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भारत की एक ऐसी नदी जो बहती है उल्टी दिशा में, शिव का प्राप्त है इसे वरदान

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भारत को नदियों का देश कहा जाता है। यहां नदियों को केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि मां, देवी और पूज्यनीय माना जाता है। गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा जैसी नदियों को श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा जाता है। लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसी नदियां भी हैं जिनकी धारा, दिशा और प्रकृति ही अनोखी है। कुछ लुप्त हो जाती हैं, कुछ सूखी होकर भी आस्था का केंद्र हैं, और कुछ को पुरुष नदी कहा जाता है। आज हम आपको भारत की उन नदियों की कहानियां बताएंगे, जिनके पीछे पौराणिक कथा, रहस्य और गहरी लोक मान्यता जुड़ी हुई है।

1. अदृश्य हो जाने वाली नदी: लुप्त होती धारा का रहस्य

भारत में एक नदी ऐसी भी है जो अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद अचानक लुप्त हो जाती है। यह नदी आज भी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक रहस्य बनी हुई है। मान्यता है कि यह नदी कभी पूर्ण बहाव में थी, लेकिन किसी कारणवश अब यह जमीन के अंदर समा जाती है और उसका बाहरी अस्तित्व दिखाई नहीं देता। ऐसी नदियों को लुप्त नदियां कहा जाता है और माना जाता है कि कभी सरस्वती नदी भी ऐसी ही थी जो आज अदृश्य हो चुकी है। ऋग्वेद और अन्य प्राचीन ग्रंथों में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है। भारत सरकार और वैज्ञानिक एजेंसियों ने भी इसके पुनः अस्तित्व की खोज में कई प्रयास किए हैं।

2. सूखी नदी, जहां रेत से पानी निकालकर दी जाती है पितरों को श्रद्धांजलि

कुछ नदियां सूखी होने के बावजूद श्रद्धा का केंद्र होती हैं। ऐसी ही एक नदी है जहां रेत के नीचे से श्रद्धालु पानी निकालते हैं और अपने पूर्वजों को तर्पण देते हैं। यह अपने आप में आश्चर्यजनक है कि सूखी नदी के अंदर की रेत में पानी छिपा रहता है, और वो भी धार्मिक कर्मकांड के लिए उपयोग होता है। यह परंपरा यह बताती है कि जल का अस्तित्व सिर्फ दिखाई देने में नहीं होता, बल्कि आस्था और संकल्प में भी होता है।

3. भारत की इकलौती पुरुष नदी – ब्रह्मपुत्र

जहां भारत की लगभग सभी प्रमुख नदियां स्त्री रूप में पूजी जाती हैं, वहीं ब्रह्मपुत्र नदी एक पुरुष नदी मानी जाती है। इसका नाम ही "ब्रह्मा का पुत्र" है। यह नदी तिब्बत के मानसरोवर से निकलती है और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश से होती हुई बांग्लादेश में गंगा से मिलती है। ब्रह्मपुत्र की खासियत यह है कि यह भारत की सबसे चौड़ी और विशाल नदियों में से एक है, और इसकी धारा कई जगहों पर इतनी तेज होती है कि यह प्रलय की तरह बहती है। पुरुष नदी होने की यह मान्यता इसे अन्य सभी नदियों से अलग बनाती है।

4. उल्टी दिशा में बहने वाली रहस्यमयी नदी – नर्मदा

भारत की अधिकतर नदियां पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं, लेकिन नर्मदा नदी इस परंपरा को तोड़ती है। यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में गिरती है। यह अपने आप में एक भौगोलिक और आध्यात्मिक चमत्कार है।

नर्मदा नदी को भगवान शिव की पुत्री माना जाता है। इसके बहाव की दिशा को लेकर एक रोचक कथा है। एक समय नर्मदा का विवाह सोनभद्र नदी से तय हुआ था, लेकिन एक सहेली जोहिला के कारण मतभेद हो गए। नर्मदा ने आजीवन कुंवारी रहने और विपरीत दिशा में बहने का संकल्प लिया। इसी कारण यह नदी अन्य नदियों के विपरीत दिशा में बहती है। भगवान शिव ने नर्मदा को वरदान दिया था कि उसकी हर एक कंकर (कंकड़) में शंकर का वास होगा। यही कारण है कि नर्मदा नदी से मिलने वाले पत्थर शिवलिंग के आकार के होते हैं, जिन्हें नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है और पूरे भारत में पूजा जाता है। भारत की नदियां केवल जलधारा नहीं, संस्कृति, आस्था और इतिहास की जीवंत प्रतीक हैं। यहां की हर नदी में कोई न कोई रहस्य, मान्यता और शक्ति समाई हुई है। चाहे वह लुप्त हो चुकी सरस्वती हो, सूखी रेत में बहती श्रद्धा की धारा हो, पुरुष स्वरूप ब्रह्मपुत्र हो या उल्टी दिशा में बहने वाली नर्मदा – सभी नदियां हमें प्रकृति और पौराणिकता के अनोखे संगम का बोध कराती हैं।

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