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 आखिर किसने करवाया है इस मंदिर का निर्माण? आज भी अधूरी है कहानी ...

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 भारत देश में मंदिरों की कोई कमी नहीं है. देश के हर कोने कोने में अद्भुत मंदिर स्थापित की गई हैं. मंदिरों की बनावट और गर्भग्रह में स्थापित भगवान की मूर्ति देखने में इतनी अलौकिक होती हैं कि दूर दराज राज्यों से भी लोगों को दर्शन के लिए खींच लाती हैं. ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में देखा है जिसकी बनावट आज के आधिनुक इंजीनियर्स को भी चुनौती देती है. मुरैना का ककनमठ मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि इसके निर्माण के पीछे किसी अदृश्य और प्रेत आत्माओं जैसी कहानियां जुड़ी हुई है.

आए दिन भारत के archeological department की टीम नए-नए मंदिरों की खोज करती है. मंदिरों के साथ कई सालों पुराने अवशेषोंको भी खोज निकालती है लेकिन मंदिरों के पीछे छिपी रहस्यमयी घटना हमेशा के लिए रहस्य ही बन जाती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी कहानी के रूप में आगे बढ़ती रहती है.कुछ ऐसा ही है मुरैना का ककनमठ मंदिर, जिसकी पहेली आज तक एक रहस्य बनी हुई है. स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर का निर्माण प्रेत आत्माओं ने करवाया था. अब आज के दौर में ये बात किसी से कही जाए तो शायद ही ई इन बातों पर यकीन करेगा.

मंदिर की कहानी की शुरूवात करीब 11वीं शताब्दी के दौरान होती है. मान्यताओं के अनुसार, ककनमठ मंदिर का निर्माण कच्छपघात वंश के एक राजा ने महादेव की भक्ति में करवाया था.राजा ने भगवान शिव से प्राथना मांगी की वे खुद इस दिर का निर्माण करें जिसके फलस्वरूप भोलेनाथ राजा के सपने में आगे मंदिर के निर्माण की बात को स्वीकार किया जिसके साथ शर्थ भी रखी गई थी.भगवान शिव ने राजा से कहा कि मैं स्वंय इस मंदिर का निर्माण एक रात में करुंगा लेकिन एक शर्त है. मंदिर का निर्माण जबतक नहीं हो जाता तब तक किसी भी इंसान को निर्माण की प्रक्रिया देखन की इजाजत नहीं होगी. निर्माण वाली किसी ने भी मंदिर के बनने की प्रक्रिया को देखने की हिम्मत नहीं की सिवाए एक बच्चे के.

उत्साहित बच्चा जैसे ही खिड़की से बाहर झांका उसने देखा कि कुछ अदृश्य प्रेत या प्राणी एकदम से गायब हो जाते हैं और मंदिर का काम अधूरा रह जाता है. हालंकि पहले मंदिर निर्माण की आवाजें सुनाई दे रही थी.
आज भी अगर आप मंदिर के दर्शन करने जाएंगे तो आपको मंदिर का उपरी हिस्सा आधा अधूरा मिलेगा जो इस कहानी की सत्याता को दर्शाता. आज भी ये मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है. बगैर सीमेंट और चूने से बना ये मंदिर आज भी मजबूती से अपनी जगह पर खड़ा है.

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