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कम बजट में खोज रहे हैं शानदार और खूबसूरत जगह तो आप भी जरूर करें कन्याकुमारी की सैर, मिलेंगे कई अद्भुत अनुभव 

गर्मी की छुट्टियां शुरू होने से पहले ही लोग घूमने-फिरने का प्लान बनाने लगते हैं। हर कोई अपनी पसंदीदा जगह चुनना चाहता है, लेकिन ज्यादातर लोग कन्याकुमारी जाने से बचते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कन्याकुमारी को देश का आखिरी तट माना जाता है........
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ट्रेवल न्यूज़ डेस्क !!! गर्मी की छुट्टियां शुरू होने से पहले ही लोग घूमने-फिरने का प्लान बनाने लगते हैं। हर कोई अपनी पसंदीदा जगह चुनना चाहता है, लेकिन ज्यादातर लोग कन्याकुमारी जाने से बचते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कन्याकुमारी को देश का आखिरी तट माना जाता है। आपको बता दें कि यादगार यात्रा अनुभव के लिए आपको एक बार कन्याकुमारी जरूर जाना चाहिए।


कन्याकुमारी बीच: आप पहले भी कई बार इस बीच पर गए होंगे। लेकिन कन्याकुमारी बीच अपने आप में बेहद खास और खूबसूरत माना जाता है। दरअसल, यहां हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का अनोखा संगम है। इतना ही नहीं, कन्याकुमारी बीच से सूर्यास्त और सूर्योदय का नजारा भी बेहद आकर्षक होता है


तिरुवल्लुवर की मूर्ति: कन्याकुमारी में स्थित तिरुवल्लुवर की खूबसूरत मूर्ति भी बहुत प्रसिद्ध है। इसकी खास बात यह है कि यह प्रतिमा 133 फीट ऊंची है जो इतिहास प्रेमियों को काफी पसंद आती है। साथ ही वास्तुकला से प्रेम करने वालों को भी यहां का मनमोहक दृश्य बेहद आकर्षक लगता है


लेडी ऑफ रैनसम चर्च: कन्याकुमारी के धार्मिक स्थलों में शामिल लेडी ऑफ रैनसम चर्च भी काफी मशहूर है। यह चर्च समुद्र तट पर स्थित है और मदर मैरी को समर्पित है। इस चर्च में दूर-दूर से लोग प्रार्थना करने आते हैं। इस चर्च की खूबसूरत नक्काशी लोगों को बहुत पसंद आती है। रात के समय चर्च का नजारा बेहद खूबसूरत होता है


गांधी मंडपम: महात्मा गांधी को समर्पित गांधी मंडपम भी कन्याकुमारी में मौजूद है। गांधी जी की मृत्यु के बाद उनके शरीर की राख कुछ समय के लिए इसी मंडप में रखी गयी थी। जहां लोगों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये. इसके बाद इसे अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के त्रिवेणी संगम में विसर्जित कर दिया गया।


विवेकानन्द रॉक मेमोरियल: कन्याकुमारी के एक छोटे से द्वीप पर विवेकानन्द रॉक मेमोरियल है। यहां स्वामी विवेकानन्द की एक बहुत बड़ी और खूबसूरत मूर्ति मौजूद है। विवेकानन्द रॉक मेमोरियल स्वामी विवेकानन्द के सम्मान में बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानन्द इसी स्थान पर ध्यान किया करते थे और यहीं पर विवेकानन्द जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

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