Mahashivratri 2025: इस महाशिवरात्रि आप भी अपने परिवार के साथ करें महाराष्ट्र के इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, हर मनोकामना होगी पूरी

महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जा रहा है। महाशिवरात्रि पर भक्त उपवास रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और शिव मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। देश भर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जहां भक्त दर्शन के लिए जा सकते हैं। ज्योतिर्लिंग वह स्थान है जहां भगवान शिव प्रकाश के रूप में प्रकट हुए थे और लिंग के रूप में स्थित हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश-गुजरात समेत कई राज्यों में ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं। इनमें से सबसे अधिक ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में हैं।
महाराष्ट्र में 5 पवित्र ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर महाराष्ट्र के इन 5 पवित्र ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना एक अद्भुत अनुभव हो सकता है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और शिव भक्त भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप इस पावन अवसर पर महादेव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं तो महाराष्ट्र के इन ज्योतिर्लिंग मंदिरों में जरूर जाएं।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे से 100 किमी दूर है।
यह सह्याद्रि पर्वत की खूबसूरत घाटियों में स्थित है।
यह स्थान भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित है, जहां प्रकृति प्रेमियों के लिए भी बहुत कुछ है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने यहीं राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था।
पुणे से लगभग 110 किमी दूर स्थित इस मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
त्र्यम्बकेश्व मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है।
यह मंदिर नासिक से 28 किमी दूर ब्रह्मगिरी पहाड़ियों पर स्थित है।
इस शिवलिंग का आकार अलग है। यह तीन छोटे लिंगों से बना है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं।
नासिक से लगभग 30 किमी दूर स्थित इस मंदिर तक मुंबई और पुणे से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
महाशिवरात्रि 2025 महाराष्ट्र ज्योतिर्लिंग का नाम और स्थान पूर्ण विवरण
औरंगाबाद जिले में घृष्णेश्वर मंदिर है जो 12वें और अंतिम ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है।
यह मंदिर एलोरा गुफाओं के पास स्थित है, जिन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।
मंदिर की नक्काशीदार दीवारें और दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित वास्तुकला इसे बहुत भव्य बनाती है।
औरंगाबाद से 15 किमी दूर स्थित इस मंदिर तक रेल और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।