देश का एक ऐसा मंदिर जहां होती है दाढ़ी मूंछ वाले हनुमान जी की पूजा, जानें रहस्य

राजस्थान के चूरू जिले में स्थित श्री सालासर बालाजी मंदिर हिंदू धर्म में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत केंद्र है। यह मंदिर हनुमान जी के बालाजी स्वरूप को समर्पित है और सालभर लाखों श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि सालासर बालाजी सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। चाहे स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो, आर्थिक संकट हो या कोई पारिवारिक परेशानी, बालाजी के दरबार में माथा टेकने वाले श्रद्धालुओं को उम्मीद और विश्वास की नई किरण मिलती है।
श्री सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास
श्री सालासर बालाजी मंदिर का निर्माण 1754 ईस्वी में हुआ था। कहा जाता है कि बालाजी की यह प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। एक स्थानीय किसान को जब अपने खेत में खुदाई करते समय यह मूर्ति मिली, तब से ही इसे चमत्कारी माना गया। बाद में इस प्रतिमा को सालासर गांव लाया गया और यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। यहां विराजित हनुमान जी की मूर्ति अन्य जगहों की प्रतिमाओं से अलग है। बालाजी के इस स्वरूप में उनकी मूंछ और दाढ़ी दिखाई देती है, जो इस प्रतिमा को विशेष और अद्वितीय बनाती है।
भक्तों की आस्था और चमत्कारिक अनुभव
श्रद्धालु यहां आकर बालाजी को चोला चढ़ाते हैं, जो एक विशेष परंपरा मानी जाती है। भक्तों की लंबी कतारें सुबह से ही मंदिर में देखने को मिलती हैं। विशेष अवसरों जैसे हनुमान जयंती और शनिवार को यहां भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है।
कई श्रद्धालुओं का यह विश्वास है कि बालाजी की कृपा से उनके जीवन की हर समस्या का समाधान होता है। कई भक्तों ने यहां चमत्कारी अनुभव साझा किए हैं—किसी का बीमार बच्चा ठीक हो गया तो किसी का डूबता व्यवसाय फिर से चल निकला।
प्रमुख आयोजन और भंडारा व्यवस्था
हर मंगलवार और शनिवार को विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। मंदिर के सेवा कार्यों में स्थानीय लोग और श्रद्धालु दोनों ही बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
इसके अलावा, नवमी और पूर्णिमा पर भी विशेष पूजन और धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। इन अवसरों पर मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया जाता है और पूरे सालासर क्षेत्र में मेले जैसा माहौल होता है।
कैसे पहुंचे श्री सालासर बालाजी मंदिर?
यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है और जयपुर से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ है, जो मंदिर से 27 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से भी यह मंदिर जयपुर, दिल्ली, बीकानेर और जोधपुर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। हर साल लाखों श्रद्धालु पैदल यात्रा करके भी यहां पहुंचते हैं।
आस्था का प्रतीक सालासर बालाजी
श्री सालासर बालाजी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों के चेहरे पर सच्ची श्रद्धा और विश्वास की चमक देखी जा सकती है। यह स्थान हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों में भी आशा का दामन नहीं छोड़ते।
अगर आप भी अपनी मनोकामना लेकर बालाजी के दरबार में जाना चाहते हैं, तो सालासर आपका स्वागत करता है।