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आखिर क्यों गणेश जी ने माता तुलसी को दिया था श्राप, वीडियो में देखें इसके पीछे की पौराणिक कथा

सनातन धर्म के लोगों के लिए भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग नियमित रूप से गणेश जी की पूजा करते हैं उनके घर में कभी भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती है। इसके साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी प्राप्त....

सनातन धर्म के लोगों के लिए भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग नियमित रूप से गणेश जी की पूजा करते हैं उनके घर में कभी भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती है। इसके साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार भगवान गणेश की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। वहीं जो लोग लगातार 10 दिनों तक गणपति बप्पा की पूजा करते हैं और उन्हें उनकी पसंदीदा चीजें अर्पित करते हैं, गणेश जी उन पर अपनी विशेष कृपा बनाए रखते हैं। हालाँकि, कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें गणेश जी को चढ़ाना वर्जित है। आइये जानते हैं उस एक चीज के बारे में जिसे चढ़ाने से साधक को उसकी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक दिन भगवान गणेश गंगा नदी के घाट के पास ध्यान में बैठे थे। इसी बीच माता तुलसी वहां आ गईं। गणेश जी को देखते ही देवी तुलसी उन पर मोहित हो गईं। उन्होंने सावधानीपूर्वक भगवान गणेश को जगाया और उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा।

यह प्रस्ताव सुनकर भगवान गणेश बहुत क्रोधित हो गए और क्रोध में उन्होंने तुलसी देवी को श्राप दे दिया कि, ‘तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा।’ इसके साथ ही उन्होंने देवी से कहा कि, ‘मेरी पूजा में कभी भी तुम्हारा नाम नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा मेरी पूजा में तुम्हारा उपयोग नहीं होगा।


भगवान गणेश के अलावा देवी तुलसी ने भी गणेश को श्राप दिया था कि, ‘उनके दो विवाह होंगे।’ शिवपुराण के अनुसार गणेश की दो पत्नियां हैं, जिनके नाम ऋद्धि और सिद्धि हैं। इसी कारण आज भी भगवान गणेश की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

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