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2000 साल पुरानी रहस्यमयी गुफा का खुलासा, मिले ऐसे अद्भुत सामान देखकर खुली रह गई आंखें

मेक्सिको में हाल ही में पुरातत्वविदों ने एक बेहद रहस्यमयी सुरंग की खोज की है, जो लगभग 2000 साल पुरानी मानी जा रही है। यह सुरंग प्राचीन तियोथिहुआकेन सभ्यता से जुड़ी हुई है, जो अमेरिका महाद्वीप की सबसे समृद्ध और विकसित सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। इस सुरंग के भीतर लाखों की संख्या में दुर्लभ और अद्भुत वस्तुएं मिली हैं, जो न सिर्फ उस समय की धार्मिक मान्यताओं की झलक देती हैं, बल्कि इस सभ्यता की तकनीकी और सांस्कृतिक उन्नति को भी दर्शाती हैं।  तियोथिहुआकेन: जहां आदमी 'भगवान' बनता है तियोथिहुआकेन एक ऐतिहासिक शहर था, जिसका अर्थ है "जहां आदमी भगवान बनता है"। यह शहर ईसा के जन्म से करीब 450 साल पहले अस्तित्व में आ चुका था और ईसा के लगभग 550 साल बाद तक भी पूरी समृद्धि में था। इस शहर में कभी लगभग दो लाख लोग रहते थे, जो उस समय के हिसाब से एक विशाल आबादी थी। इतिहासकार मानते हैं कि यह शहर क्लासिकल पीरियड के दौरान हिस्पैनिक युग से पहले अमेरिका महाद्वीप का सबसे ज्यादा आबादी वाला नगर था।  एक समावेशी और प्रगतिशील नगर तियोथिहुआकेन केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि व्यापार, शिल्प और संस्कृति का बड़ा केंद्र था। यहां अलग-अलग विचारों और पृष्ठभूमि के लोग बसते थे और यहां मौजूद अवसरों का लाभ उठाते थे। प्रारंभ में ये लोग केवल खेती करते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने सामानों का उत्पादन और व्यापार भी शुरू कर दिया। इस शहर के संपर्क मीजो-अमेरिका की लगभग हर समकालीन संस्कृति से थे।  सुरंग की खोज: 1700 साल बाद खुला राज़ यह रहस्यमयी सुरंग पिछले 1700 सालों से बंद थी। इसकी खोज साल 2009 में शुरू की गई जब वैज्ञानिकों ने रोबोट्स की मदद से इस सुरंग की गहराइयों का अध्ययन किया। यह सुरंग 103 मीटर लंबी है, जो ज़मीन से करीब 14 मीटर नीचे शुरू होकर 18 मीटर गहराई तक जाती है। सुरंग में तीन कमरे मिले हैं और इसके दूसरे सिरे पर एक खुली जगह भी है।  भगवानों की गुफा या धार्मिक प्रयोगशाला? पुरातत्वविदों का मानना है कि तियोथिहुआकेन सभ्यता के लोग इस सुरंग का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए करते थे। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि इस गुफा का इस्तेमाल 'भगवान' बनाने जैसी पवित्र प्रक्रियाओं के लिए किया जाता था। हालांकि यह सुरंग कई बार खोली और फिर से बंद की गई थी, लेकिन इसका स्पष्ट कारण आज तक ज्ञात नहीं हो सका है।  अनोखे और बहुमूल्य खोज इस सुरंग से जो वस्तुएं मिली हैं, वे न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी अद्भुत हैं। इनमें हरे रंग का जेड पत्थर, शंख, घोंघे, और दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले कछुए शामिल हैं। इसके अलावा ओआक्साका और प्युबला क्षेत्रों की वस्तुएं भी इसमें मिली हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तियोथिहुआकेन का व्यापारिक संबंध कई दूर-दराज के क्षेत्रों से था।  रबर की गेंदें और वल्कनीकरण की तकनीक इस सुरंग से 14 विशेष रूप से संरक्षित रबर की गेंदें भी प्राप्त हुई हैं, जिनमें से कुछ का वल्कनीकरण (रबर को टिकाऊ और लचीला बनाने की प्रक्रिया) किया गया था। यह दिखाता है कि उस समय के लोग रबर की वैज्ञानिक प्रक्रिया से परिचित थे। ये रबर की वस्तुएं मेक्सिको के वेराक्रूज़, चियापास और ताबास्को जैसे इलाकों से लाई गई थीं।  कोई मकबरा नहीं, लेकिन देवी-देवताओं की मूर्तियां हालांकि इस सुरंग से किसी भी प्रकार का मकबरा या शव नहीं मिला है, लेकिन महिला देवी और पुरुष देवता की मूर्तियां जरूर मिली हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि यह सुरंग धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए उपयोग की जाती थी। इससे तियोथिहुआकेन सभ्यता के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन की गहराई को समझने में मदद मिलती है।  निष्कर्ष तियोथिहुआकेन की यह सुरंग न केवल एक पुरातात्विक चमत्कार है, बल्कि यह उस सभ्यता की धार्मिकता, वैज्ञानिकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। आने वाले समय में इस सुरंग से जुड़ी और भी खोजें हमें इतिहास के उन अनछुए पहलुओं से रूबरू करा सकती हैं, जो आज तक अज्ञात हैं। इस खोज ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मीजो-अमेरिका की प्राचीन सभ्यताएं अत्यंत उन्नत और रहस्यमयी थीं।

मेक्सिको में हाल ही में पुरातत्वविदों ने एक बेहद रहस्यमयी सुरंग की खोज की है, जो लगभग 2000 साल पुरानी मानी जा रही है। यह सुरंग प्राचीन तियोथिहुआकेन सभ्यता से जुड़ी हुई है, जो अमेरिका महाद्वीप की सबसे समृद्ध और विकसित सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। इस सुरंग के भीतर लाखों की संख्या में दुर्लभ और अद्भुत वस्तुएं मिली हैं, जो न सिर्फ उस समय की धार्मिक मान्यताओं की झलक देती हैं, बल्कि इस सभ्यता की तकनीकी और सांस्कृतिक उन्नति को भी दर्शाती हैं।

तियोथिहुआकेन: जहां आदमी 'भगवान' बनता है

तियोथिहुआकेन एक ऐतिहासिक शहर था, जिसका अर्थ है "जहां आदमी भगवान बनता है"। यह शहर ईसा के जन्म से करीब 450 साल पहले अस्तित्व में आ चुका था और ईसा के लगभग 550 साल बाद तक भी पूरी समृद्धि में था। इस शहर में कभी लगभग दो लाख लोग रहते थे, जो उस समय के हिसाब से एक विशाल आबादी थी। इतिहासकार मानते हैं कि यह शहर क्लासिकल पीरियड के दौरान हिस्पैनिक युग से पहले अमेरिका महाद्वीप का सबसे ज्यादा आबादी वाला नगर था।

एक समावेशी और प्रगतिशील नगर

तियोथिहुआकेन केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि व्यापार, शिल्प और संस्कृति का बड़ा केंद्र था। यहां अलग-अलग विचारों और पृष्ठभूमि के लोग बसते थे और यहां मौजूद अवसरों का लाभ उठाते थे। प्रारंभ में ये लोग केवल खेती करते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने सामानों का उत्पादन और व्यापार भी शुरू कर दिया। इस शहर के संपर्क मीजो-अमेरिका की लगभग हर समकालीन संस्कृति से थे।

सुरंग की खोज: 1700 साल बाद खुला राज़

यह रहस्यमयी सुरंग पिछले 1700 सालों से बंद थी। इसकी खोज साल 2009 में शुरू की गई जब वैज्ञानिकों ने रोबोट्स की मदद से इस सुरंग की गहराइयों का अध्ययन किया। यह सुरंग 103 मीटर लंबी है, जो ज़मीन से करीब 14 मीटर नीचे शुरू होकर 18 मीटर गहराई तक जाती है। सुरंग में तीन कमरे मिले हैं और इसके दूसरे सिरे पर एक खुली जगह भी है।

भगवानों की गुफा या धार्मिक प्रयोगशाला?

पुरातत्वविदों का मानना है कि तियोथिहुआकेन सभ्यता के लोग इस सुरंग का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए करते थे। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि इस गुफा का इस्तेमाल 'भगवान' बनाने जैसी पवित्र प्रक्रियाओं के लिए किया जाता था। हालांकि यह सुरंग कई बार खोली और फिर से बंद की गई थी, लेकिन इसका स्पष्ट कारण आज तक ज्ञात नहीं हो सका है।

अनोखे और बहुमूल्य खोज

इस सुरंग से जो वस्तुएं मिली हैं, वे न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी अद्भुत हैं। इनमें हरे रंग का जेड पत्थर, शंख, घोंघे, और दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले कछुए शामिल हैं। इसके अलावा ओआक्साका और प्युबला क्षेत्रों की वस्तुएं भी इसमें मिली हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तियोथिहुआकेन का व्यापारिक संबंध कई दूर-दराज के क्षेत्रों से था।

रबर की गेंदें और वल्कनीकरण की तकनीक

इस सुरंग से 14 विशेष रूप से संरक्षित रबर की गेंदें भी प्राप्त हुई हैं, जिनमें से कुछ का वल्कनीकरण (रबर को टिकाऊ और लचीला बनाने की प्रक्रिया) किया गया था। यह दिखाता है कि उस समय के लोग रबर की वैज्ञानिक प्रक्रिया से परिचित थे। ये रबर की वस्तुएं मेक्सिको के वेराक्रूज़, चियापास और ताबास्को जैसे इलाकों से लाई गई थीं।

कोई मकबरा नहीं, लेकिन देवी-देवताओं की मूर्तियां

हालांकि इस सुरंग से किसी भी प्रकार का मकबरा या शव नहीं मिला है, लेकिन महिला देवी और पुरुष देवता की मूर्तियां जरूर मिली हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि यह सुरंग धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए उपयोग की जाती थी। इससे तियोथिहुआकेन सभ्यता के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन की गहराई को समझने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

तियोथिहुआकेन की यह सुरंग न केवल एक पुरातात्विक चमत्कार है, बल्कि यह उस सभ्यता की धार्मिकता, वैज्ञानिकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। आने वाले समय में इस सुरंग से जुड़ी और भी खोजें हमें इतिहास के उन अनछुए पहलुओं से रूबरू करा सकती हैं, जो आज तक अज्ञात हैं। इस खोज ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मीजो-अमेरिका की प्राचीन सभ्यताएं अत्यंत उन्नत और रहस्यमयी थीं।

मेक्सिको में हाल ही में पुरातत्वविदों ने एक बेहद रहस्यमयी सुरंग की खोज की है, जो लगभग 2000 साल पुरानी मानी जा रही है। यह सुरंग प्राचीन तियोथिहुआकेन सभ्यता से जुड़ी हुई है, जो अमेरिका महाद्वीप की सबसे समृद्ध और विकसित सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। इस सुरंग के भीतर लाखों की संख्या में दुर्लभ और अद्भुत वस्तुएं मिली हैं, जो न सिर्फ उस समय की धार्मिक मान्यताओं की झलक देती हैं, बल्कि इस सभ्यता की तकनीकी और सांस्कृतिक उन्नति को भी दर्शाती हैं।

तियोथिहुआकेन: जहां आदमी 'भगवान' बनता है

तियोथिहुआकेन एक ऐतिहासिक शहर था, जिसका अर्थ है "जहां आदमी भगवान बनता है"। यह शहर ईसा के जन्म से करीब 450 साल पहले अस्तित्व में आ चुका था और ईसा के लगभग 550 साल बाद तक भी पूरी समृद्धि में था। इस शहर में कभी लगभग दो लाख लोग रहते थे, जो उस समय के हिसाब से एक विशाल आबादी थी। इतिहासकार मानते हैं कि यह शहर क्लासिकल पीरियड के दौरान हिस्पैनिक युग से पहले अमेरिका महाद्वीप का सबसे ज्यादा आबादी वाला नगर था।

एक समावेशी और प्रगतिशील नगर

तियोथिहुआकेन केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि व्यापार, शिल्प और संस्कृति का बड़ा केंद्र था। यहां अलग-अलग विचारों और पृष्ठभूमि के लोग बसते थे और यहां मौजूद अवसरों का लाभ उठाते थे। प्रारंभ में ये लोग केवल खेती करते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने सामानों का उत्पादन और व्यापार भी शुरू कर दिया। इस शहर के संपर्क मीजो-अमेरिका की लगभग हर समकालीन संस्कृति से थे।

सुरंग की खोज: 1700 साल बाद खुला राज़

यह रहस्यमयी सुरंग पिछले 1700 सालों से बंद थी। इसकी खोज साल 2009 में शुरू की गई जब वैज्ञानिकों ने रोबोट्स की मदद से इस सुरंग की गहराइयों का अध्ययन किया। यह सुरंग 103 मीटर लंबी है, जो ज़मीन से करीब 14 मीटर नीचे शुरू होकर 18 मीटर गहराई तक जाती है। सुरंग में तीन कमरे मिले हैं और इसके दूसरे सिरे पर एक खुली जगह भी है।

भगवानों की गुफा या धार्मिक प्रयोगशाला?

पुरातत्वविदों का मानना है कि तियोथिहुआकेन सभ्यता के लोग इस सुरंग का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए करते थे। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि इस गुफा का इस्तेमाल 'भगवान' बनाने जैसी पवित्र प्रक्रियाओं के लिए किया जाता था। हालांकि यह सुरंग कई बार खोली और फिर से बंद की गई थी, लेकिन इसका स्पष्ट कारण आज तक ज्ञात नहीं हो सका है।

अनोखे और बहुमूल्य खोज

इस सुरंग से जो वस्तुएं मिली हैं, वे न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी अद्भुत हैं। इनमें हरे रंग का जेड पत्थर, शंख, घोंघे, और दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले कछुए शामिल हैं। इसके अलावा ओआक्साका और प्युबला क्षेत्रों की वस्तुएं भी इसमें मिली हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तियोथिहुआकेन का व्यापारिक संबंध कई दूर-दराज के क्षेत्रों से था।

रबर की गेंदें और वल्कनीकरण की तकनीक

इस सुरंग से 14 विशेष रूप से संरक्षित रबर की गेंदें भी प्राप्त हुई हैं, जिनमें से कुछ का वल्कनीकरण (रबर को टिकाऊ और लचीला बनाने की प्रक्रिया) किया गया था। यह दिखाता है कि उस समय के लोग रबर की वैज्ञानिक प्रक्रिया से परिचित थे। ये रबर की वस्तुएं मेक्सिको के वेराक्रूज़, चियापास और ताबास्को जैसे इलाकों से लाई गई थीं।

कोई मकबरा नहीं, लेकिन देवी-देवताओं की मूर्तियां

हालांकि इस सुरंग से किसी भी प्रकार का मकबरा या शव नहीं मिला है, लेकिन महिला देवी और पुरुष देवता की मूर्तियां जरूर मिली हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि यह सुरंग धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए उपयोग की जाती थी। इससे तियोथिहुआकेन सभ्यता के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन की गहराई को समझने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

तियोथिहुआकेन की यह सुरंग न केवल एक पुरातात्विक चमत्कार है, बल्कि यह उस सभ्यता की धार्मिकता, वैज्ञानिकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। आने वाले समय में इस सुरंग से जुड़ी और भी खोजें हमें इतिहास के उन अनछुए पहलुओं से रूबरू करा सकती हैं, जो आज तक अज्ञात हैं। इस खोज ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मीजो-अमेरिका की प्राचीन सभ्यताएं अत्यंत उन्नत और रहस्यमयी थीं।

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