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Independence day 2024 : भारत के ऐसे रहस्यमयी मंदिर, जहां पर हर होता हैं कुछ ना कुछ अनोखा, जानकर आप भी नहीं कर पाएंगे यकीन, इस स्वतंत्रता दिवस पर बनाये प्लान 

भारत में कई खूबसूरत और प्रसिद्ध मंदिर हैं। इसमें कई मंदिर हैं जो रहस्यमय हैं। देवी-देवताओं में आस्था रखने वाले लोगों का मानना है कि ये सब भगवान की कृपा है, वहीं कई लोगों के लिए ये हैरानी की बात है.......
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ट्रेवल न्यूज़ डेस्क !!! भारत में कई खूबसूरत और प्रसिद्ध मंदिर हैं। इसमें कई मंदिर हैं जो रहस्यमय हैं। देवी-देवताओं में आस्था रखने वाले लोगों का मानना है कि ये सब भगवान की कृपा है, वहीं कई लोगों के लिए ये हैरानी की बात है. भारत के इन रहस्यमयी मंदिरों का रहस्य आज तक नहीं खुल पाया है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में बताएंगे, जो अपने रहस्यों के लिए मशहूर हैं।

तिरूपति बालाजी मंदिर

तिरूपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित है और भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। तिरूपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है, जो स्वयं भगवान विष्णु हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमाला में निवास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान वेंकटेश्वर से प्रार्थना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अपनी श्रद्धा के अनुसार भक्त यहां आते हैं और अपने बाल तिरूपति मंदिर में दान कर देते हैं। इस अलौकिक और चमत्कारी मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं।ऐसा माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर यहां मूर्ति के रूप में अवतरित हुए थे, जिसके कारण इस मंदिर की स्थापना यहां की गई। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि यहां एक साल में लगभग 75 टन बाल उगते हैं। इन बालों को बेचकर तिरुपति मंदिर 65 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई करता है।

माँ कामाख्या देवी मंदिर

माँ कामाख्या देवी का मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी के पास स्थित है। यह चमत्कारी मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। लेकिन प्राचीन मंदिर में देवी भगवती की एक भी मूर्ति नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से काटा तो उनके शरीर का एक हिस्सा कामाख्या में गिर गया। जिस स्थान पर माता सती के शरीर के अंग रखे गये थे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाता है। यहां कोई मूर्ति नहीं है, केवल माता सती के शरीर के हिस्से की पूजा की जाती है। कामाख्या मंदिर को शक्ति-साधना का केंद्र माना जाता है। यहां हर किसी की मनोकामना पूरी होती है। इसी कारण इस मंदिर का नाम कामाख्या पड़ा। यह मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है। इसके पहले हिस्से में हर किसी को जाने की इजाज़त नहीं है. दूसरा भाग माता के दर्शन के बारे में है। यहां पत्थर से हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस पत्थर से महीने में एक बार खून की धारा बहती है। ऐसा क्यों और कैसे होता है? इस बात का पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं.
 

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