जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए गए हैं तो, पुरी की इन जगहों को एक्सप्लोर करना न भूलें

हर साल जब ओडिशा के पुरी में श्री जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होती है, तो वहां सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं बल्कि एक विशाल सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत भी होती है। इस वर्ष 27 जून से रथ यात्रा की शुरुआत हुई है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ को खींचने के लिए पुरी पहुंचे हैं। शहर भक्ति, रंग और उल्लास में डूब जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुरी रथ यात्रा के अलावा भी कई अद्भुत अनुभवों का केंद्र है?
पुरी को सिर्फ मंदिरों की नगरी मानना इसकी सुंदरता और विरासत के साथ न्याय नहीं होगा। यहां समुद्र की लहरों से लेकर प्राचीन कला, संस्कृति और दुर्लभ वन्य जीवन तक—हर चीज़ आपकी यात्रा को यादगार बना सकती है। आइए जानें ऐसी 4 खास जगहों के बारे में जो रथ यात्रा के साथ-साथ आपकी पुरी यात्रा को और भी खास बना सकती हैं:
1. पुरी समुद्र तट (Puri Beach)
पुरी का समंदर किनारा रथ यात्रा के बाद रिलैक्स करने के लिए सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है। सुबह की सुनहरी धूप में यहां की ठंडी लहरें और शाम के वक्त सूर्यास्त का दृश्य हर किसी का मन मोह लेता है। समुद्र किनारे स्थानीय कलाकारों द्वारा रेत से बनाई गई मूर्तियां भी यहां का आकर्षण हैं।
श्रद्धालु मंदिर दर्शन के बाद यहां समुद्र में स्नान करते हैं, जिसे पवित्र माना जाता है। धार्मिकता और प्रकृति का यह मेल यात्रियों को मानसिक और आत्मिक दोनों रूपों से ताजगी देता है।
2. चिल्का झील (Chilika Lake)
पुरी से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो यह जगह आपके लिए स्वर्ग है। यहां की बोट राइड बेहद शांत और सुकून देने वाली होती है।
यहां यदि किस्मत साथ दे तो इरावदी डॉल्फिन देखने का सौभाग्य भी मिल सकता है। सर्दियों के मौसम में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते हैं, जो इसे बर्ड वॉचर्स के लिए एक बेहतरीन डेस्टिनेशन बना देते हैं।
चिल्का झील न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है, बल्कि यह एक बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट भी है, जहां पानी, पक्षी और आकाश मिलकर एक जादुई संसार रचते हैं।
3. कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple)
पुरी से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह ऐतिहासिक स्थल भारत की वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। यूनेस्को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है।
यह रथ के आकार में बना हुआ है और इसमें पत्थरों पर की गई नक्काशी इतनी बारीकी और सुंदर है कि देखने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। आध्यात्म, कला और विज्ञान—तीनों का संगम यहां स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
कोणार्क सूर्य मंदिर में एक दिन बिताना आपके भीतर के कलाकार और आध्यात्मिक साधक दोनों को संतुष्टि देगा।
4. रघुराजपुर कलाकार गांव (Raghurajpur Artist Village)
पुरी से लगभग 15-20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव ओडिशा की पारंपरिक कलाओं का जीवंत उदाहरण है। हर घर यहां एक मिनी आर्ट गैलरी की तरह है जहां आप पट्टचित्र, तसर पेंटिंग, palm leaf engraving जैसी पारंपरिक कलाएं देख सकते हैं।
यहां के कलाकार पीढ़ियों से इन कलाओं को संरक्षित कर रहे हैं। आप न सिर्फ इनकी कला को करीब से देख सकते हैं, बल्कि उनसे बात करके उनकी कहानियां और विरासत को भी समझ सकते हैं।
अगर आप लोककला और संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो रघुराजपुर आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं।