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इस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने छात्रों से भरी क्लास में चला दी पोर्न वीडियो और फिर…

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दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ में से एक, यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो इन दिनों एक विवाद के केंद्र में है। वजह है एक ऐसा वाकया जिसने वहां के छात्रों, प्रशासन और सोशल मीडिया पर मौजूद लोगों को चौंका कर रख दिया है। एक लेक्चर के दौरान प्रोफेसर ने छात्रों के सामने ऐसी हरकत कर दी, जिसे देख 500 छात्र हक्के-बक्के रह गए

दरअसल, यह घटना यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की एक क्लास में घटी, जहां प्रोफेसर डॉ. स्टीव जॉर्डन्स "इंट्रोडक्शन टू बायोलॉजिकल एंड कॉग्निटिव साइकोलॉजी" विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इसी दौरान अचानक क्लास के बड़े स्क्रीन पर पॉर्न फिल्म चलने लगी। यह घटना इतनी अचानक और हैरान करने वाली थी कि छात्र न समझ पाए कि ये गलती से हुआ है या जानबूझकर।

छात्रों की प्रतिक्रिया: कोई हैरान, कोई हँस पड़ा

इस घटना के तुरंत बाद ही क्लास में मौजूद छात्र अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देने लगे। कुछ छात्र हँसते नजर आए, जबकि कुछ पूरी तरह असहज और स्तब्ध रह गए। एक छात्र ने कहा, “ऐसी चीज़ की तो हमने कल्पना भी नहीं की थी। क्लास में पढ़ाई के बीच अचानक ऐसा वीडियो चलना बेहद शर्मनाक था।”

कुछ छात्रों ने इस घटना को अपने स्नैपचैट अकाउंट्स पर रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, जिससे यह वीडियो वायरल हो गया। कुछ ही घंटों में यह मामला ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर चर्चा का विषय बन गया और लोगों ने प्रोफेसर के इस कदम को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए।

क्या यह गलती थी या जानबूझकर किया गया?

हालांकि इस घटना को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन और संबंधित विभाग ने कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है, लेकिन एक छात्र का दावा इस पूरे मामले को नया मोड़ दे देता है। उस छात्र ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा,

“मैं इस लेक्चर में मौजूद था और मैं 100% विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह कोई एक्सीडेंट नहीं था। यह पूरी तरह से लेक्चर का हिस्सा लग रहा था।”

इस बयान के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि क्या प्रोफेसर वास्तव में इस वीडियो को किसी शैक्षणिक उद्देश्य से दिखा रहे थे? या यह वाकई एक गंभीर तकनीकी चूक थी?

यूनिवर्सिटी प्रशासन की प्रतिक्रिया

जब सिटी न्यूज़ ने इस मामले पर यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो स्कारबोरो (UTSC) के प्रवक्ता से बात की, तो उन्होंने कहा,

“हम व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी नहीं करते, लेकिन यह ज़रूर कह सकते हैं कि हम सभी छात्रों की चिंताओं को गंभीरता से लेते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं कि वे किसी भी असहज स्थिति को लेकर स्टाफ से खुलकर बात करें।”

हालांकि प्रशासन ने साफ तौर पर यह नहीं बताया कि यह घटना प्रोफेसर की गलती थी या जानबूझकर किया गया प्रयोग, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि आंतरिक जांच शुरू हो चुकी है

क्या यह साइकोलॉजिकल प्रयोग था?

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की वीडियो क्लिपिंग कभी-कभी साइकोलॉजी विषय में मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए प्रयोग की जाती हैं। अगर प्रोफेसर का इरादा छात्रों की भावनात्मक या व्यवहारिक प्रतिक्रियाओं को समझने का था, तो हो सकता है कि यह एक रिसर्च स्टडी का हिस्सा हो। लेकिन ऐसे प्रयोगों में आम तौर पर पूर्व जानकारी या सहमति लेना अनिवार्य होता है, जो इस मामले में नहीं दिखा।

सोशल मीडिया पर बंटा हुआ नजरिया

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर दो तरह की राय सामने आई। कुछ लोगों ने इसे एक गंभीर लापरवाही बताया और यूनिवर्सिटी प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। वहीं कुछ लोगों ने इस घटना को "आधुनिक शिक्षा पद्धति का नया आयाम" कहकर इसका बचाव भी किया।

एक यूज़र ने ट्वीट किया:

"अगर यह एक साइकोलॉजिकल प्रयोग था, तो छात्रों को पहले बताया जाना चाहिए था। अचानक ऐसा कुछ दिखाना उनकी मानसिक स्थिति पर असर डाल सकता है।"

वहीं एक और यूज़र ने लिखा:

"अगर यह गलती थी, तो यह बहुत शर्मनाक है। लेकिन अगर जानबूझकर किया गया था, तो यह और भी गंभीर मामला है।"

शिक्षा और मर्यादा के बीच संतुलन ज़रूरी

इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि शिक्षा के नाम पर क्या-क्या दिखाना उचित है? क्या प्रोफेसर को छात्रों की सहमति के बिना इस तरह की सामग्री दिखाने का अधिकार है? विश्वविद्यालयों में शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता और मर्यादा बनाए रखना भी उतना ही ज़रूरी है।

निष्कर्ष

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में जो हुआ, वह एक आश्चर्यजनक और असामान्य घटना थी। चाहे यह जानबूझकर किया गया प्रयोग हो या एक तकनीकी चूक, लेकिन इसने शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों की जिम्मेदारी और छात्रों की भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यूनिवर्सिटी इस पर क्या आधिकारिक बयान देती है और क्या प्रोफेसर के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या नहीं। लेकिन इतना तय है कि छात्रों के लिए यह अनुभव कभी न भूलने वाला बन गया है।

कक्षा में शिक्षा जरूरी है, लेकिन मर्यादा और संवेदनशीलता भी उतनी ही महत्वपूर्ण।

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