राजस्थान का एक ऐसा मंदिर जहां दर के साए में होती है भक्ति, वीडियो में जाने जाने का रास्ता जितना रोमांचक है उतना ही खतरनाक
सवाई माधोपुर के रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं पर बाघ के हमले में मासूम बच्चे की मौत के बाद लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। त्रिनेत्र गणेश मंदिर का रास्ता रणथंभौर टाइगर नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरता है। रणथंभौर गणेश धाम से रणथंभौर किले तक लगातार बाघों का मूवमेंट रहता है। जानकारों के मुताबिक गणेश धाम से रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर तक करीब 14 बाघों का मूवमेंट रहता है। यह श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
पिछले बुधवार को गणेश मंदिर से दर्शन कर लौट रहे 7 साल के बच्चे पर बाघ ने हमला कर उसे मार डाला था। इस घटना से पूरे राजस्थान में दहशत फैल गई और लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। हैरानी की बात यह है कि वन विभाग को यह तक पता नहीं है कि बाघों के मूवमेंट वाले स्थान कौन-कौन से हैं। यही वजह है कि पिछले बुधवार को यहां बड़ी घटना घटी।
सुरक्षा के लिहाज से यहां बड़े इंतजाम किए जाना बेहद जरूरी है। यदि वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को पता होता कि मुख्य सड़क के पास बाघ का मूवमेंट है तो यह घटना नहीं होती। ऐसे में लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र 14 बाघों का क्षेत्र है। ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से यहां बड़े इंतजाम किए जाना बेहद जरूरी है।
नन्हें शावक अपना क्षेत्र बनाने वाले हैं। बाघिन एरोहेड, बाघिन सुल्ताना व बाघिन रिद्धि के तीन-तीन शावक रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य द्वार गणेश धाम से लेकर रणथंभौर दुर्ग व उसके आसपास के क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। इसके अलावा दो अन्य बाघ भी इसी क्षेत्र में हैं। नौ शावक धीरे-धीरे युवावस्था की ओर बढ़ रहे हैं और वे भी अपना क्षेत्र बनाने वाले हैं। ऐसे में मानवीय हस्तक्षेप को देखकर बाघ व मानव के बीच संघर्ष स्वाभाविक है। रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश के प्रति श्रद्धालुओं की इतनी आस्था है कि वे सड़क बंद होने के बावजूद आते रहते हैं। भले ही उन्हें दरवाजा खटखटाने के बाद वापस लौटना पड़े। सब कुछ भगवान भरोसे है
रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालु आते हैं। लेकिन हर रविवार और बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन वन विभाग की ओर से सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते। ऐसे में यहां सब कुछ भगवान भरोसे है। लोगों का कहना है कि बाघों की बड़ी संख्या में आवाजाही के चलते सड़क पर पैदल आवाजाही और दोपहिया वाहनों पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। इसके अलावा टैक्सी यूनियन को रोस्टर सिस्टम के हिसाब से संचालित किया जाना चाहिए।

