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एक ऐसा सूर्य मंदिर जिसकी रचना स्वयं विश्कर्मा ने की थी, छठ पूजा पर जानिए इस अद्भुत मंदिर की और खास बातें

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हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में छठ पूजा का विशेष महत्व है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव और छठी मां की पूजा का विधान है। इसमें महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाने वाला छठ पूजा का त्योहार 4 दिनों तक चलता है, जिसमें पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अगर भगवान सूर्य के मंदिरों की बात करें तो कोणार्क का सूर्य मंदिर सबसे पहले आता है। लेकिन छठ पूजा के मौके पर हम आपको सूर्यदेव के एक और अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो करीब डेढ़ लाख सालों से कायम है। तो आइए जानते हैं कौन सा है वो मंदिर और क्या हैं इसकी विशेषताएं...

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस भव्य मंदिर में छठ पर्व के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस खास मौके पर देश के कोने-कोने से लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर के बारे में प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं धरती पर अवतरित होकर एक रात में इस सूर्य मंदिर का निर्माण किया था. बिहार के इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह देश का पहला ऐसा मंदिर है जिसका द्वार पश्चिम दिशा की ओर है. मंदिर में भगवान सूर्य की तीनों रूपों उदयाचल (सुबह का सूर्य), मध्याचल (मध्य का सूर्य) और अस्ताचल (डूबता हुआ सूर्य) में मूर्तियां स्थापित हैं.

मान्यता है कि छठ पूजा की शुरुआत यहीं से हुई थी. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण करीब डेढ़ लाख साल पहले हुआ था. मंदिर के निर्माण में आयताकार, वर्गाकार, अर्धवृत्ताकार, वृत्ताकार, त्रिभुजाकार पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. इसकी सबसे खास बात यह है कि मंदिर के निर्माण में किसी गारे या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसके बावजूद इतने सालों से मंदिर कैसे खड़ा है और इस मंदिर का निर्माण महज एक रात में कैसे हो सका? यह बात आज भी रहस्यमयी है. स्थापत्य कला और वास्तुकला के इस अद्भुत मंदिर की ऊंचाई करीब सौ फीट बताई जाती है. इस अनोखे सूर्य मंदिर के बाहर एक शिलालेख लगा है, जिसमें लिखा है कि मंदिर का निर्माण त्रेता युग में हुआ था। इस पर लिखे श्लोक के अनुसार मंदिर ने अपने 1 लाख 50 हजार 19 वर्ष पूरे कर लिए हैं।

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