हिमाचल प्रदेश में स्थित भगवान शिव का अनोखा मंदिर! जहाँ बिना आग के ही खौलता रहता है पानी, वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए रहस्य

भारत में भगवान शिव के कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिर हैं। इन सभी मंदिरों में अलग-अलग तरह के रहस्य और चमत्कार देखने को मिलते हैं। जिसमें किसी मंदिर का शिवलिंग साल दर साल बढ़ता जा रहा है तो कोई शिव मंदिर कलियुग के अंत का संकेत देता है। इन्हीं में से एक भगवान शिव का मंदिर भी है। जहां कड़ाके की ठंड में भी पानी उबलता रहता है। यह आज भी रहस्य बना हुआ है। जिसका पता आज तक कोई वैज्ञानिक नहीं लगा पाया है। वहीं इस मंदिर और यहां उबलते पानी से जुड़ी भगवान शिव की एक कहानी प्रचलित है। आइए जानते हैं कहां है यह रहस्यमयी मंदिर और क्या है इसकी कहानी?
कहां है यह मंदिर?
भगवान शिव का यह अनोखा और रहस्यमयी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से करीब 45 किलोमीटर दूर मणिकरण में स्थित है। यह हिंदू और सिख दोनों धर्मों का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है। मणिकरण से पार्वती नदी बहती है, जिसके एक तरफ शिव मंदिर है तो दूसरी तरफ गुरु नानक देव का ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जिसे मणिकरण साहिब के नाम से जाना जाता है। यहां का उबलता पानी आज भी एक रहस्य है, जिसके बारे में विज्ञान भी कुछ नहीं बता पाया है।
क्या है कहानी?
भगवान शिव के इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी बहुत प्रचलित है। वैसे तो शिव को भोलेनाथ कहा जाता है, लेकिन जब वो क्रोधित होते हैं तो उनके प्रकोप से कोई नहीं बच पाता। कहानी के अनुसार एक बार नदी में खेलते समय माता पार्वती के कान की मणि पानी में गिर गई। जो बहते हुए पाताल लोक पहुंच गई। जिसके बाद भगवान शिव ने अपने अनुचरों को मणि ढूंढने के लिए भेजा, लेकिन काफी खोजने के बाद भी उन्हें मणि नहीं मिली। जिससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया और अपनी तीसरी आंख खोल दी। महादेव के क्रोध से नदी का पानी उबलने लगा, जो आज भी मौजूद है। भगवान शिव के इस रौद्र रूप को देखकर नैना देवी प्रकट हुईं और पाताल लोक में जाकर शेषनाग से कहा कि वो ये मणि भगवान शिव को लौटा दें। जिसके बाद शेषनाग ने माता पार्वती की मणि महादेव को लौटा दी। पाताल लोक से शेषनाग ने जोर से फुफकार मारी और कई जगहों से कई मणियां धरती पर आ गईं। देवी पार्वती की मणि प्राप्त करने के बाद भगवान शिव ने उन सभी मणियों को पत्थर में बदल दिया और उन्हें वापस नदी में डाल दिया।
स्नान से रोगों से मुक्ति मिलती है
यहां के लोगों का मानना है कि जो भी इस पवित्र जल में स्नान करता है, उसके सभी चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि श्री राम ने कई बार इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा और ध्यान किया था। आज भी श्री राम की तपस्थली मणिकर्ण में भगवान राम का पुराना और भव्य मंदिर है।