केरल के ‘वाटर टेम्पल’ का नजारा बारिश में होता है शानदार, जानें यहां कैसे पहुंचें
केरल को यूं ही “गॉड्स ओन कंट्री” नहीं कहा जाता। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक शांति का ऐसा समागम है, जो भारत के किसी और राज्य में मिलना मुश्किल है। मुन्नार की पहाड़ियां, अलेप्पी के बैकवाटर्स, वर्कला के समुद्री किनारे, कोच्चि का इतिहास और वायनाड की हरियाली यहां आने वाले हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। लेकिन आज हम आपको केरल के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताएंगे, जो मानसून में और भी जादुई हो उठता है — नीरपुथुर महादेव मंदिर, जिसे लोग प्यार से “जल मंदिर” भी कहते हैं।
मानसून में जल मंदिर का जादू
केरल में मानसून के मौसम का अपना एक अलग ही महत्व है। चारों ओर हरियाली, भीगे हुए पेड़-पौधे और नदियों की कलकल करती धारा मानो पूरी धरती को जीवन का रस दे रही हो। ऐसे मौसम में जब आप नीरपुथुर जल मंदिर पहुंचते हैं, तो मानो किसी आध्यात्मिक स्वर्ग में प्रवेश कर जाते हैं।
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह चारों ओर से पानी से घिरा हुआ होता है, और बारिश में इसका परिसर भी जलमग्न हो जाता है। लेकिन यह जल किसी बाढ़ का हिस्सा नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक झरने और जल स्रोत से आता है, जो मंदिर परिसर में भरकर एक दिव्य वातावरण बना देता है।
नीरपुथुर महादेव मंदिर – आस्था और प्रकृति का संगम
नीरपुथुर महादेव मंदिर, केरल के मलप्पुरम जिले के पुथुर गांव में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यहां हर साल मानसून के समय श्रद्धालु और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं, क्योंकि यह समय मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक केरल शैली की है — ढलवां छतें, लकड़ी की नक्काशी, पत्थर के स्तंभ और प्राचीन मूर्तियां। जब बारिश की बूंदें मंदिर की छत पर पड़ती हैं और पानी चारों तरफ फैल जाता है, तो मंदिर और उसके दर्शन एक अद्भुत चित्ताकर्षक अनुभव बन जाते हैं।
पानी में छिपे औषधीय गुण
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मंदिर के परिसर में भरे हुए पानी में औषधीय गुण होते हैं। यह पानी आस-पास के प्राकृतिक स्रोतों से आता है, जिनमें औषधीय पौधों की जड़ें भी मौजूद हैं। कई श्रद्धालु इस पानी को अपने साथ घर भी लेकर जाते हैं, यह मानते हुए कि इसमें रोगों से मुक्ति दिलाने की शक्ति है।
कैसे पहुंचें नीरपुथुर महादेव मंदिर?
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आप केरल के किसी भी बड़े शहर से रेल, सड़क या हवाई मार्ग के जरिए आसानी से यात्रा कर सकते हैं।
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रेल मार्ग: मंदिर के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है तिरूर स्टेशन, जो लगभग 60 किलोमीटर दूर है।
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बस मार्ग: यदि आप बस से यात्रा करना चाहते हैं, तो पेरिंथलमन्ना बस डिपो पर उतरें, जो मंदिर से करीब 25 किलोमीटर दूर है।
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वहां से आप लोकल ऑटो या टैक्सी लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं।
कब जाएं?
नीरपुथुर मंदिर की यात्रा के लिए जून से सितंबर का समय सबसे आदर्श है, जब केरल में मानसून पूरी तरह सक्रिय होता है और मंदिर का परिसर पानी से भर जाता है। यह दृश्य न केवल कैमरे में कैद करने लायक होता है, बल्कि आत्मा को भी छू लेने वाला होता है।

