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महाशिवरात्रि 2025 : खास तरीके से सजाया जाता है सुजावन देव मंदिर, नदी के बीच स्थित...

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महाशिवरात्रि का दिन हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त देवों के देव भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए पूजा और व्रत रखते हैं। इतना ही नहीं, महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में भी भक्तों का सैलाब उमड़ता है। देशभर में महादेव के कई प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन आज हम आपको प्रयागराज में स्थित भगवान शिव के शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो यमुना नदी के बीच में स्थित है। जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं प्रयागराज के सुजावन देव मंदिर की।


सुजावन देव मंदिर में भगवान शिव के साथ मां यमुना की पूजा की जाती है। इस प्रकार इस मंदिर में वर्ष भर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन महाशिवरात्रि पर इस मंदिर की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में आकर पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सुजावन देव मंदिर के बारे में कई मान्यताएं हैं, लेकिन इसकी उत्पत्ति की कहानी भी अनोखी है। ऐसा माना जाता है कि ब्रिटिश शासन से पहले, सुजावन देव मंदिर के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं थी।

यदि आप महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रयागराज में हैं, तो आप सुजावन देव मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। सुजावन देव मंदिर प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं, त्रिवेणी संगम से सुजावन देव मंदिर की दूरी 27 किलोमीटर है। प्रयागराज के जसरथ चितौरी निवासी रामराज पटेल ने हमें त्रिवेणी संगम से सुजावन देव मंदिर तक पहुंचने के बारे में बताया है।


त्रिवेणी संगम से सुजावन देव मंदिर जाने के लिए आपको पहले सिविल लाइंस आना होगा। आपको सिविल लाइंस से नैनी और फिर घूरपुर बाजार पहुंचना होगा। घूरपुर चौराहे से करीब 3 किलोमीटर अंदर जाने पर आपको देवरिया नाम का एक गांव मिलेगा, जहां यमुना नदी के किनारे सुजावन देव मंदिर स्थित है।सुजावन देव मंदिर जमीन से लगभग 150 फीट की ऊंचाई पर बना है। पहले यह मंदिर यमुना नदी के मध्य में स्थित था, लेकिन खनन और जल स्तर कम होने के कारण अब यह तट पर स्थित है। लेकिन अब भी बाढ़ के दिनों में मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है।

जानकारी के अनुसार वर्ष 1645 में शाहजहां के समय शाइस्ता खां इलाहाबाद का सूबेदार था और उसने सुजावन देव मंदिर को तुड़वाकर वहां जुआ बैठक का आयोजन करवाया था। हालाँकि, हिंदुओं ने इसका विरोध किया और बैठक पर हमला कर मंदिर का पुनर्निर्माण किया। फिर मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की गई।प्रयागराज के सुजावन देव मंदिर के बारे में मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने इस स्थान पर आए थे और खुश होकर उनसे वरदान मांगने को कहा था। तब यमुना ने वरदान मांगा और कहा कि जो भी भक्त भैया दूज के दिन यहां स्नान करेगा, उसे मृत्यु का कोई भय नहीं रहेगा और उसे स्वर्ग में स्थान मिलेगा। यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया। इस मान्यता के अनुसार हर साल दीपावली के बाद भैया दूज पर विशाल मेला लगता है और श्रद्धालु यमुना तट पर आकर दीपदान करते हैं।

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