राजस्थान का ऐसा अनोखा मंदिर, जहां पैर घसीटकर चलते हैं भक्त, मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद
करणी माता को मां दुर्गा का रूप माना जाता है, जिन्होंने लोगों के कल्याण के लिए अवतार लिया था। करणी माता चारण जाति की एक योद्धा ऋषि थीं, जिन्होंने तपस्वी का जीवन व्यतीत किया। राजस्थान के बीकानेर के देशनोक शहर में स्थित करणी माता मंदिर लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि इस मंदिर में आपको इंसानों से ज्यादा चूहे नजर आएंगे। इस मंदिर में करीब 25 हजार चूहे मौजूद हैं।
मंदिर में मौजूद इन चूहों को काबा भी कहा जाता है, जो मंदिर परिसर में खुलेआम घूमते रहते हैं। सभी चूहों में सफेद चूहों को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि उन्हें करणी माता के पुत्रों का अवतार माना जाता है। इसके पीछे एक प्रचलित कहानी है, जिसके अनुसार करणी माता के सौतेले बेटे का नाम लक्ष्मण था। एक दिन झील से पानी पीने की कोशिश करते समय लक्ष्मण उसमें डूब गए, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
इससे दुखी होकर करणी माता ने भगवान यम से प्रार्थना की और उनसे अपने पुत्र को वापस जीवित करने के लिए कहा। तब यमराज उनकी विनती स्वीकार कर लेते हैं और न केवल लक्ष्मण को बल्कि करणी माता के सभी बच्चों को चूहों के रूप में जीवित कर देते हैं। इसलिए इन चूहों को करणी माता की संतान या वंशज के रूप में देखा जाता है।
इस मंदिर में देवी के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई चूहा किसी भक्त के पैरों के ऊपर से गुजर जाए तो इसे उस पर देवी की कृपा का संकेत माना जाता है। लेकिन वहीं अगर गलती से कोई चूहा किसी व्यक्ति के पैरों के नीचे आ जाए तो इसे पाप माना जाता है, इसलिए लोग यहां पैर घसीटकर चलते हैं। इन चूहों को भोजन दिया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, करणी माता मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बना है और इसके मुख्य दरवाजे चांदी से बने हैं। करणी माता की मूर्ति में वह एक हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए हैं, इसके साथ ही वह मुकुट और माला से भी सुशोभित हैं। माता की मूर्ति पर सोने का छत्र भी स्थापित है। देवी की मूर्ति के साथ-साथ दोनों ओर उनकी बहनों की मूर्तियाँ भी हैं।