भारत का सबसे भयानक किल, सूरज ढलने के बाद नहीं जाते लोग

हमारे देश में कई ऐतिहासिक किले हैं। जिनमें से कई काफी खतरनाक भी हैं, जो अपनी भूत-प्रेत की कहानियों और रहस्यमयी कहानियों के लिए प्रसिद्ध हैं। आपने इनमें से कुछ किलों की डरावनी कहानियों और अलौकिक गतिविधियों के बारे में कहीं न कहीं देखा या सुना होगा। हर साल हजारों पर्यटक भारत में स्थित लगभग सभी किलों को देखने आते हैं।
ऐसे में अगर आप घूमने के शौकीन हैं तो आपने कोई न कोई किला जरूर देखा होगा। आज इस लेख में हम आपको एक ऐसे ही डरावने किले से जुड़ी कुछ रोचक कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं। यह भारत का सबसे भयानक किला है। आइये इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जानते हैं जिनके बारे में आपने शायद ही सुना होगा।
प्रबलगढ़ किला महाराष्ट्र में माथेरान और पनवेल के बीच रायगढ़ जिले में स्थित है।यह किला समुद्र तल से 2,300 फीट की ऊंचाई पर बना है।इस किले में कई सीढ़ियाँ हैं। जिसके कारण लोग यहां ट्रैकिंग के लिए भी आते हैं, जो एक बेहद रोमांचकारी अनुभव होता है।ऊपर पहुंचने के बाद यहां बिजली और पानी की सुविधा नहीं है। जिसके कारण लोग बारिश के बाद यहां नहीं जाते हैं।इतनी ऊंचाई पर बने इस किले पर ट्रैकिंग करना काफी जोखिम भरा काम है।
इस प्राचीन किले के दोनों ओर कोई रेलिंग नहीं है। ऐसे में खाई होने के कारण शरीर का संतुलन बिगड़ते ही लोगों के खाई में गिरने की आशंका बनी रहती है।ऐसा कहा जाता है कि ट्रैकिंग के दौरान कई लोगों की जान चली गई है।
प्रबलगढ़ किले के शीर्ष पर पहुंचने के बाद आपको प्रकृति का मनमोहक दृश्य देखने को मिलेगा, जो आपका मन मोह लेगा।प्रबलगढ़ किले की यात्रा के लिए अक्टूबर से मई तक का महीना अच्छा है। बरसात के मौसम में फिसलन भरी स्थिति के कारण यहां ट्रैकिंग जोखिमपूर्ण हो जाती है। प्राचीन काल में इस किले का नाम मुरंजन था। जिसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसका नाम बदलकर रानी कलावंती के नाम पर रख दिया। इस किले का निर्माण बहमनी सल्तनत द्वारा कराया गया था।