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अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही ज़िले में 'गुरुशिखर' (1727 मी.) है, जो माउंट आबू में है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं....
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अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही ज़िले में 'गुरुशिखर' (1727 मी.) है, जो माउंट आबू में है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली है। शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं। इस पर्वत श्रेणी का विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर दिल्ली से अहमदाबाद तक लगभग 800 कि.मी. की लम्बाई में है। अरावली पर्वत श्रंखला का लगभग 80 प्रतिशत विस्तार राजस्थान में है। दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायशेला पहाड़ी पर बना हुआ है, जो अरावली का की भाग है।

अरावली की औसत ऊँचाई 920 मीटर है तथा इसकी दक्षिण की ऊँचाई व चौड़ाई सर्वाधिक है। यह एक अवशिष्ट पर्वत है एवं विश्व के प्राचीनतम मोड़दार पर्वतों में से एक है। यह पर्वत श्रेणी क्वार्ट्ज चट्टानों से निर्मित है। इनमें सीसा, तांबा, जस्ता आदि खनिज पाये जाते हैं। इस पर्वत श्रेणी को उदयपुर के निकट 'जग्गा पहाड़ियों', अलवर के निकट 'हर्षनाथ की पहाड़ियों' एवं दिल्ली के निकट इसे 'दिल्ली की पहाड़ियों' के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी गुरु शिखर 1722 मीटर है।

अरावली पर्वत प्रदेश को तीन प्रमुख उप-प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं-

  • दक्षिणी अरावली प्रदेश
  • मध्य अरावली प्रदेश
  • उत्तरी अरावली प्रदेश
  • दक्षिणी अरावली प्रदेश

इस प्रदेश में सिरोही, उदयपुर और राजसमन्द ज़िले सम्मलित हैं। यह प्रदेश पूर्णत: पर्वतीय प्रदेश है, जहाँ अरावली की श्रेणियाँ अत्यधिक सघन एवं उच्चता लिये हुए हैं। इस प्रदेश में अरावली पर्वतमाला के अनेक उच्च शिखर स्थित हैं। इसमें गुरुशिखर पर्वत राजस्थान का सर्वोच्च पर्वत शिखर है, जिसकी ऊँचाई 1722 मीटर है, जो सिरोही ज़िले में माउन्ट आबू क्षेत्र में स्थित है।[1] यहाँ की अन्य प्रमुख उच्च पर्वत चोटियाँ हैं-

  • सेर - 1597 मीटर
  • अचलगढ़ - 1380 मीटर
  • देलवाड़ा - 1442 मीटर
  • आबू - 1295 मीटर
  • ऋषिकेश - 1017मीटर

उदयपुर-राजसमन्द क्षेत्र में सर्वोच्च शिखर जरगा पर्वत है, जिसकी ऊँचाई 1431 मीटर है। इस क्षेत्र की अन्य श्रेणियाँ- 'कुम्भलगढ़' (1224 मीटर), 'लीलागढ़' (874 मीटर), 'कमलनाथ की पहाड़ियाँ' (1001 मीटर) तथा 'सज्जनगढ़' (938 मीटर) हैं। उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में कुम्भलगढ़ और गोगुन्दा के बीच एक पठारी क्षत्रे है, जिसे 'भोराट का पठार' कहा जाता है।यह मुख्यतः अजमेर ज़िले में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में पर्वत श्रेणियों के साथ संकीर्ण घाटियाँ और समतल स्थल भी स्थित है। अजमेर के दक्षिण-पश्चिम भाग में तारागढ़ (870 मीटर) और पश्चिम में सर्पिलाकार पवर्त श्रेणियाँ नाग पहाड़ (795 मीटर) कहलाती हैं। ब्यावर तहसील में अरावली श्रेणियों के चार दर्रे स्थित हैं, जिनके नाम हैं- बर, परवेरिया और शिवपुर घाट, सूरा घाट दर्रा और देबारी।

उत्तरी अरावली क्षेत्र का विस्तार जयपुर, दौसा तथा अलवर ज़िलों में है। इस क्षेत्र में अरावली की श्रेणियाँ अनवरत न होकर दूर-दूर होती जाती हैं। इनमें शेखावाटी की पहाडियाँ, तोरावाटी की पहाड़ियाँ तथा जयपुर और अलवर की पहाड़ियाँ सम्मलित हैं। इस क्षेत्र में पहाड़ियों की सामान्य ऊँचाई 450 से 750 मीटर है। इस प्रदेश के प्रमुख उच्च शिखर सीकर ज़िले में रघुनाथगढ़ (1055 मीटर), अलवर में बैराठ (792 मीटर) तथा जयपुर में खो (920 मीटर) हैं। अन्य उच्च शिखर 'जयगढ़', 'नाहरगढ़', अलवर क़िला और बिलाली हैं।[1]

अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है। यह अनेक प्रमुख नदियों- बाना, लूनी, साखी एवं साबरमती का उदगम स्थल है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली (गुलाबी रंग के स्फ़टिक) है।

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