राजस्थान के इस अद्भुत महल में आज भी रहते हैं लव कुश के वंशज, इस डॉक्यूमेंट्री के देख आप खुद करें फैसला
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जयपुर के सिटी पैलेस में प्रवेश करते ही बड़ा सा एक चौक दिखाई देता है। इस चौक के बीचों बीच भव्य \\\'मुबारक महल\\\' बना हुआ है। यह सिटी पैलेस का नवीनतम हिस्सा है। सवाई माधो सिंह द्वितीय ने अपने कार्यकाल में अपने खास मेहमानों के ठहरने के लिए इस हिस्से को बनवाया था। यह संगमरमर से बना है, जो पूरी तरह हिन्दू स्थापत्य शैली में तैयार किया गया है।
हिस्टोरियन प्रोफेसर आर एस खंगारोत कहते है, मुबारक महल का प्रयोग जयपुर रियासत के उच्चतम प्रसाशनिक संस्था \\\'महकमा खास\\\' या \\\'कॉउन्सिल ऑफ स्टेट\\\' के ऑफिस के रूप में किया जाता था। मिर्जा इस्माइल ने इस महकमा खास को आगे जाकर गवर्नमेंट हॉस्टल में शिफ्ट किया। बहुत कम लोग जानते है मगर देश की आज़ादी के बाद पहले चीफ मिनिस्टर हीरा लाल शास्त्री ने गवर्नमेंट हॉस्टल को सचिवालय के रूप में इस्तेमाल किया। उनका मानना था कि इससे जयपुर की जनता को सहूलियत होगी। जहां पर वर्तमान में पुलिस कमिश्नरेट है।
मुबारक महल चौक के उत्तर पूर्व में एक कुंए के ऊपर म्यूजिकल घड़ियों वाला घंटा घर है। जिसे सवाई राम सिंह द्वितीय ने बनवाया था। उस दौर में यह घडिय़ां इंग्लैंड में बर्किंघम से मंगवाई गई थी। मुबारक महल के सीधे हाथ पर गेट है, जिसे राजेन्द्र पोल कहते है,जिसे \\\'सरहद की ड्योढ़ी\\\' भी कहते है। ऐसा इसीलिए क्योंकि इस महल के बनने से पहले यह सिटी पैलेस के महलों की सरहद हुआ करती थी।
{ संगमरमर और पत्थर को तराश कर जाली वर्क, झरोखा युक्त बालकनी और घुमावदार मेहराब के अलावा बारीक नक्काशीदार खंभे है। जो नेपाल में काठमांडू या सिक्किम में गैंग टोक के लकड़ी वाले मकानों की हूबहू नकल लगते है।
{ वर्तमान में मुबारक महल के निचले हिस्से में पोथी खाना और म्यूजियम का ऑफिस बना हुआ। जबकि ऊपर म्यूजियम का टेक्सटाइल विभाग है।