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गिरगिट के रंग बदलने वाली कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी, जिसका मतलब होता है ‘बात-बात पर रंग बदलना’ या परिस्थिति के अनुसार अपनी सोच और रवैया बदल लेना। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि असल में गिरगिट कब और कैसे रंग बदलता है? चलिए आज हम आपको गिरगिट के रंग बदलने के विज्ञान और उसकी वजहों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

गिरगिट एक प्रकार की छिपकली होती है, जिसे अपनी त्वचा का रंग बदलने की अद्भुत क्षमता के लिए जाना जाता है। यह रंग बदलने की कला केवल इसे शिकारियों से बचाने के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के अनुरूप खुद को छिपाने और शिकार पकड़ने के लिए भी इस्तेमाल होती है। गिरगिट अपनी त्वचा के रंग को ऐसा बदल लेता है कि वह अपने आस-पास के वातावरण में घुल-मिल जाता है, जिससे उसे देख पाना मुश्किल हो जाता है।

गिरगिट के रंग बदलने के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। इसकी त्वचा में विशेष प्रकार की रंजक कोशिकाएं (chromatophores) पाई जाती हैं, जो शरीर के तापमान, मनोवैज्ञानिक स्थिति और हार्मोन्स के प्रभाव में रंग बदलने लगती हैं। ये कोशिकाएं शरीर के तापमान के अनुसार सिकुड़ती या फैलती हैं, जिससे रंग गहरा या हल्का हो जाता है। उदाहरण के तौर पर, जब तापमान कम होता है तो गिरगिट की त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और जब तापमान बढ़ता है तो वह हल्का हो जाता है।

इसके अलावा, गिरगिट अपने रंग को बदलकर अपनी भावनाओं और मिजाज का भी इजहार करता है। जब वह शांत होता है तो उसका रंग एक तरह का होता है, लेकिन जब वह डरा या उत्तेजित होता है तो उसका रंग पूरी तरह बदल जाता है। यह रंग बदलाव न केवल उसकी सुरक्षा के लिए होता है, बल्कि संवाद का भी एक तरीका होता है। यह रंग बदलाव गिरगिट को अपने साथियों को खतरे या अन्य संदेश देने में मदद करता है।

गिरगिट का रंग बदलने का एक और महत्वपूर्ण कारण है शिकार करना। जब गिरगिट अपने शिकार के पास जाता है, तो वह अपने रंग को आसपास के वातावरण के रंग में बदल लेता है ताकि शिकार उसे पहचान न सके। यह छिपने और शिकार पकड़ने की उसकी रणनीति है। ऐसे में गिरगिट आसानी से अपने शिकार के करीब जाकर उसे पकड़ लेता है।

गिरगिट के रंग बदलने का यह अद्भुत तरीका हमें प्रकृति की अद्भुतता और विविधता का एहसास कराता है। इसकी त्वचा में पीली, गहरी भूरी, काले और सफेद रंगों के संयोजन से वह अपने आस-पास के माहौल के अनुरूप रंग बदल लेता है। यह प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है, जिससे गिरगिट को समय पर अपने पर्यावरण के अनुसार खुद को अनुकूलित करने में मदद मिलती है।

इस तरह, गिरगिट का रंग बदलना केवल एक प्राकृतिक जादू नहीं, बल्कि जीव विज्ञान का एक जटिल और रोचक विषय है। यह हमें बताता है कि प्रकृति में जीव अपने आप को सुरक्षित रखने और जीवन यापन के लिए कैसे विकसित हुए हैं। गिरगिट की यह कला हमें जीवन में लचीलापन और परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालने की सीख भी देती है।

तो अगली बार जब आप कहें कि कोई "गिरगिट की तरह रंग बदल रहा है," तो समझिए कि यह कहावत केवल मजाक नहीं, बल्कि प्राकृतिक सत्य पर आधारित है। गिरगिट की तरह हमें भी जीवन में परिस्थितियों के अनुसार खुद को अनुकूलित करना चाहिए, लेकिन बिना अपनी असल पहचान खोए। प्रकृति ने गिरगिट को जो कला दी है, उससे हम सभी कुछ सीख सकते हैं — सुरक्षा, अनुकूलन और सूझ-बूझ के साथ अपने जीवन को बेहतर बनाना।

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