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आखिर क्यों कहते हैं मामूली से दिखने वाले दरवाजे को जन्नती दरवाजा? वीडियो में सामने आई सालों पुरानी सच्चाई 

राजस्थान न केवल राजपूत वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसमें मुगल काल की कई संरचनायें और मस्जिदे भी हैं जो उस काल की वास्तुकला और मुगल प्रभाव को प्रदर्शित करती है। राजस्थान विश्वभर में अपने किलों, महलों और पर्यटक स्थलों के साथ-साथ अपनी धर्म निरपेक्षता के चलते कई मंदिर, मस्जिद, दरगाह, गुरुद्वारों और चर्चों के लिए भी विख्यात....
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राजस्थान न्यूज डेस्क !!! राजस्थान न केवल राजपूत वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसमें मुगल काल की कई संरचनायें और मस्जिदे भी हैं जो उस काल की वास्तुकला और मुगल प्रभाव को प्रदर्शित करती है। राजस्थान विश्वभर में अपने किलों, महलों और पर्यटक स्थलों के साथ-साथ अपनी धर्म निरपेक्षता के चलते कई मंदिर, मस्जिद, दरगाह, गुरुद्वारों और चर्चों के लिए भी विख्यात है।

राजस्थान में कई मस्जिदें और दरगाहें हैं जिनकी विश्वस्तर पर काफी मान्यता है। ये मस्जिदें और दरगाहें मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ अन्य धर्म के लोगों के लिए भी धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।  राजस्थान की धर्म निरपेक्षता का जीवंत प्रमाण देते हमारे अजमेर शरीफ और राजस्थान के प्रमुख गुरुद्वारों के वीडियो को इतना प्यार देने के लिए आप सभी दर्शकों का बहुत-बहुत आभार, अगर आपने अब तक इन वीडियोज़ को नहीं देखा है तो आपको इनका लिंक वीडियो के डिस्क्रिप्शन में मिल जायेगा। मुस्लिम समुदाय में काफी मान्यता रखने वाली कई ऐसी दरगाह और मस्जिदें हैं जिनके आस-पास एक बड़ी मुस्लिम आबादी निवास करती है। इन जगहों पर इबादत के लिए राजस्थान और भारत के साथ-साथ देश-विदेश से मुस्लिम और अन्य धर्म के श्रद्धालु आते हैं। राजस्थान की कई दरगाह और मस्जिदें ऐसी हैं जो इस्लामी और राजपूती वास्तुकला शैली का अभूतपूर्व प्रदर्शन करती हैं, जिसके चलते ये मुस्लिम तीर्थ यात्रियों के साथ-साथ पर्यटकों और कला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं। तो आईये आज हम आपको लेकर चलें राजस्थान की 5 खूबसूरत और मशहूर मस्जिदों एवं दरगाहों की सैर पर  

टोंक की जामा मस्ज़िद

भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक टोंक की जामा मस्ज़िद है, जहां मुग़ल क़ालीन स्थापत्य कला का एक बेजोड़ भव्य उदाहरण देखने को मिलता है। जामा मस्जिद का निर्माण 1817 में टोंक के पहले नवाब अमीर ख़ां द्वारा शुरू करवाया गया था और इस मस्जिद का निर्माण कार्य उनके बेटे नवाब वजीरूद्दौला के ज़माने में 1834 से 1864 के बीच पूरा किया गया। मस्ज़िद का अन्दरूनी हिस्सा और दीवारें स्वर्ण चित्रांकन और मीनाकारी से सुसज्जित हैं, जो कि इस मस्जिद की आंतरिक सुन्दरता को और बढ़ा देता है, साथ ही बाहर की तरफ काफी दूर से भी नजर आने वाली बड़ी बड़ी चार विशाल मीनारे हैं, जिन्हें आप शहर के किसी भी कौने से देख सकते हैं। अरावली की गोद में बनी यह शानदार मस्जिद प्रकृति से घिरी होने के कारण और भी ज्यादा आकर्षक लगती है और अपनी वास्तुकला के चलते नवाबी वंश की धरोहर के रूप में स्थापित है। 

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