
कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक हर कोई मां की भक्ति में डूब जाता है और मां को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह की पूजा पद्धतियां अपनाता है। घर पर हम देवी मां का पाठ और पूजा करते हैं।
कैला देवी मंदिर
राजस्थान के करौली में स्थित कैला देवी माता का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा भोमपाल सिंह ने की थी। मंदिर में देवी की दो मूर्तियाँ हैं, जिनमें से एक तिरछी मुख वाली कैला देवी माता है। मान्यता है कि यह देवी श्रीकृष्ण की बहन योगमाया हैं। देवी के इसी रूप से नरकासुर का वध हुआ।
शाकम्बरी माता का मंदिर
शाकंभरी माता का मंदिर जयपुर से 95 किमी दूर सांभर झील के पास स्थित है। इस नमक झील से हर साल लाखों टन नमक का उत्पादन होता है। यहां की मान्यता है कि देवी के श्राप के कारण यहां की बहुमूल्य संपदा नमक में बदल गई, तभी से यहां नमक का भंडार है। शाकम्बरी माता चौहान वंश की कुल देवी हैं लेकिन उनकी पूजा करने के लिए सभी वर्ग और संप्रदाय के लोग दूर-दूर से यहां आते हैं।
त्रिपुर सुंदरी माता का मंदिर
अठारह भुजाओं वाला त्रिपुर सुंदरी माता मंदिर राजस्थान के बांसवाड़ा में स्थित है। उनकी यह प्रतिमा काले पत्थर से बनी है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना कनिष्क के शासन काल से भी पहले हुई थी। अठारह भुजाओं वाली देवी की सभी भुजाएँ अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं। मंदिर में देवी माता की मूर्ति के साथ नवदुर्गा और चौंसठ योगिनियों की मूर्तियाँ भी हैं।
करणी माता का मंदिर
करणी माता मंदिर राजस्थान में बीकानेर के पास स्थित है। यह मंदिर चूहों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां लगभग 20,000 काले चूहे हैं, जिन्हें पवित्र माना जाता है। इन चूहों की पूजा करने की परंपरा है, मंदिर में कुछ सफेद चूहे भी हैं जिनका दिखना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि करणी माता के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं।