
कुष्ठ रोग एक ऐसा रोग है जिसका इलाज संभव है, लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी कई बार यह रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता। कुष्ठ रोग एक बहुत बुरी बीमारी मानी जाती है। इसके पीड़ितों को समाज से अलग-थलग करने की प्रथा सदियों से चली आ रही है।न केवल भारत में बल्कि पश्चिमी देशों में भी कुष्ठ रोगियों का इस तरीके से इलाज किया जाता रहा है। ग्रीस में कुष्ठ रोगियों के लिए एक द्वीप अलग रखा गया था। इस द्वीप का नाम स्पाइनलॉन्गा है। स्पाइनलॉन्गा का कुल क्षेत्रफल 8.5 हेक्टेयर है। यह ग्रीस के सबसे बड़े द्वीप क्रेते के निकट स्थित है। यह भूमध्य सागर में मीराबेलो की खाड़ी के मुहाने पर स्थित है।
इस द्वीप पर अब कोई नहीं रहता और यह अब निर्जन हो गया है। स्पाइनलॉन्गा द्वीप कभी एक बड़ा सैन्य अड्डा था। इससे पहले, वेनिस के राजा ने यहां एक सैन्य अड्डा बनाया था। बाद में, तुर्की के ओटोमन साम्राज्य ने यहां किलेबंदी कर ली। 1904 में क्रीत के निवासियों ने तुर्कों को अपने देश से खदेड़ दिया। इसके बाद स्पाइनलॉन्गा को कुष्ठ रोगियों के लिए आश्रय स्थल बना दिया गया।
एक समय इस द्वीप पर लगभग 400 कुष्ठ रोगी रहते थे। कुष्ठ रोगियों को क्रेते और ग्रीस के अन्य भागों से यहां लाया जाता था। स्पाइनलॉन्गा द्वीप पर कुष्ठ रोगियों के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं थी। यहां एक डॉक्टर तैनात था, लेकिन वह भी तभी आता था जब इस द्वीप पर रहने वाले कोढ़ियों को कोई अन्य बीमारी हो जाती थी।
1940 के दशक में वैज्ञानिकों ने कुष्ठ रोग का इलाज खोज लिया। हालाँकि, ग्रीक सरकार ने स्पाइनलॉन्गा में रहने वाले लोगों का इलाज करने की कोशिश भी नहीं की। कुष्ठ रोगियों के लिए यह केंद्र 1957 तक कार्य करता रहा। 1957 में एक ब्रिटिश विशेषज्ञ ने यहां की हालत देखी और पूरी दुनिया को बताया। इसके बाद ग्रीक सरकार को बहुत शर्मिंदा होना पड़ा।
जिसके बाद यहां के सभी लोगों को इलाज के लिए ले जाया गया और कुष्ठ आश्रम को बंद कर दिया गया। जब यहां के कुष्ठ रोगी चले गए तो स्पाइनलॉन्गा द्वीप वीरान हो गया। अब यहाँ कोई नहीं रहता. अब आपको इस द्वीप पर केवल पुरानी इमारतों के खंडहर ही मिलेंगे। यहां कुष्ठ रोगियों के लिए बनाए गए बाजार के साक्ष्य भी मिले हैं। इस द्वीप पर आपको एक भट्ठी भी मिलेगी जिसमें कोढ़ियों के कपड़े जलाये जाते थे।