प्रक्रिया के पीछे एक दिलचस्प और भावनात्मक कहानी है, जो सेसिल और उनके परिवार की इच्छा और प्यार को दर्शाती है।

सेसिल के बेटे मैथ्यू समलैंगिक हैं और वह और उनके पार्टनर अपने परिवार को बढ़ाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपने बच्चे का सपना पूरा करने के लिए आईवीएफ तकनीक का सहारा लिया, लेकिन एक बड़ा सवाल सामने आया। मैथ्यू और उनके पार्टनर के लिए बच्चा पैदा करना आसान नहीं था, क्योंकि मैथ्यू के पार्टनर की उम्र अधिक थी और पारंपरिक तरीका अपनाना संभव नहीं था। इसलिए मैथ्यू और उनके परिवार ने अपनी बहन के अंडाणु को डोनेशन के रूप में लिया, जिससे आईवीएफ प्रक्रिया पूरी हुई।

आईवीएफ प्रक्रिया और परिवार का समर्थन

आईवीएफ के जरिए बच्चा पैदा करना कोई आसान प्रक्रिया नहीं है, खासकर जब महिला की उम्र 60 साल से ऊपर हो। सेसिल ने इस प्रक्रिया को अपनाने से पहले बहुत से शारीरिक और मानसिक परीक्षणों का सामना किया। उन्हें यह सुनिश्चित करना था कि वह इस उम्र में स्वस्थ हैं और प्रेगनेंसी की शारीरिक चुनौतियों का सामना कर सकती हैं। आईवीएफ प्रक्रिया के तहत सेसिल को बहुत सी चिकित्सकीय जांचों से गुजरना पड़ा, जिनमें हार्मोनल और शारीरिक परीक्षण शामिल थे। इन परीक्षणों के बाद ही उन्हें सरोगेसी के लिए तैयार किया गया।

सेसिल रेनेक एजेल की स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह था कि उनकी उम्र इस प्रक्रिया के लिए कितनी उपयुक्त है। लेकिन उनकी जांचों ने यह साबित किया कि वह इस प्रक्रिया के लिए शारीरिक रूप से सक्षम हैं। इसके बाद सेसिल ने अपनी पोती को जन्म देने का फैसला किया, और यह फैसला उनके परिवार के लिए एक भावनात्मक और प्यार भरा कदम था।

सेसिल की खुशी और मातृत्व का अहसास

सेसिल ने 30 साल पहले भी एक बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन अब, 61 साल की उम्र में, वह अपनी पोती को जन्म देने में सफल हुई हैं। यह न केवल एक चिकित्सा चमत्कारी घटना थी, बल्कि एक मानवीय और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी एक अद्वितीय अनुभव था। सेसिल का कहना है कि इस अनुभव ने उन्हें अपने जीवन में एक नया उद्देश्य और खुशी दी है।

सेसिल ने अपनी खुशी का इज़हार करते हुए कहा, "यह मेरे लिए एक नया अनुभव है, और मैं बहुत खुश हूं कि मैं अपनी पोती को जन्म दे सकी। यह मेरी जिंदगी का सबसे खास पल है।" सेसिल के परिवार के लोग भी इस घटना से बहुत खुश हैं, और उनका मानना है कि यह परिवार की विशेषता और प्यार को दर्शाता है।

समाज की प्रतिक्रिया और चिकित्सा दृष्टिकोण

हालांकि, इस घटना ने कई लोगों को चौंका दिया, लेकिन समाज में इस तरह की घटनाएं अब ज्यादा असामान्य नहीं हैं। आईवीएफ तकनीक और सरोगेसी के माध्यम से आजकल बहुत से लोग उम्र के विभिन्न पड़ावों में मां बन सकते हैं, और यह चिकित्सा विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। हालांकि, 60 साल की उम्र में मां बनना एक चुनौतीपूर्ण और असामान्य घटना है, लेकिन इसने यह साबित कर दिया कि अगर शारीरिक और मानसिक रूप से महिला सक्षम है, तो उसे मां बनने से रोकने वाली कोई उम्र सीमा नहीं हो सकती।

चिकित्सकीय दृष्टिकोण से, 61 साल की उम्र में गर्भधारण करना काफी जोखिम भरा हो सकता है, और इस पर कई विशेषज्ञों की अलग-अलग राय हो सकती है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि इस उम्र में मां बनने से मां और बच्चे दोनों के लिए कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यदि महिला शारीरिक रूप से स्वस्थ है और चिकित्सकीय निगरानी में है, तो यह प्रक्रिया सफल हो सकती है।

क्या आईवीएफ तकनीक से उम्र की सीमा को चुनौती दी जा सकती है?

आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक ने आजकल बहुत सी महिलाओं को मां बनने का अवसर दिया है, जिनकी प्राकृतिक प्रजनन क्षमता समाप्त हो चुकी है। यह तकनीक महिलाओं को एक नई उम्मीद देती है, लेकिन इस प्रक्रिया में सफलता और जोखिम दोनों हो सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, आईवीएफ तकनीक ने यह साबित किया है कि महिलाओं के लिए उम्र की सीमा अब उतनी महत्वपूर्ण नहीं रही, जितनी पहले थी।

आईवीएफ और सरोगेसी के जरिए मां बनने की प्रक्रिया से यह भी स्पष्ट हो गया है कि अब परिवार बढ़ाने के लिए अधिक पारंपरिक तरीकों से हटकर आधुनिक विज्ञान का सहारा लिया जा सकता है। इसके बावजूद, यह महत्वपूर्ण है कि सभी महिलाएं इस प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति और चिकित्सकीय सलाह को गंभीरता से समझें।

निष्कर्ष

61 साल की सेसिल रेनेक एजेल की कहानी ने दुनिया को यह दिखा दिया कि एक महिला की मां बनने की प्रक्रिया उम्र से बंधी नहीं हो सकती। आईवीएफ और सरोगेसी जैसी तकनीकें न केवल चिकित्सा विज्ञान की सफलता हैं, बल्कि उन्होंने समाज की सोच को भी बदलने का काम किया है। सेसिल और उनके परिवार के लिए यह घटना न केवल एक चिकित्सा चमत्कारी घटना थी, बल्कि यह उनके प्यार, विश्वास और साहस का भी प्रतीक बन गई है।

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