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एक स्कूल टीचर ने बदल की इस गांव की तस्वीर, आज पूरी दुनिया में हो रही इसकी खूबसूरती की चर्चा

भारत विविधताओं का देश है — यहाँ धर्म, आस्था और परंपराएं जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। कई मंदिरों की मान्यताएं और परंपराएं ऐसी हैं जो वैज्ञानिक और आधुनिक दुनिया को भी चौंका देती हैं। एक ऐसी ही परंपरा केरल में देखने को मिलती है, जहां भगवान की शोभायात्रा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को कुछ घंटों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया जाता है।  यह अनोखी परंपरा जुड़ी है केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर से। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।  क्यों बंद होता है एयरपोर्ट? तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का रनवे, जो आमतौर पर यात्रियों की भीड़ और विमानों की आवाजाही से गुलजार रहता है, साल में दो बार भगवान की शोभायात्रा के लिए बंद कर दिया जाता है।  मंदिर के ‘पैंकुनी’ और ‘अल्पासी’ उत्सवों के अंतिम दिन, भगवान पद्मनाभस्वामी की मूर्ति को 'आरात्तु' (पवित्र स्नान) के लिए एक विशेष जुलूस के रूप में समुद्र तट ले जाया जाता है। आश्चर्यजनक रूप से यह शोभायात्रा एयरपोर्ट के रनवे से होकर गुजरती है। इसलिए इस दौरान लगभग 5 घंटे तक हवाई सेवाएं रोक दी जाती हैं।  क्या होता है आरात्तु? ‘आरात्तु’ का अर्थ है भगवान की मूर्ति का पवित्र स्नान। यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी उसी श्रद्धा और अनुशासन के साथ निभाई जाती है।  जुलूस मंदिर से शुरू होकर हवाई अड्डे के रनवे से गुजरता है और समुद्र तट तक पहुंचता है, जहां विशेष अनुष्ठानों के साथ भगवान को स्नान कराया जाता है। इसके बाद रात को उसी रास्ते शोभायात्रा वापसी करती है।  इस यात्रा के दौरान, सैकड़ों श्रद्धालु ‘दीवेत्ती’ (जलता हुआ दीपक) लेकर भगवान की शोभायात्रा के साथ चलते हैं।  कैसे होती है इसकी तैयारी? इस धार्मिक परंपरा को निभाने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन पहले से ही तैयारी शुरू कर देता है। शोभायात्रा से लगभग एक सप्ताह पहले एक ‘नोटम’ (Notice to Airmen - NOTAM) जारी किया जाता है।  इस नोटिस में हवाई क्षेत्र से संबंधित संचालन, सेवाएं और यातायात के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि पायलट और एयरलाइंस आवश्यक बदलाव कर सकें।  इस दौरान न केवल विमानों की आवाजाही रोकी जाती है, बल्कि एयरपोर्ट स्टाफ भी भगवान की यात्रा के मार्ग की सुरक्षा और समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करता है।  पद्मनाभस्वामी मंदिर: एक परिचय श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, भगवान विष्णु के अनंतशायी रूप को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु को शेषनाग की गोद में लेटे हुए अवस्था में दर्शाया गया है, जिसे 'अनंतशयनम्' कहा जाता है।  मंदिर की स्थापत्य कला, इतिहास और रहस्य इसे भारत के धनाढ्य और प्रभावशाली मंदिरों में से एक बनाते हैं। कुछ वर्षों पहले जब मंदिर के तहखानों को खोला गया था, तो उसमें से अरबों रुपए की संपत्ति निकली थी — जिससे यह मंदिर चर्चा में आया था।  आस्था और आधुनिकता का अद्भुत मेल तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट का यह रनवे, जहां रोजाना दर्जनों विमान उड़ान भरते हैं, वह एक दिन भगवान की यात्रा के लिए रास्ता बनता है। यह सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसा उदाहरण है जहां आस्था और आधुनिकता एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलती हैं।  आज के युग में जहां टेक्नोलॉजी और समय की कीमत सबसे ऊपर मानी जाती है, वहीं केरल में एक ऐसी परंपरा आज भी जीवित है, जो धार्मिक आस्था को सर्वोच्च स्थान देती है।  निष्कर्ष तिरुवनंतपुरम का एयरपोर्ट शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा एयरपोर्ट है जो भगवान की यात्रा के लिए अपने रनवे को बंद करता है। यह परंपरा न सिर्फ भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जहां आस्था होती है, वहां व्यवस्था भी अपना रास्ता बदल लेती है।  केरल का यह उदाहरण यह साबित करता है कि धार्मिक परंपराएं और आधुनिकता एक-दूसरे की विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे की पूरक भी हो सकती हैं।  आखिरकार, भारत जैसे देश में यही तो खास बात है — जहां विज्ञान के साथ-साथ भगवान भी रनवे पर उतरते हैं।

जब हम गांवों के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर हमारी आंखों के सामने कच्ची गलियां, धूल-मिट्टी, गंदगी और पालतू जानवरों के चलते खेतों की ओर जाते रास्ते होते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि एक ऐसा गांव भी है, जहां न तो गंदगी है, न ही धूल, और जिसकी रंगीन गलियां और घरों को देखकर आपको ऐसा महसूस हो कि आप इंद्रधनुष के नीचे खड़े हैं, तो क्या आप यकीन करेंगे?

आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पहले एक मलिन बस्ती हुआ करता था, लेकिन अब ‘इंद्रधनुषी गांव’ के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका है। यह गांव अब सिर्फ एक टूरिस्ट अट्रेक्शन नहीं, बल्कि अपनी रंग-बिरंगी सुंदरता के कारण एक नया पहचान बन चुका है।

काम्पुंग पेलंगी: इंडोनेशिया का इंद्रधनुषी गांव

यह अद्भुत गांव इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित है, और नाम है ‘काम्पुंग पेलंगी’। जब हम इस गांव को देखते हैं, तो यह एक जीवंत और रंगीन चित्र प्रदर्शनी के समान लगता है। हर घर, हर गली, हर दीवार में रंगों की एक अद्भुत छटा बसी हुई है। इस गांव को एक नई पहचान मिलने से पहले यह इंडोनेशिया के स्लम एरिया के रूप में जाना जाता था। यहां के लोग पिछड़े हुए थे और अपने टूटे-फूटे घरों में रहते थे।

लेकिन अब यह गांव एक परफेक्ट इंस्टाग्राम डेस्टिनेशन बन चुका है। सोशल मीडिया पर इस गांव को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं, और पर्यटकों की भीड़ यहां हर दिन बढ़ती जा रही है।

इस गांव के बदलाव की कहानी

इस गांव का कायाकल्प करने का बीड़ा उठाया था 54 साल के स्लामेट विडोडो ने, जो इस गांव के एक स्कूल के प्रिंसिपल थे। स्लामेट विडोडो ने गांव को बदलने के लिए एक योजना तैयार की और स्थानीय सरकार से समर्थन प्राप्त किया। उनके प्रस्ताव को सेंट्रल जावा कम्युनिटी ने मंजूरी दी और इस पर काम शुरू हुआ।

इस बदलाव के लिए कुल 16 लाख रुपए खर्च किए गए, जिसमें सरकारी और कुछ कंपनियों का सहयोग शामिल था। गांव में स्थित 390 घरों को रंगीन बनाया गया, और घरों के अलावा गलियों, दीवारों, और छतों पर भी रंगों की बौछार की गई।

कैसे बदला काम्पुंग पेलंगी का चेहरा?

काम्पुंग पेलंगी के कायाकल्प के दौरान, एक सोच थी – “रंगों से इस गांव को जीवंत बनाना।” और यही हुआ भी। पहले यह गांव एक गंदी बस्ती हुआ करता था, लेकिन अब यह गांव दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

गांव के घरों को देखकर ऐसा लगता है जैसे आकाश के इंद्रधनुष के रंगों ने गांव को अपना घर बना लिया हो। यहां आने वाले पर्यटक इस रंगीन गांव में एक नई दुनिया का अनुभव करते हैं। हर गली, हर घर अपने आप में एक कला का नमूना लगता है।

एक पर्यटन स्थल के रूप में काम्पुंग पेलंगी

काम्पुंग पेलंगी अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि एक पर्यटन स्थल बन चुका है। यहां आने वाले पर्यटक न केवल गांव के खूबसूरत दृश्य का आनंद लेते हैं, बल्कि वे इस गांव के बदलाव की कहानी को भी सुनने के लिए यहां आते हैं। यहां की रंगीन गलियों और घरों को देखकर ऐसा महसूस होता है जैसे आप किसी जादुई दुनिया में प्रवेश कर गए हों।

यह गांव अब सर्दी और गर्मी दोनों सीजन में पर्यटकों से भरा रहता है। लोग यहां के रंग-बिरंगे घरों के साथ फोटो खिंचवाने और सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए आते हैं। काम्पुंग पेलंगी की खूबसूरती अब दुनियाभर में मशहूर हो चुकी है।

रंगों से सिर्फ गांव का रूप नहीं बदला, बल्कि जीवन बदल गया

काम्पुंग पेलंगी का बदलाव सिर्फ गांव का रूप ही नहीं बदलता, बल्कि यहां के निवासियों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आया है। पहले जो लोग गरीबी और पिछड़ेपन से जूझ रहे थे, वे अब अपने गांव की खूबसूरती पर गर्व महसूस करते हैं। यहां के लोग अब आत्मनिर्भर बन चुके हैं और अपनी कला और संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं।

इस गांव के बदलाव से यह साबित होता है कि अगर हम सही दिशा में काम करें, तो किसी भी बस्ती को शहर या पर्यटन स्थल में बदल सकते हैं।

निष्कर्ष

काम्पुंग पेलंगी सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि आशा और प्रेरणा की एक कहानी है। यह गांव दिखाता है कि कला, रंग और समुदाय के सामूहिक प्रयास से किसी भी स्थान को नई दिशा दी जा सकती है। अब यह गांव दुनिया भर में एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है और हर साल लाखों पर्यटक यहां आते हैं।

तो अगर आप भी कभी इंडोनेशिया जाएं, तो काम्पुंग पेलंगी की रंगीन गलियों में जरूर घूमने जाएं और इस अद्भुत गांव की सुंदरता का अनुभव करें।

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