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जयपुर के हवा महल में सामने से क्यों नहीं होती एंट्री, वीडियो में जाने इसके पीछे का बड़ा राज 
 

भारत का राजस्थान राज्य अपनी रंगीन संस्कृति-खूबसूरत पहनावा, दिलचस्प कलाकृति और प्रसिद्ध व्यंजनों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर की बात ही कुछ और है। ऐसा इसलिए क्योंकि जयपुर में स्थित राजा-महाराजाओं के ऐतिहासिक....
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जयपुर न्यूज़ डेस्क!! भारत का राजस्थान राज्य अपनी रंगीन संस्कृति-खूबसूरत पहनावा, दिलचस्प कलाकृति और प्रसिद्ध व्यंजनों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर की बात ही कुछ और है। ऐसा इसलिए क्योंकि जयपुर में स्थित राजा-महाराजाओं के ऐतिहासिक किले और वास्तुकला लोगों को अपनी तरफ खूब आकर्षित करती है, लेकिन जिस एक जगह को देखने के लिए टूरिस्ट्स का तांता लगा रहता है, वो यहां का हवा महल है। जी हां, हवा महल जयपुर का सबसे आकर्षक स्थल है, जो अपनी गुलाबी रंग की बालकनियों और जालीदार खिड़कियों की वजह से दूर-दूर तक लोकप्रिय है।

यह दुनिया की एकमात्र ऐसी इमारत है, जो सालों से बिना किसी नींव के खड़ी है। यही एक वजह भी है कि ये इमारत टूरिस्ट को अट्रैक्ट करने में जरा भी पीछे नहीं रहती है। हालांकि, हवा महल तो आपने बहुत बार देखा होगा, लेकिन कभी इसके इतिहास को टटोलने की कोशिश की है। क्‍या आपको पता है कि इस खूबसूरत लाल इमारत का नाम हवा महल क्यों पड़ा? क्यों कभी हवा महल में सामने से एंट्री नहीं होती है? ऐसे में आज हम आपको हवा महल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को बता रहे हैं, जोकि आपको सोचने पर मजबूर कर देंगीं।

जयपुर के हवा महल को भगवान श्री कृष्ण से जोड़कर देखा जाता है। हालांकि, इसका निर्माण 1799 में जयपुर के कछवाहा शासक महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था, जोकि श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। यही वजह है कि उन्‍होंने इस महल को श्रीकृष्ण के ताज का रूप दिया था। आज यह महल जयपुर के सबसे अट्रैक्टिव टूरिस्‍ट प्‍लेस में से एक है। यह एक पांच मंजिला इमारत है, जो ठोस नींव की कमी की वजह से 87 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है।

हवा महल के नाम की तरह इसकी बनावट भी अद्भुत है। पांच मंजिला इस इमारत को लाल चंद उस्ताद ने डिजाइन किया था। हवा महल के सबसे ऊपरी हिस्से तक पहुंचने के लिए पर्यटक रैंप का इस्तेमाल करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस महल में 953 छोटी-छोटी खिड़कियां हैं, जिन्‍हें झरोखा कहा जाता है। इन पर बहुत ही बारीकी से सुंदर नक्काशी की गई है। इन्‍हें बनवाने की वजह भी बेहद खास थी। दरअसल, शाही परिवार की महिलाओं को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी।

ऐसे में सड़कों पर होने वाले कार्यक्रमों और नाटकों को वो इन झरोखों से ही देखती थीं। इन खिड़कियों को बहुत ध्यान से बनवाया गया था ताकि महिलाओं को बाहर का नजारा देखने में जरा भी असुविधा न हो। बता दें कि उस समय पर्दा प्रथा थी। इस नियम के अनुसार महिलाओं को अपना चेहरा ढक कर रखना होता था। वह भूल से भी किसी के सामने अपना चेहरा नहीं दिखा सकती थीं।

दरअसल, हवा महल गर्मियों के मौसम में राजपूतों का विश्राम स्थल था। इसे कुछ इस तरह से ही डिजाइन किया गया था कि इसमें से हवा आती रहे ताकि गर्मियों के दौरान यहां रहने वालों को हल्‍की राहत मिल सके। इसके नाम के पीछे भी रोचक तथ्‍य है। कहते हैं इस महल का नाम 5वीं मंजिल के नाम पर रखा गया था, जिसे हवा मंदिर के नाम से जाना जाता था। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इस इमारत में कोई सीढ़ी नहीं है। यही एक वजह भी है कि आज तक इसकी छत पर कोई नहीं जा सका है। इसकी सभी मंजिलों पर ढलान किए हुए रास्ते के सहारे ही जाना पड़ता है।

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