200 साल से वीरान कुलधरा! 3 मिनट के शानदार वीडियो में देखे उस दीवान की कहानी जिसने पूरे गांव को रातों-रात खाली करा दिया
राजस्थान की गर्म रेत और वीराने में बसा एक गांव — कुलधरा, जो जोधपुर से करीब 18 किलोमीटर दूर है, आज भी रहस्य और रोमांच का पर्याय बना हुआ है।
यह गांव पिछले 200 सालों से वीरान पड़ा है। कहते हैं कि एक रात में पूरा गांव लापता हो गया और आज तक कोई नहीं जान पाया कि ऐसा क्यों हुआ।किंवदंतियों और लोककथाओं में इस खाली गांव का ज़िक्र हमेशा एक ही नाम के साथ होता है — दीवान सालिम सिंह।तो कौन था ये दीवान? और क्यों आज भी कुलधरा का नाम सुनते ही एक रहस्यमयी सिहरन दौड़ जाती है?
कुलधरा की पृष्ठभूमि: एक समृद्ध पालीवाल ब्राह्मण गांव
18वीं सदी में कुलधरा एक समृद्ध और खूबसूरत पालीवाल ब्राह्मणों का गांव था। माना जाता है कि यह गांव 1291 में बसा था और यहां के लोग कृषि और व्यापार में काफी आगे थे। उनके पास जल संचयन के अद्भुत तरीके थे, जिससे वे सूखे इलाके में भी हरे-भरे खेतों में फसल उगाते थे।गांव की गलियों में रौनक थी, हवेलियों में संगीत गूंजता था और मंदिरों में पूजा-पाठ। कुलधरा सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि एक मिसाल था — राजस्थान के रेगिस्तान में भी जीवन और समृद्धि का एक उदाहरण।
दीवान सालिम सिंह: लालच, शक्ति और अभिमान का प्रतीक
अब आते हैं उस किरदार पर जिसने इस स्वर्ग से गांव को एक रात में नरक में बदल दिया — जोधपुर रियासत का दीवान सालिम सिंह। सालिम सिंह सत्ता का भूखा, क्रूर और भ्रष्ट अधिकारी था। कहा जाता है कि उसकी निगाह कुलधरा गांव के मुखिया की बेटी पर पड़ी।उसने प्रस्ताव भेजा कि वह उस लड़की से विवाह करना चाहता है। यह न केवल अस्वीकार्य था, बल्कि पालीवालों के लिए यह अपमानजनक और असहनीय भी था। दीवान ने धमकी दी — अगर विवाह न हुआ, तो वह जबरन लड़की को उठा ले जाएगा और पूरे गांव को तबाह कर देगा।
एक रात, एक निर्णय – और एक रहस्य
उस रात कुलधरा और आसपास के 83 गांवों के लोगों ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया।
उन्होंने न सिर्फ कुलधरा को खाली कर दिया, बल्कि 83 गांवों को पूरी तरह वीरान कर दिया — बिना किसी को बताए, बिना किसी निशान के।
सब कुछ छोड़कर वे चले गए और पीछे छोड़ गए एक श्राप — कि यहां कभी कोई न बस सके।
और चौंकाने वाली बात यह है कि आज तक कोई कुलधरा में स्थायी रूप से बस नहीं पाया।
क्या है कुलधरा का रहस्य?
यहां आज भी हवा में कुछ अजीब सा महसूस होता है। कंटीली झाड़ियों से घिरी टूटी-फूटी हवेलियां, अधजले दरवाज़े, और मंदिर जिनमें अब सिर्फ सन्नाटा है।
रात के समय यहां जाने की मनाही है, क्योंकि माना जाता है कि यहां आज भी पालीवाल ब्राह्मणों की आत्माएं भटकती हैं।
कई पर्यटक और स्थानीय लोग दावा करते हैं कि उन्होंने रात में पायल की आवाज, महिलाओं के रोने की सिसकियाँ, और बच्चों के खिलखिलाने की गूंज सुनी है।
कुछ ने तो अजीब साये देखने की भी बात कही है, जो झाड़ियों में अचानक गायब हो जाते हैं।
विज्ञान क्या कहता है?
वैज्ञानिक और इतिहासकार कहते हैं कि यह सामूहिक पलायन शायद पानी की कमी या अकाल के कारण हुआ होगा।
लेकिन सवाल उठता है — अगर केवल प्राकृतिक कारण थे, तो लोगों ने गांव को श्रापित क्यों किया?
क्यों आज भी कोई वहां टिक नहीं पाता?
इसका जवाब शायद इतिहास के उन पन्नों में छिपा है, जिन्हें हमने अब तक ठीक से पढ़ा ही नहीं।
पर्यटन का नया केंद्र
आज कुलधरा एक हॉन्टेड टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन चुका है। राजस्थान सरकार ने यहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं ताकि पर्यटक दिन में यहां आ सकें।
यहां की गलियों में घूमते हुए, पुराने मंदिरों और हवेलियों को देखते हुए ऐसा लगता है मानो वक्त थम गया हो।
जो लोग रहस्य, इतिहास और रोमांच के शौकीन हैं, उनके लिए कुलधरा एक अनमोल जगह है।
लेकिन एक बात हर किसी को चेतावनी दी जाती है — सूरज ढलने से पहले गांव छोड़ दें।

