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आखिर क्यों ​तांत्रिकों को प्रिय है यह माता मंदिर, ऐसी है यहां की मान्यता, एक बार जरूर करें दर्शन

भारत में देवी उपासना का विशेष स्थान रहा है और शक्तिपीठों की महिमा अनंत है। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक हैं मां त्रिपुर सुंदरी, जिन्हें संपूर्ण त्रिलोक की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। मां त्रिपुर सुंदरी को आदि शक्ति का स्वरूप माना जाता है और इन्हें सौंदर्य, प्रेम....
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भारत में देवी उपासना का विशेष स्थान रहा है और शक्तिपीठों की महिमा अनंत है। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक हैं मां त्रिपुर सुंदरी, जिन्हें संपूर्ण त्रिलोक की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। मां त्रिपुर सुंदरी को आदि शक्ति का स्वरूप माना जाता है और इन्हें सौंदर्य, प्रेम, शक्ति और करुणा की देवी के रूप में पूजा जाता है। त्रिपुरा राज्य के उदईपुर में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे माँ की भव्यता और चमत्कारों के लिए जाना जाता है।

कौन हैं मां त्रिपुर सुंदरी?

मां त्रिपुर सुंदरी दस महाविद्याओं में प्रमुख स्थान रखती हैं। इन्हें 'श्री विद्या' का स्वरूप भी कहा जाता है। मां का स्वरूप अत्यंत सौम्य, आकर्षक और दिव्य होता है। त्रिपुर सुंदरी का अर्थ है "तीनों लोकों में सबसे सुंदर", जो न केवल बाह्य सुंदरता बल्कि आंतरिक सौंदर्य और ज्ञान की प्रतीक हैं। उन्हें ललिता देवी, राजराजेश्वरी और शोडशी के नाम से भी जाना जाता है।

मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का इतिहास

त्रिपुरा राज्य के उदयपुर में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। इसे महाराजा धन्य माणिक्य ने 1501 ईस्वी में बनवाया था। इस मंदिर का स्थापत्य बंगाली वास्तुकला से प्रेरित है, जिसमें चोटीदार छत और सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। कहा जाता है कि यहां मां सती का दाहिना पांव गिरा था, जिसके कारण यह स्थान शक्तिपीठ बना। यह मंदिर एक छोटे से पहाड़ी पर स्थित है और उसके नीचे कमल सागर नामक एक सुंदर झील भी है।

चमत्कारी देवी और साधना स्थल

माना जाता है कि मां त्रिपुर सुंदरी की आराधना से साधक को मोहिनी विद्या, आकर्षण शक्ति और सिद्धि प्राप्त होती है। यहां किए गए श्री यंत्र साधना, महात्रिपुरसुंदरी कवच और ललिता सहस्रनाम पाठ से साधक को अपार शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। मंदिर परिसर में नवरात्रि और दीपावली के अवसर पर विशेष महोत्सव होते हैं, जिनमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।

पूजा विधि और विशेष पर्व

मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा में लाल पुष्प, सिंदूर, कुमकुम और चंदन का विशेष महत्व होता है। विशेष रूप से अष्टमी, नवमी और पूर्णिमा पर माता की विशेष पूजा-अर्चना होती है। यहां ललिता सहस्रनाम का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसके अलावा, भक्त मां को खीर, हलवा और नारियल का भोग लगाते हैं।

कैसे पहुंचे मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर?

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से यह मंदिर लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगरतला एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा उदयपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर के पास आवास और भोजन की भी अच्छी व्यवस्था है।

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