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भारत की एक रहस्यमयी गुफा जो बताती है पृथ्वी के अंत की कहानी, जिसे जानकर विज्ञान भी हैरान और धर्म भी मौन

भारत की एक रहस्यमयी गुफा जो बताती है पृथ्वी के अंत की कहानी, जिसे जानकर विज्ञान भी हैरान और धर्म भी मौन

भारत के उत्तराखंड राज्य में एक ऐसा मंदिर है, जो न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि रहस्य और आध्यात्म का अद्भुत संगम भी है। यह मंदिर है 'पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर', जिसके बारे में मान्यता है कि धरती के अंदर एक रहस्य छिपा है, जिसका संबंध दुनिया के अंत से है। यहाँ आने वाला हर भक्त इसकी गहराई और रहस्यमयी संरचना देखकर आश्चर्यचकित रह जाता है।

पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर कहाँ है?
यह मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट क्षेत्र में स्थित है। समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह गुफा कुमाऊँ क्षेत्र के सबसे प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है। पहाड़ों के बीच स्थित यह गुफा लगभग 90 फीट गहरी और 160 मीटर लंबी है।

इतिहास और पौराणिक मान्यताएँ
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस गुफा का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि राजा ऋतुपर्ण (त्रेता युग) ने इस गुफा की खोज की थी। बाद में, आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने इस गुफा की पुनः खोज की और इसे एक आध्यात्मिक स्थल के रूप में स्थापित किया। ऐसी भी मान्यता है कि इस गुफा में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं और स्वयं भगवान शंकर पाताल लोक के द्वारपाल के रूप में यहाँ विराजमान हैं।

गुफा के अंदर क्या खास है?

गुफा के अंदर जाने के लिए एक संकरा रास्ता है, जिसमें नीचे झुकना पड़ता है। नीचे पहुँचने पर एक के बाद एक चमत्कारी आकृतियाँ दिखाई देती हैं, जैसे शेषनाग का मस्तक, कल्पवृक्ष, अश्वमेध यज्ञ की वेदी, गणेश का कटा हुआ मस्तक, और सबसे आश्चर्यजनक है कलियुग के अंत का प्रतीक एक पत्थर जो धीरे-धीरे नीचे गिर रहा है। ऐसा माना जाता है कि जब यह पत्थर ज़मीन से टकराएगा, तभी कलियुग का अंत होगा।

कैसे पहुँचें और कब जाएँ?

यह स्थान गंगोलीहाट से लगभग 14 किमी दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, और निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है। यहाँ आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच माना जाता है, जब मौसम सुहावना होता है।

भावनात्मक लगाव और भक्ति का केंद्र
पाताल भुवनेश्वर सिर्फ़ एक गुफा नहीं, बल्कि आस्था और रहस्य का संगम है, जो हर किसी को गहराई से छू जाता है। यहाँ आकर भक्तों को यह एहसास होता है कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में लिखे तथ्य सिर्फ़ कल्पना नहीं, बल्कि किसी गहरे सत्य से जुड़े हैं।

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