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क्या आपने भी अभी तक नहीं देखा ये महल जिसकी खूबसूरती का दिवाना हैं पूरा विश्व, आप भी इस वायरल में नजारें देख खो जाएंगे

आमेर का किला गुलाबी शहर जयपुर से 11 किमी की दूरी पर स्थित है। राजस्थान के प्रसिद्ध किलों में से एक आमेर किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है.....

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जयपुर न्यूज डेस्क !!! आमेर का किला गुलाबी शहर जयपुर से 11 किमी की दूरी पर स्थित है। राजस्थान के प्रसिद्ध किलों में से एक आमेर किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। आमेर और आमेर किले के नाम से मशहूर यह किला ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है और जयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।

राजपूताना और मुगल शैलियों के मिश्रण से निर्मित आमेर किला अपनी शानदार कलात्मक शैली के लिए प्रसिद्ध है। किले की भीतरी दीवारों पर लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर के पत्थरों की चमक, पेंटिंग, नक्काशी, कीमती पत्थर और दर्पण की सजावट इस किले के शाही इतिहास की गवाही देती है। आमेर किले के सामने लम्बी प्राचीरों, अनेक द्वारों, पत्थर से बने पक्के रास्तों के साथ माओटा झील का दृश्य इस स्थान की सुंदरता में चार चाँद लगा देता है

 आमेर किले में दीवान-ए-आम, गणेश पोल, सुख निवास, माओती झील और जनाना कक्ष देखने लायक हैं। आमेर किले का इतिहास - हिस्ट्री ऑफ आमेर पैलेस इन हिंदी आमेर किले का निर्माण 1592 में कछवाहा शासक राजा मान सिंह प्रथम ने शुरू कराया था। किले का निर्माण मिर्जा राजा जय सिंह के शासनकाल के दौरान पूरा हुआ, जिन्होंने किले परिसर में एक उद्यान भी बनवाया था।

आमेर के इस किले में अलग-अलग राजाओं के शासनकाल में बदलाव किये गये। अंततः, राजा सवाई जय सिंह द्वितीय के शासनकाल के दौरान कछवाहा साम्राज्य की राजधानी जयपुर में स्थानांतरित कर दी गई। आमेर किले की बाहरी दीवारें और संरचनाएं ढह रही थीं और इसकी ऐतिहासिक सामग्री और मुहरें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं, इसलिए किले का मूल प्लास्टर बदल दिया गया था। इस किले की बाहरी दीवारों का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया था लेकिन इसे सफेद रंग से रंगा गया था, जिससे यह सफेद संगमरमर जैसा दिखता था।

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