'क्या आपको होगा यकीन....' यहां देवी ओ भक्तों द्वारा चढ़ाई जाती है हजारों लीटर व्हिस्की, जानिए कहा है ये अनोखा धाम ?

मध्य प्रदेश की धरती पर स्थित मंदिरों में एक मंदिर ऐसा भी है जो अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यों के कारण सदियों से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। यह मंदिर काल भैरव का है, जिन्हें स्थानीय लोग व्हिस्की देवी भी कहते हैं। शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह शहर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जहां हर दिन सैकड़ों भक्त आते हैं। इस मंदिर की कहानी इतनी रोचक और रहस्यमयी है कि इसे जानने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
एक अनोखी परंपरा
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां की पूजा पद्धति है। यहां मदिरा का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और स्थानीय लोगों का मानना है कि बाबा काल भैरव इस भोग को सहर्ष स्वीकार करते हैं। इस अनोखी परंपरा के कारण ही इस मंदिर को व्हिस्की देवी के नाम से जाना जाता है। शिव के क्रोधित रूप माने जाने वाले काल भैरव को मदिरा बहुत प्रिय है। इसलिए इस मंदिर में मदिरा का भोग लगाया जाता है।
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि यह मंदिर राजा विक्रमादित्य के शासनकाल से भी पुराना है। मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण एक योगी ने करवाया था, जबकि कुछ का मानना है कि यह मंदिर अपने आप प्रकट हुआ था।
धार्मिक महत्व और विवाद
इस मंदिर का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में आने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं। हालांकि, इस मंदिर से जुड़ी यह अनोखी परंपरा कई बार विवादों में रही है। कुछ लोग इस परंपरा को अंधविश्वास मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे धर्म का हिस्सा मानते हैं। इस मंदिर की चर्चा कई बार अखबारों और टीवी चैनलों पर भी हो चुकी है।
अनसुलझा रहस्य
आज भी इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं, जिनका खुलासा नहीं हो पाया है। यह मंदिर आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अगर आप मध्य प्रदेश की यात्रा पर जा रहे हैं, तो इस मंदिर में जरूर जाएं। इस मंदिर में हर दिन हजारों लीटर शराब चढ़ाई जाती है। मंदिर के पुजारी का दावा है कि यह शराब गायब हो जाती है। वैज्ञानिकों ने भी इस रहस्य को सुलझाने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन अभी तक कोई भी सफल नहीं हो पाया है।