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सबसे अनोखा गांव, जहां नाम लेकर नहीं 'सीटी' मारकर एक-दूसरे को बुलाते हैं लोग

किसी व्यक्ति की पहचान उसके नाम से ही होती है। हर कोई आपको आपके नाम से बुलाता है। सरकारी दफ्तरों, स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में भी आपका नाम ही आपकी पहचान है। आपका नाम सभी प्रकार के दस्तावेजों में दर्ज है। वहीं दूसरी ओर भारत में एक बेहद अनोखा गांव है। यह गांव ऐसा है कि यहां रहने वाले ग्रामीण एक-दूसरे को नाम से नहीं बल्कि सीटी बजाकर बुलाते हैं। यह जानकर आप जरूर उलझन में पड़ गए होंगे। तो चलिए हम आपको इस गांव के बारे में पूरी सच्चाई बताते हैं।

मेघालय में कांगथान नाम का एक गांव है। इस गांव में लोगों के नाम नहीं हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहां लोग एक-दूसरे को सीटी बजाकर बुलाते हैं। दरअसल, उसके पैदा होते ही उसका नाम तय कर दिया जाता है। लोग अपने मुंह से यह धुन बजाते हैं और सामने वाले व्यक्ति को बुलाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस गांव के लोगों को सीटी बजाना आना चाहिए, अन्यथा वे किसी को बुला नहीं पाएंगे। यह गांव खासी पहाड़ियों में स्थित है।

इस अनोखे गांव को पूरी दुनिया में 'सीटी गांव' के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि गांव में जब कोई बच्चा पैदा होता है तो बच्चे की मां उसके लिए एक अलग धुन तैयार करती है। यह वह धुन है जो एक माँ अपने बच्चे को सुनाती है। धीरे-धीरे बच्चा अपने नाम की धुन पहचानने लगता है। उसे बुलाने के लिए गांव के लोग इस धुन और सीटी का इस्तेमाल करते हैं। आपको बता दें कि अक्सर ये धुनें पक्षियों की चहचहाहट से प्रेरित होती हैं। ऐसी धुन को 'जिंग्रावई लोबेई' कहा जाता है। हालाँकि, गाँव के लोगों के नाम भी दस्तावेजों में दर्ज करने होंगे।

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