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आखिर मोती डूंगरी में कहां से आई गणेश प्रतिमा…? 2 मिनट के इस वीडियो को देखें और जानें पूरा सच

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जयपुर के प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास बेहद रोचक और रहस्यमयी है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अपनी अद्भुत वास्तुकला और प्राचीन मान्यताओं के कारण भी प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां स्थापित गणेश प्रतिमा कहां से आई? इस सवाल का जवाब सदियों पुरानी मान्यताओं और ऐतिहासिक घटनाओं में छिपा हुआ है।

ऐसा माना जाता है कि मोती डूंगरी गणेश मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा लगभग 500 साल पुरानी है। इस प्रतिमा को जयपुर लाने का श्रेय तत्कालीन राजघराने को दिया जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, यह प्रतिमा मूल रूप से उदयपुर से लाई गई थी। जब उदयपुर के राजा इस मूर्ति को अपने राज्य में ले जा रहे थे, तब जयपुर के राजा माधोसिंह प्रथम ने इसे देखा और इसे जयपुर में स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की।

मंदिर की स्थापना

राजा माधोसिंह प्रथम की इच्छा के अनुसार, यह गणेश प्रतिमा जयपुर लाई गई और मोती डूंगरी पहाड़ी पर स्थापित की गई। इस मंदिर का निर्माण राजस्थानी और मुगल स्थापत्य कला का मिश्रण है, जिससे यह मंदिर देखने में अत्यंत भव्य प्रतीत होता है।

धार्मिक मान्यता और चमत्कार

मोती डूंगरी गणेश मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खासकर, नए कार्यों की शुरुआत से पहले लोग यहां दर्शन करने जरूर आते हैं। व्यापारियों और छात्रों के बीच भी इस

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