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इस अक्टूबर आप भी बनाएं पेरू की इन हसीन वादियों में घूमने की प्लानिंग

दुनियाभर में कई ऐसी जगहें हैं, जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं....
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ट्रेवल न्यूज़ डेस्क !!! दुनियाभर में कई ऐसी जगहें हैं, जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐतिहासिक जगहें हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इन्हीं जगहों में से एक है माचू पिचू, जिसे 'लॉस्ट सिटी ऑफ द इंकास' भी कहा जाता है। दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में स्थित यह शहर दुनिया के सात अजूबों में से एक है, जो अपने रहस्यों और खूबसूरत वास्तुकला के लिए जाना जाता है।

रहस्यों का माचू पिचू शहर

रहस्यों से भरा है दुनिया के सात अजूबों में से एक पेरू का शहर Machu Picchu,  ऐसे हुई इसकी खोज | Peru's city Machu Picchu is full of mysteries, this is  how

इस शहर का इतिहास इंका सभ्यता से जुड़ा हुआ है। माचू पिचू समुद्र तल से 2,430 मीटर या लगभग 8000 फीट की ऊंचाई पर उरुबाम्बा घाटी के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है। इसे 2007 में दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया था। साथ ही यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया है। अपनी खूबसूरत वास्तुकला और कई रहस्यों के कारण यह शहर पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है और दुनिया भर से लोग यहां आते हैं।

Know About Mysterious City Machu Picchu Lost City Of The Incas - Amar Ujala  Hindi News Live - अजब-गजब:कहानी 8000 फीट की ऊंचाई पर बसे एक ऐसे वीरान शहर  की, जो सैकड़ों

इस तरह इस शहर की खोज हुई

माचू पिचू को 1911 में अमेरिकी पुरातत्वविद् हीराम बिंघम द्वारा फिर से खोजा गया था। उस दौरान बिंघम इंका के आखिरी गढ़ विलकाबाम्बा की खोज कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने माचू पिचू की खोज की। बिंघम द्वारा माचू पिचू की खोज एक प्रमुख पुरातात्विक घटना थी और तब से यह स्थल दक्षिण अमेरिका के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है।

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माचू पिचू ललित कला का एक उदाहरण है

माचू पिचू एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और इसे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक माना जाता है। यह इंका लोगों के इंजीनियरिंग कौशल का एक उदाहरण है। यह स्थल मंदिरों, महलों और घरों सहित कई सौ इमारतों से बना है। इमारतें सावधानी से काटे गए पत्थरों से बनी हैं, जिन्हें मोर्टार के उपयोग के बिना एक साथ जोड़ा गया है। खास बात यह है कि यहां मौजूद इमारतों को बनाने में किसी भी धातु के औजार और पहियों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

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