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देश का ऐसा अनोखा मंदिर जहां हार-फूल, नारियल नहीं पत्थरों से खुश होती हैं देवी मां

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भारत एक ऐसा देश है, जहां हर मंदिर की अपनी अनूठी परंपरा और मान्यताएं होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां देवी मां को हार-फूल, नारियल या मिठाइयों का नहीं, बल्कि पत्थरों का प्रसाद चढ़ाया जाता है? यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन राजस्थान में एक ऐसा ही रहस्यमयी मंदिर है, जहां भक्त अपनी मुरादें पूरी होने पर देवी मां को पत्थर चढ़ाते हैं। यह मंदिर लोगों की गहरी आस्था और अनूठी परंपराओं का प्रतीक है।

कहां स्थित है यह मंदिर?

यह अनोखा मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव में स्थित है। इस मंदिर को किराडू माता मंदिर कहा जाता है। यह स्थान अपनी अद्भुत वास्तुकला और रहस्यमयी कहानियों के लिए पहले से ही प्रसिद्ध है। लेकिन इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां परंपरागत फूल-माला या नारियल चढ़ाने की प्रथा नहीं है। यहां आने वाले भक्त देवी मां को पत्थरों से प्रसन्न करते हैं।

क्यों चढ़ाए जाते हैं पत्थर?

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में विराजमान देवी मां को बल और संकल्प का प्रतीक माना जाता है। लोग मानते हैं कि पत्थर शक्ति और स्थायित्व का प्रतीक है। जब कोई व्यक्ति देवी मां से कोई मन्नत मांगता है और वह पूरी हो जाती है, तो वह मां को धन्यवाद स्वरूप एक पत्थर अर्पित करता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी उसी श्रद्धा से निभाई जाती है। यहां चढ़ाए गए पत्थरों को मंदिर परिसर में विशेष स्थान पर रखा जाता है। कहा जाता है कि ये पत्थर देवी मां की शक्ति का प्रतीक बन जाते हैं और आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा स्रोत होते हैं।

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और रहस्य

कहते हैं कि प्राचीन काल में जब इस गांव में सूखा पड़ा था, तब गांववालों ने देवी मां से प्रार्थना की थी। मां ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और वर्षा हुई। इसके बाद गांववालों ने मां को धन्यवाद स्वरूप पत्थर अर्पित किया, और तभी से यह परंपरा शुरू हुई।
माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पत्थर चढ़ाता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और देवी मां के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं।

मंदिर में क्या-क्या होता है खास?

  • अनूठी पूजा विधि: यहां परंपरागत पूजन सामग्री का उपयोग नहीं होता। न हार-फूल, न नारियल, बस पत्थर।
  • शांति और श्रद्धा का संगम: मंदिर परिसर में पहुंचते ही एक अलग ही ऊर्जा का अनुभव होता है।
  • प्राचीन स्थापत्य कला: मंदिर की वास्तुकला भी बेहद आकर्षक है। पत्थरों पर की गई नक्काशी इसकी खूबसूरती को बढ़ाती है।

निष्कर्ष

भारत में आस्था के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं, लेकिन राजस्थान के इस मंदिर की परंपरा वाकई अनोखी है। पत्थरों से देवी मां को खुश करने वाली यह परंपरा न केवल लोगों की श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह बताती है कि ईश्वर की आराधना किसी भी रूप में की जा सकती है, बस मन सच्चा होना चाहिए।
अगर आप भी इस रहस्य और परंपरा को नजदीक से देखना चाहते हैं, तो एक बार जरूर इस मंदिर की यात्रा करें।

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