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दुनिया का ऐसा अनोखा शिवलिंग जिस पर चढ़ाने के बाद दूध का रंग हो जाता है नीला, आज तक कोई नहीं सुलझा पाया ये रहस्य

सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. सावन के पवित्र महीने में लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं.......
दुनिया भर में शादी को लेकर अलग-अलग रीति-रिवाज निभाए जाते हैं। आज हम आपको शादी से जुड़े एक ऐसे ही अजीब रिवाज के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दूल्हे की बहन दुल्हन से शादी करती है। हम बात कर रहे हैं गुजरात के आदिवासी इलाकों में होने वाली शादियों की। जहां दूल्हा दुल्हन नहीं लाता बल्कि दूल्हे की बहन शादी करके दुल्हन को घर लाती है। इस इलाके में दूल्हे को अपनी शादी में जाने की इजाजत नहीं थी. सबसे अनोखी बात तो यह है कि दूल्हा अपनी शादी के दिन अपने घर में ही रहता है और दूल्हे की बहन बारात में जाकर दूल्हे की सभी रस्में पूरी करती है।

सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. सावन के पवित्र महीने में लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। आज सावन का पहला सोमवार है और इस मौके पर हम आपको एक चमत्कारी शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं. हमारे देश में भगवान शिव के लाखों मंदिर हैं। इनमें से कई मंदिर चमत्कारी भी हैं। कई चमत्कारों का रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। सावन में आप भी शिवलिंग पर दूध चढ़ाते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा शिवलिंग भी है जिस पर दूध चढ़ाते ही दूध का रंग बदल जाता है।

ऐसा ही एक मंदिर केरल में स्थित है। जिसके चमत्कार की चर्चा देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होती है। यह मंदिर तमिलनाडु के कीजापेरुमपल्लम गांव में स्थित है। नागनाथस्वामी मंदिर को केति स्थल के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर स्थित है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जब भक्त मंदिर में शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं तो उसका रंग तुरंत नीला हो जाता है।

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इसके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है। लोगों को समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों होता है. हालाँकि, यह हमेशा दिखाई नहीं देता है। ऐसा माना जाता है कि केतु ग्रह के दोष से पीड़ित व्यक्ति जो दूध चढ़ाता है उसका रंग नीला ही होता है। बाद में यह रंग फिर से सफेद हो जाता है।

रानी का मानना ​​है कि वैज्ञानिक भी आज तक यह नहीं जान पाए हैं कि दूध का रंग नीला क्यों हो जाता है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि वैज्ञानिक भी इसके बारे में नहीं जान पाए हैं कि यह वापस सफेद कैसे हो जाता है। इस मंदिर में दूध चढ़ाने के बाद उसका रंग बदल जाने को लोग चमत्कार बताते हैं। मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

मंदिर से एक मान्यता भी जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि एक बार केतु ने महान ऋषि के श्राप से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव की पूजा की थी। इसके बाद केतु की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शिवरात्रि के दिन केतु को श्राप से मुक्त किया। तभी से केतु को समर्पित यह मंदिर भगवान शिव का भी माना जाता है।


 

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