22 पवित्र कुंड 1000 फीट लम्बाई..... दक्षिण में स्थित है भगवान शिव का ये अनोखा मंदिर, कहते है त्रेतायुग में श्रीराम ने की थी इसकी स्थापना
भारत के तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले के रामेश्वरम में स्थित रामेश्वरम मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित यह मंदिर धार्मिक आस्था, वास्तुकला और पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम है। इस मंदिर का महत्व जितना ही रोमांचक है, यहां पहुंचने का सफर भी उतना ही रोमांचक है। आपको बता दें कि 145 कंक्रीट के खंभों पर टिके सौ साल पुराने पुल के जरिए ट्रेन से इस मंदिर तक जाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर की खासियत, पौराणिक कथा, यात्रा और इस मंदिर से जुड़ी हर जानकारी के बारे में।
रामेश्वरम मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास समाप्त करके और लंकापति रावण का वध करके माता सीता के साथ वापस लौटे, तब ऋषियों ने उन्हें बताया कि उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है। इसलिए उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग की स्थापना करने की सलाह दी गई। ऐसे में भगवान राम ने हनुमान जी को शिवलिंग लाने के लिए कैलाश पर्वत भेजा, लेकिन हनुमान जी को आने में देर हो गई। इसी बीच माता सीता ने समुद्र तट पर रेत से शिवलिंग बनाया। बाद में हनुमान जी द्वारा लाए गए शिवलिंग को भी वहीं स्थापित कर दिया गया। एक तरफ माता सीता द्वारा बनाए गए लिंग को 'रामलिंग' और दूसरी तरफ हनुमान जी द्वारा लाए गए लिंग को 'विश्वलिंग' कहा गया। इसके बाद भगवान राम ने रामेश्वरम के पास स्नान किया और शिवलिंग की विधिवत पूजा कर अपने पापों से मुक्ति पाई। आपको बता दें कि आज भी ये दोनों शिवलिंग रामेश्वरम मंदिर में मौजूद हैं।
विशाल आकार और अद्भुत वास्तुकला
यह मंदिर करीब 1000 फीट लंबा और 650 फीट चौड़ा है। इसका प्रवेश द्वार 40 मीटर ऊंचा है। मंदिर की दीवारें और गलियारे द्रविड़ शैली की वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर को बनाने के लिए श्रीलंका से नाव के जरिए पत्थर लाए गए थे।
दुनिया का सबसे लंबा गलियारा
रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व प्रसिद्ध है। यह उत्तर से दक्षिण तक 197 मीटर लंबा और पूर्व से पश्चिम तक 133 मीटर लंबा है। यहां तीन गलियारे हैं, जिनमें से एक 12वीं शताब्दी का माना जाता है।
22 पवित्र कुंड
मंदिर परिसर में 22 पवित्र तालाब हैं, जहां श्रद्धालु पूजा से पहले स्नान करते हैं। यहां के तालाबों का पानी भी चमत्कारी गुणों से भरपूर है। कहा जाता है कि यहां अग्नि तीर्थ में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और बीमारियां दूर होती हैं।
145 खंभों पर टिका है पुल
रामेश्वरम पहुंचने के लिए सौ साल पुराना पुल है, जो 145 खंभों पर टिका है। समुद्र के बीच से गुजरती ट्रेन का नजारा इतना खूबसूरत होता है कि इसे देखने का अनुभव जिंदगी भर याद रहता है।

