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आखिर क्‍या है गणेश जी सूंड के राज, इस दुर्लभ वीडियो में जानें क‍िस द‍िशा की सूंड वाली मूर्ति चमकाती है क‍िस्‍मत

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हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। श्रीगणेश का स्वरूप अत्यंत विशेष और प्रतीकात्मक है — हाथी के सिर वाली यह दिव्य मूर्ति गूढ़ संकेतों से भरी हुई है। उनके हर अंग, मुद्रा और प्रतीक का एक खास अर्थ है, जिनमें सबसे रहस्यमयी और महत्वपूर्ण मानी जाती है उनकी सूंड (Trunk)। आम भक्तों के बीच यह प्रश्न अक्सर उठता है कि आखिर गणेश जी की सूंड किस दिशा में होनी चाहिए? और क्या इसके पीछे कोई धार्मिक या ज्योतिषीय रहस्य छिपा है?

गणेश जी की सूंड – केवल आकार नहीं, भविष्य का इशारा

गणेश जी की सूंड को शक्ति, लचीलापन और सूक्ष्म विवेक का प्रतीक माना गया है। उनकी सूंड बाईं ओर हो या दाईं ओर — दोनों ही रूपों के पीछे गहरा आध्यात्मिक अर्थ और फल जुड़ा होता है। कई बार लोग गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय केवल सुंदरता या सजावट को ध्यान में रखते हैं, जबकि वास्तव में सूंड की दिशा जीवन में आने वाले परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

बाईं ओर सूंड वाली गणेश मूर्ति – सौम्यता और सुख-शांति का प्रतीक

यदि गणेश जी की सूंड बाईं ओर मुड़ी हो (यानि दर्शक की दृष्टि से दाईं ओर), तो यह मूर्ति सौम्य रूप मानी जाती है। इस स्वरूप को वामांक गणपति कहा जाता है। यह रूप घर, परिवार और दैनिक पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। बाईं सूंड वाली गणेश प्रतिमा सुख-शांति, समृद्धि, पारिवारिक सौहार्द और मानसिक शांति प्रदान करती है।

इस स्वरूप को पूजना सरल माना गया है और इसमें विशेष अनुष्ठानों की आवश्यकता नहीं होती। वामदंती गणेश की पूजा विशेष रूप से गृहस्थ जीवन में सफलता और शांति के लिए की जाती है।

दाईं ओर सूंड वाली गणेश मूर्ति – शक्ति और नियम का प्रतीक

दूसरी ओर, जब गणेश जी की सूंड दाईं ओर मुड़ी होती है (यानि दर्शक की दृष्टि से बाईं ओर), तो यह मूर्ति ऊर्जावान और तामसी रूप का प्रतीक मानी जाती है। इसे दक्षिणमुखी गणेश कहा जाता है। इस स्वरूप को अत्यंत जाग्रत और प्रभावी माना गया है, लेकिन इसकी पूजा विशेष नियमों और अनुष्ठानों के साथ करनी चाहिए।

यदि विधिवत पूजा की जाए, तो दाईं सूंड वाले गणेश अत्यंत शीघ्र फल देने वाले होते हैं। व्यापारिक स्थलों, फैक्ट्रियों और ऑफिसों में इसे स्थापित करना शुभ माना जाता है, लेकिन बिना नियमों के पूजन करने पर इसके विपरीत फल भी मिल सकते हैं।

सीधी सूंड (मध्य) – अद्वितीय और दुर्लभ

कुछ गणेश प्रतिमाओं में उनकी सूंड सीधे नीचे की ओर मुड़ी होती है। यह स्वरूप अत्यंत दुर्लभ है और इसे सिद्धिविनायक रूप कहा जाता है। इस स्वरूप में गणेश जी का ध्यान अधिक गहन और ध्यानमग्न होता है। माना जाता है कि इस प्रकार की मूर्ति सिद्धियों और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को खोलती है। इस रूप की पूजा विशेष साधना या गुरुदीक्षा से की जाती है।

कौन-सी मूर्ति चमकाएगी आपकी किस्मत?

यदि आप घर के लिए गणेश प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, तो बाईं सूंड वाली गणेश मूर्ति आपके लिए सबसे शुभ है। यह जीवन में सुख, शांति और पारिवारिक समृद्धि लाती है। वहीं अगर आप शक्ति, व्यापारिक सफलता या विशेष इच्छाओं की पूर्ति चाहते हैं और नियमित पूजा कर सकते हैं, तो दाईं सूंड वाले गणेश आपके लिए उत्तम हो सकते हैं।

निष्कर्ष

गणेश जी की सूंड केवल एक शिल्प कला का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह आपकी आस्था, जीवन शैली और मनोवांछित फल के अनुसार गूढ़ संकेत देती है। मूर्ति की दिशा और स्वरूप से लेकर पूजा विधि तक — हर बात का गहरा प्रभाव होता है। इसलिए अगली बार जब आप गणेश प्रतिमा खरीदें या स्थापित करें, तो केवल सुंदरता नहीं, बल्कि सूंड की दिशा का रहस्य भी समझें।

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