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आखिर क्यों शादी ब्याह में दिया जाता है सबसे पहले भगवान गणेश को निमंत्रण? इस पौराणिक कथा में जानें क्या है मान्यता

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भारतीय संस्कृति और परंपराओं में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का पूजन और निमंत्रण देना एक प्राचीन और अटूट परंपरा है। खासकर शादी-ब्याह जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर सबसे पहले गणपति बप्पा को आमंत्रित किया जाता है। आखिर इसके पीछे क्या कारण है? इसका जवाब हमें पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं में मिलता है।

भगवान गणेश: विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ यानी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना जाता है। साथ ही वे ‘मंगलकर्ता’ भी हैं, जो कार्यों की सफलता सुनिश्चित करते हैं। मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत यदि गणेश पूजन से की जाए, तो वह कार्य बिना किसी विघ्न के संपन्न होता है।

पौराणिक कथा: गणेश और चंद्रमा का विवाद

एक पौराणिक कथा इस परंपरा की जड़ में छिपी है। कथा के अनुसार: एक बार भगवान गणेश अपने वाहन मूषक (चूहे) पर सवार होकर जा रहे थे। रास्ते में चंद्रदेव (चंद्रमा) ने गणेशजी की सवारी और मोटे शरीर को देखकर उनका मजाक उड़ाया। इससे भगवान गणेश क्रोधित हो गए और उन्होंने चंद्रमा को शाप दे दिया कि अब से तुम्हें कोई नहीं देखेगा, जो भी तुम्हें देखेगा उस पर झूठा दोष लगेगा। इस शाप से घबराए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की, तब जाकर गणेशजी ने अपना शाप थोड़ा कम किया और कहा कि जो भी व्यक्ति कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मेरा नाम लेकर मेरी पूजा करेगा, उस पर कोई दोष नहीं लगेगा। तभी से हर शुभ काम, खासकर शादी-ब्याह, की शुरुआत ‘श्री गणेशाय नमः’ से की जाती है।

गणेश पूजन के लाभ

  • शादी में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं

  • दंपति के जीवन में मंगल और सुख-शांति बनी रहती है

  • विवाह समारोह बिना विघ्न और पूर्ण सफलता से संपन्न होता है

  • परिवार में धन, बुद्धि और सौभाग्य का वास होता है

निमंत्रण देने की परंपरा: ‘कलश पर गणेश’

पुराने समय से ही विवाह पत्रिका में सबसे पहले श्री गणेशाय नमः लिखा जाता है। घर में जब निमंत्रण का पहला कार्ड निकाला जाता है तो उसे सबसे पहले मंदिर या गणेशजी को अर्पित किया जाता है। कुछ परिवारों में बाकायदा मंदिर जाकर भगवान को कार्ड चढ़ाया जाता है, ताकि वे इस शुभ अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।

गणेश का नाम लेने से पहले कोई नाम नहीं लिया जाता

एक और प्रसिद्ध श्लोक है:

“शुभारंभे स्मरेत् देवं श्रीगणेशं विनायकम्।”
अर्थात् – किसी भी शुभारंभ से पहले विनायक (गणेश) का स्मरण करना चाहिए।

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