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 इस गांव के लिए मसीहा बन गया एक इंजीनियर, सूरज बनाकर दी रोशनी

कई महीनों तक अंधेरे में रहने वाले इस गांव के लिए मसीहा बन गया एक इंजीनियर, सूरज बनाकर दी रोशनी

जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। लेकिन व्यक्ति हमेशा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चीजों को ढाल लेता है। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई महीनों तक सूरज की रोशनी गायब रहती थी, लेकिन एक इंजीनियर इस गांव के लिए मसीहा बन गया और उसने गांव में सूरज बनाकर स्थापित कर दिया। जुगाड़ से बनाया गया यह सूरज अब साल के बारह महीने इस गांव को रोशन करता है। दरअसल, इटली में विगालेना नाम का एक गांव है जो ऊंचे पहाड़ों के बीच तलहटी में बसा है।

पहाड़ों के कारण इस गांव तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती थी। इटली के मिलान शहर के उत्तर में स्थित यह गांव यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर एक घाटी में स्थित है। इस गांव में केवल 200 लोग रहते हैं। नवंबर से फरवरी तक यहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता। क्योंकि पहाड़ों के कारण यह रोशनी गांव तक नहीं पहुंच पाती थी। लोगों की समस्या को देखते हुए गांव के एक आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने इसका हल निकाला। इंजीनियर ने गांव के मेयर की मदद से विगालेना गांव के लिए एक कृत्रिम सूर्य बनाया।

आपको बता दें कि यह गांव साल के तीन महीने अंधेरे में डूबा रहता था, लेकिन अब यहां सूरज की रोशनी पहुंचती है। इस गांव के लोग सूर्य की रोशनी न मिलने के कारण बहुत परेशान थे। उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। गांव के एक वास्तुकार और इंजीनियर ने इस समस्या का समाधान ढूंढा और एक कृत्रिम सूर्य बनाया। दरअसल, वर्ष 2006 में इंजीनियर ने गांव के मेयर की मदद से पहाड़ों की चोटी पर 40 वर्ग किलोमीटर का शीशा लगवाया था।


कांच इस तरह लगाया गया था कि उस पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी परावर्तित होकर सीधे गांव पर पड़े। पहाड़ की चोटी पर लगा यह दर्पण अब गांव को प्रतिदिन 6 घंटे तक रोशन करता है। इस ग्लास का वजन लगभग 1.1 टन है और इसकी कीमत 1 लाख यूरो है। इस काम में तकनीक की भी मदद ली गई है, पहाड़ पर लगे दर्पणों को कंप्यूटर से नियंत्रित किया जाता है।

अपना स्वयं का सूर्य बनाने के बाद विगालेना गांव पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया। इसके बाद कई पर्यटक इस गांव में यह देखने के लिए पहुंचने लगे कि इस गांव ने किस तरह अपना सूरज बनाया है। विगालेना गांव के मेयर पियरफ्रैंको मादाली का कहना है कि इस कृत्रिम सूरज का विचार किसी वैज्ञानिक का नहीं बल्कि एक आम इंसान का है।यह विचार तब सामने आया जब लोग सर्दियों के मौसम में सूर्य की रोशनी की कमी के कारण घर के अंदर रहने लगे। ठण्ड और अँधेरे के कारण शहर बंद हो जाता था। इसके बाद करीब 87 लाख रुपये की लागत से कृत्रिम सूरज तैयार किया गया। अब सर्दियों के मौसम में भी गांव में सूर्य की रोशनी पहुंचती है।

जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। लेकिन व्यक्ति हमेशा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चीजों को ढाल लेता है। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई महीनों तक सूरज की रोशनी गायब रहती थी, लेकिन एक इंजीनियर इस गांव के लिए मसीहा बन गया और उसने गांव में सूरज बनाकर स्थापित कर दिया। जुगाड़ से बनाया गया यह सूरज अब साल के बारह महीने इस गांव को रोशन करता है। दरअसल, इटली में विगालेना नाम का एक गांव है जो ऊंचे पहाड़ों के बीच तलहटी में बसा है।

पहाड़ों के कारण इस गांव तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती थी। इटली के मिलान शहर के उत्तर में स्थित यह गांव यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर एक घाटी में स्थित है। इस गांव में केवल 200 लोग रहते हैं। नवंबर से फरवरी तक यहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता। क्योंकि पहाड़ों के कारण यह रोशनी गांव तक नहीं पहुंच पाती थी। लोगों की समस्या को देखते हुए गांव के एक आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने इसका हल निकाला। इंजीनियर ने गांव के मेयर की मदद से विगालेना गांव के लिए एक कृत्रिम सूर्य बनाया।

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कांच इस तरह लगाया गया था कि उस पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी परावर्तित होकर सीधे गांव पर पड़े। पहाड़ की चोटी पर लगा यह दर्पण अब गांव को प्रतिदिन 6 घंटे तक रोशन करता है। इस ग्लास का वजन लगभग 1.1 टन है और इसकी कीमत 1 लाख यूरो है। इस काम में तकनीक की भी मदद ली गई है, पहाड़ पर लगे दर्पणों को कंप्यूटर से नियंत्रित किया जाता है।


अपना स्वयं का सूर्य बनाने के बाद विगालेना गांव पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया। इसके बाद कई पर्यटक इस गांव में यह देखने के लिए पहुंचने लगे कि इस गांव ने किस तरह अपना सूरज बनाया है। विगालेना गांव के मेयर पियरफ्रैंको मादाली का कहना है कि इस कृत्रिम सूरज का विचार किसी वैज्ञानिक का नहीं बल्कि एक आम इंसान का है।

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यह विचार तब सामने आया जब लोग सर्दियों के मौसम में सूर्य की रोशनी की कमी के कारण घर के अंदर रहने लगे। ठण्ड और अँधेरे के कारण शहर बंद हो जाता था। इसके बाद करीब 87 लाख रुपये की लागत से कृत्रिम सूरज तैयार किया गया। अब सर्दियों के मौसम में भी गांव में सूर्य की रोशनी पहुंचती है।

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पहाड़ों के कारण इस गांव तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती थी। इटली के मिलान शहर के उत्तर में स्थित यह गांव यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर एक घाटी में स्थित है। इस गांव में केवल 200 लोग रहते हैं। नवंबर से फरवरी तक यहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता। क्योंकि पहाड़ों के कारण यह रोशनी गांव तक नहीं पहुंच पाती थी। लोगों की समस्या को देखते हुए गांव के एक आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने इसका हल निकाला। इंजीनियर ने गांव के मेयर की मदद से विगालेना गांव के लिए एक कृत्रिम सूर्य बनाया।

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जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। लेकिन व्यक्ति हमेशा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चीजों को ढाल लेता है। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई महीनों तक सूरज की रोशनी गायब रहती थी, लेकिन एक इंजीनियर इस गांव के लिए मसीहा बन गया और उसने गांव में सूरज बनाकर स्थापित कर दिया। जुगाड़ से बनाया गया यह सूरज अब साल के बारह महीने इस गांव को रोशन करता है। दरअसल, इटली में विगालेना नाम का एक गांव है जो ऊंचे पहाड़ों के बीच तलहटी में बसा है।

पहाड़ों के कारण इस गांव तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती थी। इटली के मिलान शहर के उत्तर में स्थित यह गांव यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर एक घाटी में स्थित है। इस गांव में केवल 200 लोग रहते हैं। नवंबर से फरवरी तक यहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता। क्योंकि पहाड़ों के कारण यह रोशनी गांव तक नहीं पहुंच पाती थी। लोगों की समस्या को देखते हुए गांव के एक आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने इसका हल निकाला। इंजीनियर ने गांव के मेयर की मदद से विगालेना गांव के लिए एक कृत्रिम सूर्य बनाया।

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कांच इस तरह लगाया गया था कि उस पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी परावर्तित होकर सीधे गांव पर पड़े। पहाड़ की चोटी पर लगा यह दर्पण अब गांव को प्रतिदिन 6 घंटे तक रोशन करता है। इस ग्लास का वजन लगभग 1.1 टन है और इसकी कीमत 1 लाख यूरो है। इस काम में तकनीक की भी मदद ली गई है, पहाड़ पर लगे दर्पणों को कंप्यूटर से नियंत्रित किया जाता है।


अपना स्वयं का सूर्य बनाने के बाद विगालेना गांव पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया। इसके बाद कई पर्यटक इस गांव में यह देखने के लिए पहुंचने लगे कि इस गांव ने किस तरह अपना सूरज बनाया है। विगालेना गांव के मेयर पियरफ्रैंको मादाली का कहना है कि इस कृत्रिम सूरज का विचार किसी वैज्ञानिक का नहीं बल्कि एक आम इंसान का है।

शेर ने किया हमला तो भड़क गया जेब्रा, वीडियो में देखें कैसे सिखाया शिकारी को सबक

यह विचार तब सामने आया जब लोग सर्दियों के मौसम में सूर्य की रोशनी की कमी के कारण घर के अंदर रहने लगे। ठण्ड और अँधेरे के कारण शहर बंद हो जाता था। इसके बाद करीब 87 लाख रुपये की लागत से कृत्रिम सूरज तैयार किया गया। अब सर्दियों के मौसम में भी गांव में सूर्य की रोशनी पहुंचती है।

जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। लेकिन व्यक्ति हमेशा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चीजों को ढाल लेता है। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई महीनों तक सूरज की रोशनी गायब रहती थी, लेकिन एक इंजीनियर इस गांव के लिए मसीहा बन गया और उसने गांव में सूरज बनाकर स्थापित कर दिया। जुगाड़ से बनाया गया यह सूरज अब साल के बारह महीने इस गांव को रोशन करता है। दरअसल, इटली में विगालेना नाम का एक गांव है जो ऊंचे पहाड़ों के बीच तलहटी में बसा है।

पहाड़ों के कारण इस गांव तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती थी। इटली के मिलान शहर के उत्तर में स्थित यह गांव यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर एक घाटी में स्थित है। इस गांव में केवल 200 लोग रहते हैं। नवंबर से फरवरी तक यहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता। क्योंकि पहाड़ों के कारण यह रोशनी गांव तक नहीं पहुंच पाती थी। लोगों की समस्या को देखते हुए गांव के एक आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने इसका हल निकाला। इंजीनियर ने गांव के मेयर की मदद से विगालेना गांव के लिए एक कृत्रिम सूर्य बनाया।

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कांच इस तरह लगाया गया था कि उस पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी परावर्तित होकर सीधे गांव पर पड़े। पहाड़ की चोटी पर लगा यह दर्पण अब गांव को प्रतिदिन 6 घंटे तक रोशन करता है। इस ग्लास का वजन लगभग 1.1 टन है और इसकी कीमत 1 लाख यूरो है। इस काम में तकनीक की भी मदद ली गई है, पहाड़ पर लगे दर्पणों को कंप्यूटर से नियंत्रित किया जाता है।


अपना स्वयं का सूर्य बनाने के बाद विगालेना गांव पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया। इसके बाद कई पर्यटक इस गांव में यह देखने के लिए पहुंचने लगे कि इस गांव ने किस तरह अपना सूरज बनाया है। विगालेना गांव के मेयर पियरफ्रैंको मादाली का कहना है कि इस कृत्रिम सूरज का विचार किसी वैज्ञानिक का नहीं बल्कि एक आम इंसान का है।

शेर ने किया हमला तो भड़क गया जेब्रा, वीडियो में देखें कैसे सिखाया शिकारी को सबक

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जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। लेकिन व्यक्ति हमेशा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चीजों को ढाल लेता है। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई महीनों तक सूरज की रोशनी गायब रहती थी, लेकिन एक इंजीनियर इस गांव के लिए मसीहा बन गया और उसने गांव में सूरज बनाकर स्थापित कर दिया। जुगाड़ से बनाया गया यह सूरज अब साल के बारह महीने इस गांव को रोशन करता है। दरअसल, इटली में विगालेना नाम का एक गांव है जो ऊंचे पहाड़ों के बीच तलहटी में बसा है।

पहाड़ों के कारण इस गांव तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती थी। इटली के मिलान शहर के उत्तर में स्थित यह गांव यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर एक घाटी में स्थित है। इस गांव में केवल 200 लोग रहते हैं। नवंबर से फरवरी तक यहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता। क्योंकि पहाड़ों के कारण यह रोशनी गांव तक नहीं पहुंच पाती थी। लोगों की समस्या को देखते हुए गांव के एक आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने इसका हल निकाला। इंजीनियर ने गांव के मेयर की मदद से विगालेना गांव के लिए एक कृत्रिम सूर्य बनाया।

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कांच इस तरह लगाया गया था कि उस पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी परावर्तित होकर सीधे गांव पर पड़े। पहाड़ की चोटी पर लगा यह दर्पण अब गांव को प्रतिदिन 6 घंटे तक रोशन करता है। इस ग्लास का वजन लगभग 1.1 टन है और इसकी कीमत 1 लाख यूरो है। इस काम में तकनीक की भी मदद ली गई है, पहाड़ पर लगे दर्पणों को कंप्यूटर से नियंत्रित किया जाता है।


अपना स्वयं का सूर्य बनाने के बाद विगालेना गांव पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया। इसके बाद कई पर्यटक इस गांव में यह देखने के लिए पहुंचने लगे कि इस गांव ने किस तरह अपना सूरज बनाया है। विगालेना गांव के मेयर पियरफ्रैंको मादाली का कहना है कि इस कृत्रिम सूरज का विचार किसी वैज्ञानिक का नहीं बल्कि एक आम इंसान का है।

शेर ने किया हमला तो भड़क गया जेब्रा, वीडियो में देखें कैसे सिखाया शिकारी को सबक

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