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 इस वीकेंड आप भी जरूर करें उस किले की सैर जहां टीपू सुल्तान रखते थे खजाना

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लेकर पश्चिम और उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत का इतिहास पढ़ा जाता है तो महल और फोर्ट का जिक्र जरूर होता है। भारत में ऐसे कई प्राचीन और प्रसिद्ध फोर्ट्स मजूद हैं, जो भारत का इतिहास दर्शाने का काम करते हैं।

बादामी किले का इतिहास

बादामी किले का इतिहास बहुत प्राचीन है। जी हां, इस किले का इतिहास 5वीं शताब्दी का है। इतिहास के अनुसार, इस भव्य किले का निर्माण 543 ईस्वी के आसपास चालुक्य राजवंश के राजा पुलकेशी ने करवाया था। यह कर्नाटक के बागलकोट जिले में स्थित है। यह प्राचीन किला एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है। इसमें दो मंदिर परिसर हैं, जो पुलकेशी द्वितीय द्वारा निर्मित और 5वीं शताब्दी के हैं। आपको बता दें कि बादामी को पहले वातापी के नाम से जाना जाता था।

बादामी किले की वास्तुकला

बादामी किले की वास्तुकला बेहद खूबसूरत और अद्भुत मानी जाती है। इस किले की वास्तुकला पर्यटकों को आकर्षित करती है। बादामी किले की वास्तुकला आज देखने में बेहद दुर्लभ है। बादामी किला चालुक्य वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है। किले का एक हिस्सा बलुआ पत्थर से बना है और बाकी हिस्सा पहाड़ को काटकर बनाया गया है। कहा जाता है कि समय-समय पर यह किला कई राजाओं के अधीन रहा और उसी के अनुसार इसकी वास्तुकला बदलती रही।

बादामी किले से जुड़े रोचक तथ्य

बादामी किले से जुड़े रोचक तथ्य बेहद दिलचस्प हैं। कहा जाता है कि यह किला भी टीपू सुल्तान के अधीन था और टीपू सुल्तान इस किले में खजाना रखते थे। कहा जाता है कि इस किले में कई बड़े-बड़े तहखाने थे जो कई गुप्त रास्तों से जुड़े हुए थे। किले के तहखाने में टीपू सुल्तान अपने और अनी राज्यों से लूटा गया खजाना रखा करते थे। कहा जाता है कि बादामी किले में टीपू सुल्तान का खजाना ढूंढने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन हर बार खाली हाथ हाथ लगे। अब इन तहखानों के आसपास जाना मना है।

बादामी की गुफाएं भी बेहद खास हैं

बादामी की गुफाएं बादामी के किले से कई गुना अधिक लोकप्रिय हैं। यहां मौजूद गुआ हिंदू और जैन धर्म से संबंधित है। ये गुफाएं अपनी खूबसूरत नक्काशी के लिए जानी जाती हैं। यहां चार गुफाएं प्रसिद्ध हैं।

बादामी गुफा 1- बादामी गुफा 1 को शौवा गुफा के नाम से जाना जाता है और इस गुफा में भगवान की एक मूर्ति स्थापित है। (कर्नाटक के शीर्ष 12 पर्यटन स्थल)
बादामी गुफा 2- बादामी गुफा 2 में वैष्णववाद को दर्शाया गया है। दीवारों को शिव, ब्रह्मा और विष्णु की शानदार नक्काशी से सजाया गया है।
बादामी गुफा 3- बादामी गुफा 3 सबसे बड़ी और खूबसूरत गुफा मानी जाती है. गुफा की दीवारों पर नरसिम्हा, शंकर नारायण, भुवराह, अनंतशयन और हरिहर आदि की खूबसूरती से नक्काशी की गई है।
बादामी गुफा 4- बादामी की चौथी गुफा जैन धर्म से संबंधित है।

बादामी किला और गुफाओं का समय

चालुक्य वंश के बादामी गुफा घूमने की जानकारी – Badami Caves Information In  Hindi - Holidayrider.Com

बादामी किला और गुफा भ्रमण का समय सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक है। यहां घूमने के लिए भारतीय पर्यटकों को 10 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 100 रुपये का टिकट लेना पड़ता है। 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई टिकट नहीं है.

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