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आखिर क्यों इस गांव में चलता है सिर्फ महिलाओं का राज, पुरूषों की एंट्री पर है बेन

महिलाओं ने सदियों से कितनी प्रताड़ना झेली है, बता दे की, इसका हिसाब लगाना सिर्फ पुरुषों के बस की बात नहीं है। चाहे वे किसी भी देश के हों, उन्हें अपमानित होना पड़ता है। इस समाज में स्त्रियों को वह स्थान, वह स्वतंत्रता, वह शक्ति नहीं मिल सकी जो पुरुषों को प्राप्त थी...........
आखिर क्यों इस गांव में चलता है सिर्फ महिलाओं का राज, पुरूषों की एंट्री पर है बेन

अजब गजब न्यूज डेस्क !!! महिलाओं ने सदियों से कितनी प्रताड़ना झेली है, बता दे की, इसका हिसाब लगाना सिर्फ पुरुषों के बस की बात नहीं है। चाहे वे किसी भी देश के हों, उन्हें अपमानित होना पड़ता है। इस समाज में स्त्रियों को वह स्थान, वह स्वतंत्रता, वह शक्ति नहीं मिल सकी जो पुरुषों को प्राप्त थी। इस वजह से महिलाओं ने मिलकर अपना गांव बसा लिया जहां सबकुछ है. पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, ताजी हवा, एक ही चीज़ है, वो हैं इंसान। 

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बता दे की, केन्या में उमोजा नाम का एक गांव है। यह दुनिया के किसी भी आम गांव जैसा ही दिखता है, मगर इसमें एक बड़ा अंतर है जो किसी भी गांव में दुर्लभ है। गाँव का संचालन और रख-रखाव महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस गांव की स्थापना करीब 30 साल पहले हुई थी. यहां रहने वाली महिलाएं शरणार्थी हैं। बता दे की, ये सभी महिलाएं सम्बुरु जनजाति का एक छोटा सा हिस्सा हैं जिन्हें मासाई समुदाय का हिस्सा माना जाता है।

महिलाएँ उत्पीड़न की शिकार थीं

सैमबुरु महिलाओं को उनके पतियों की जागीरदार माना जाता है।  बता दे की, उनके पास बहुत कम अधिकार हैं. उनके पास ज़मीन या जानवरों पर कोई अधिकार नहीं है। वह घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न का भी शिकार होती हैं। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि 1990 के दशक में ब्रिटिश सैनिकों ने इस क्षेत्र में इन महिलाओं के साथ बलात्कार किया था। जिसके बाद उनके पतियों ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया. इनसाइड ओवर वेबसाइट के मुताबिक, उस वक्त सैमबुरु जनजाति की महिलाओं ने रेप के करीब 1400 मामले दर्ज कराए थे।

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इस तरह गांव की स्थापना हुई

ऐसी ही यातना रेबेका लोलोसोली नाम की महिला को भी झेलनी पड़ी. बता दे की, जब किसी ने उनकी बात नहीं सुनी तो उन्होंने करीब 15 महिलाओं के साथ मिलकर उमोजा नाम का गांव बसाया। इस गांव में महिलाओं के बीच एकता थी और इस वजह से पुरुषों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। अब इस गांव में करीब 40 परिवार रहते हैं जिनमें सिर्फ महिलाएं और बच्चे रहते हैं। महिलाएं पारंपरिक मोतियों की माला बेचकर पैसा कमाती हैं। गांव के पास रहने वाले पुरुष अक्सर उन्हें परेशान करने के लिए उनके मवेशियों को चुरा लेते हैं। लेकिन ऐसी हरकतों से उन महिलाओं का मनोबल नहीं गिरता.
 

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