Samachar Nama
×

आखिर कैसे, हर साल बढ़ रहीं हैं इस शिवलिंग की लंबाई, लम्बाई का राज आज भी बना हुआ हैं एक रहस्य, जानिए !

आखिर कैसे, हर साल बढ़ रहीं हैं इस शिवलिंग की लंबाई, लम्बाई का राज आज भी बना हुआ हैं एक रहस्य, जानिए !

हमारे देश में हजारों मंदिर हैं जिनमें से कुछ प्राचीन हैं तो कुछ चमत्कारी हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। क्योंकि इस मंदिर में मौजूद शिव लिंग की लंबाई हर साल बढ़ती जाती है, भले ही आपको विश्वास न हो लेकिन यह बिल्कुल सच है। क्योंकि मध्य प्रदेश के खजुराहो में मातंगेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग की लंबाई हर साल बढ़ती जाती है।

9 फीट भूमिगत है यह शिवलिंग

खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग कई मायनों में खास है। यह मंदिर भगवान शिव के भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर में स्थित शिवलिंग जमीन के अंदर 9 फीट और जमीन से सिर्फ 9 फीट बाहर है। इतना ही नहीं, इसके अलावा मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग की लंबाई भी हर साल बढ़ती जाती है। हर साल शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई मापी जाती है जो पिछले साल की तुलना में एक इंच अधिक है। यहां के अधिकारी इसे एक इंच टेप से नापते हैं।

कार्तिक मास की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई मापी जाती है।

मतंगेश्वर महाराज मंदिर के पुजारी के अनुसार हर साल कार्तिक मास की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक तिल जितनी बढ़ जाती है। शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए पर्यटन विभाग के कर्मचारी एक इंच के टेप से इसे नापते हैं। जहां शिवलिंग पहले से ज्यादा ऊंचा दिखाई देता है।

शिवलिंग की लंबाई ऊपर और नीचे दोनों तरफ बढ़ती है।

इतना ही नहीं इस मंदिर की एक और विशेषता है। यानी यह शिवलिंग जितना ऊपर की ओर उठता है उतना ही नीचे की ओर बढ़ता है। शिवलिंग के इस अद्भुत चमत्कार को देखने के लिए यहां लोगों की भीड़ उमड़ती है। वैसे तो यह मंदिर साल भर भक्तों से भरा रहता है, लेकिन सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है। दर्शन के लिए लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं।

1100 साल से भी ज्यादा पुराना है यह मंदिर

बता दें कि यह मंदिर लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित है। जो 35 फीट स्क्वायर है। इसका गर्भगृह भी चौकोर है। मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में है। मंदिर का शिखर बहुमंजिला है। इसका निर्माण काल ​​लगभग 900 से 925 ई. माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चंदेल शासक हर्षदेव के शासनकाल में हुआ था। मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल शिवलिंग है जो 8.5 फीट ऊंचा है। इसकी परिधि लगभग 4 फीट है। इस शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

ये है मंदिर के पीछे की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर के पास मकरत मणि थी, जो शिव ने पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर को दी थी। युधिष्ठिर से वह ऋषि मातंग के पास पहुंची और राजा हर्षवर्मन को दे दी। मतंग ऋषि के रत्न के कारण इस मंदिर का नाम मातंगेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग के केंद्र में सुरक्षा के लिए मणि को जमीन में गाड़ दिया गया था। तभी से यह रत्न शिवलिंग के नीचे पड़ा हुआ है।

Share this story