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इस वीडियो में देखें राजस्थान का वो खास महल जिसकी खूबसूरती हैं बेहद अद्भूत

आमेर का किला सबसे प्रसिद और विशाल किलो में से एक माना जाता है यह राजस्थाकं की राजधानी जयपुर से केवल 11 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह किला अरावली पहाड़ी पर एक सुन्दर छोटी सी झील में समीप बना हुआ है...........
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आमेर का किला सबसे प्रसिद और विशाल किलो में से एक माना जाता है यह राजस्थाकं की राजधानी जयपुर से केवल 11 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह किला अरावली पहाड़ी पर एक सुन्दर छोटी सी झील में समीप बना हुआ हैआमेर किला हिंदू और मुस्लिम सुन्दर वास्तुकला का मिश्रण है जिसके करण इस किले को विश्व विरासत की लिस्ट में भी शामिल किया जाता है आमेर किले को अम्बर किले के नाम से भी जाना जाता हैइस किले का निर्माण राजा मानसिंह द्वारा लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर पथरो का उपयोग करके करवाया गया था आमेर किले में कई नायाब विशाल कमरे, सुन्दर परिसर, अनूठी वास्तुशिल्प के मंदिर और सुन्दर महल बने हुआ है

आमेर का निर्माण मीनास नामक जनजाति द्वारा सबसे पहले किया गया था जो की सबसे पहले सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी थी ऐसा मानाजाता है की इस आमेर किले का निर्माण राजा मानसिंह द्वारा 16 वी शताब्दी में करवाया गया था इसके बात राजा मानसिंह के उत्तराधिकारियों और शासकों ने अरीब 150 सालो तक इस किले का नवनीकरण किया है

इसके बाद सवाई जय सिंह द्धितीय शासन ने जयपुर को 1727 इस्वी में अपनी राजधानी बना ली उस समय जयपुर की स्धोना हुयी हु थी इस किले को कदीमी ओए अम्बर के नाम से भी जाना जाता है ऐसा माना जाता है की शिव भगवन अंबिकेश्वर के नाम पर इस किले का नाम अम्बर किला पड़ा और कुछ लोगो का यह भी कहना है की माँ दुर्गा के अंबा के नाम पर इस किले को अम्बर नाम दिया गया

आमेर का किला विशाल दीवारों से घिरा हुआ है आमेर किले की वास्तुशिल्प कला काफी अदबुद है क्यों की इस किले को अंदर से देखने पे यह राजपुताना  शैली जेसा दिखाई पड़ता है और बहार से देखने पर यह मुगल वास्तुशैली जेसा दिखाई पड़ता है यह दोनों का मिला- जुला नायाब नमूना माना जाता है

आमेर किले में पूर्व और दक्षिण दिशा में 2 विशाल और भव्य द्वार बने हुआ है पूर्व दिशा में स्थित द्वार को सुर्यपोल या सूर्य द्वार के नाम से जाना जाता है पूर्व दिशा से उगने वाले सूर्य के करण इस द्वार का नाम सूर्य द्वार रखा गया यह मुख्य द्वार है सभी पर्यटक किले में इसी द्वार से प्रवेश करते है

दक्षिण दिशा में स्थित द्वार को चन्द्रपोल या चन्द्र द्वार के नाम से जाना जाता है इसके सामने ही एक सुन्दर परिसर बना हुआ है जिसे जलेबी चोक कहा जाता है इस परिसर का उपयोग सेना द्वारा युद्ध के समय हुए युद्ध को वापस से दिखने के लिए किया जाता था जिसे महिलाऐं केवल खिडकियों से ही देख सकती थी

 

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